सत्तू बिहार में काफी प्रसिद्ध है. लिट्टी का स्वाद हो या फिर एनर्जी ड्रिंक, हर रूप में ये लोगों की सबसे खास पसंद है. सत्तू को सुपरफूड कहा जाता है, क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है. बिहार के एक लाल ने तो अब ये भी साबित कर दिया है कि सत्तू स्वास्थ्य के साथ साथ कमाई के लिए भी एक बहुत बढ़िया स्रोत है. जी हां बिहार के इस लड़के ने सत्तू बेच कर करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया है.
सत्तू को सुपरफूड बना कर कमा रहे करोड़ों
हम यहां बात कर रहे हैं बिहार के सचिन कुमार की. सचिन कभी मुंबई में बिजनस डेवलपमेंट मैनेजर हुआ करते थे. उनकी मुलाकात अक्सर सफल उद्यमियों से होती थी. उन्हीं से प्रेरित हो सचिन ने साल 2008 में स्टार्टअप सेक्टर में अपार संभावनाएं देखीं और खुद का स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया. उनका विचार अपनी मातृभूमि बिहार में कारोबार शुरू करने का था. सचिन ने सत्तू को सुपरफूड बनाकर उसे बेचने का फैसला किया और उनका ये फैसला आगे चल कर सही साबित हुआ.
सेल्स और मार्केटिंग में MBA करने वाले सचिन ने अपने साथ के कई लोगों से बात की. लेकिन, कोई भी अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़कर वापस बिहार जाने को तैयार नहीं था. हालांकि सचिन ने हार नहीं मानी और पारंपरिक खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग क्षमता पर एक कार्यशाला में भाग लेने के बाद सचिन कुमार ने 2009 में अपनी नौकरी छोड़ दी. इसके बाद वह अपने घर मधुबनी लौट आए. उनके माता-पिता को भी लगा कि मुंबई में अच्छी सैलरी वाली जॉब छोड़कर वापस बिहार आने का सचिन का ये फैसला सही नहीं है. लेकिन सचिन अपने फैसले पर अड़े रहे. उन्होंने अपने परिवार के कंज्यूमर ड्यूरेबल्स बिजनस को ज्वाइन किया.
कुछ समय बाद उन्होंने ऋचा से शादी कर ली और इसके बाद सचिन उन्होंने पारंपरिक खाद्य पदार्थों पर अपनी रिसर्च शुरू की. मधुबनी के दो सुपरफूड हैं. मखाना और सत्तू. मखाना पहले से ही अच्छी तरह से पैक होकर मार्केट में आता है. उन्हें एहसास हुआ कि सत्तू की पैकेजिंग और मार्केटिंग में बहुत अधिक इनोवेशन नहीं हुआ है. चने या भुने हुए जौ को पीसकर या दोनों को मिलाकर बनाए गए सत्तू का इस्तेमाल बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सदियों से किया जाता रहा है. सचिन ने फैसला किया कि वह देसी सुपरफूड को वही महत्व देंगे जिसके लिए वह हकदार है.
लॉन्च किया Sattuz
सचिन ने रेडी-टू-मिक्स सत्तू ड्रिंक की क्षमता पर मार्केट रिसर्च किया. इस आइडिया को बिहार और राज्य के बाहर दोनों जगह समर्थन मिला. 2018 में सचिन ने सत्तूज (Sattuz) नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया. स्टार्टअप ने अपनी शुरुआत सत्तू के तीन फ्लेवरर्स से की. इनमें स्वीट, जल-जीरा और चॉकलेट शामिल थे. सिर्फ पानी मिलाकर बनाया गया यह पेय प्रोटीन से भरपूर होता है. यह तुरंत एनर्जी देता है. सत्तू में फाइबर और आयरन की उच्च मात्रा पाचन तंत्र के लिए अच्छी होती है. अक्टूबर 2019 में सत्तूज ने नई दिल्ली स्थित इंडियन एंजेल नेटवर्क से फंड जुटाया. इसके अन्य निवेशक IIM कलकत्ता इनोवेशन पार्क और बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन हैं.
भले ही कोरोना काल में उनके सामने कई दिक्कतें आईं लेकिन बाद में उनका बिजनेस सही चलने लगा. 2021 में सत्तूज ने शेकर्स भी लॉन्च किए. ये चलते-फिरते हेल्थ ड्रिंक तैयार करना आसान बनाते हैं. स्टार्टअप ने वित्त वर्ष 23 में 1.2 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाया. सचिन कुमार को वित्त वर्ष 2024 में लगभग 2 करोड़ रुपये का रेवेन्यू होने की उम्मीद है.
सचिन के सत्तूज को लेकर बहुत प्लान हैं. वह पटना के बाहरी इलाके फतवा में कारखाना स्थापित कर रहे हैं. 5,000 वर्ग फुट में फैली इस फैक्ट्री में सत्तू ड्रिंक के पाउच और बड़े पैक के साथ मिक्चर का उत्पादन करेगी. बाद में यह रेडी-टू-ईट फॉर्मेट में लिट्टी और सत्तू पराठा भी पेश करेगा.