जज्बे को सलाम: हादसे में खो दिया एक पैर, फिर भी जीत कर लाए मेडल, अब सरकार ने बना दिया अधिकारी

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दरभंगा. ‘मेडल लाओ नौकरी पाओ’ स्कीम के तहत दरभंगा जिला के टकटार निवासी जलालुद्दीन ने एक पैर से साइकलिंग कर दो सिल्वर मेडल हासिल किए तो सरकार ने उन्हें अपर जिला जनसंपर्क पदाधिकारी बना दिया. जहां एक तरफ अपनी विकलांगता को लेकर लोग तरह-तरह के बहाने करते हैं. वहीं, दरभंगा जिले के युवक जलालुद्दीन ने अपनी विकलांगता को अपनी हौसलों में बदलकर एक नया इतिहास रच दिया है. जलालुद्दीन ने बताया कि उनकी मां बिस्किट बेचकर अपने परिवार का गुजारा करती थी।

7 फरवरी 1998 को जब उनकी मां बिस्कुट बेचने कमतौल रेलवे स्टेशन के लिए अपने घर से निकली तो मां के पीछे जलालुद्दीन भी चल पड़ा. शाम के वक्त बिस्किट बेचकर अपनी मां के साथ कमतौल रेलवे स्टेशन से टकटार स्टेशन अपने घर आने के दौरान जलालुद्दीन के पॉकेट में रखे 400 रुपए को कुछ युवकों ने छीनने का प्रयास किया. इसी दौरान किसी ने पीछे से धक्का दे दिया और जलालुद्दीन ट्रेन से नीचे गिर गया. जिसमें उसका एक पैर कट गया . उस वक्त जलालुद्दीन की उम्र महज 6 साल की थी. जलालुद्दीन आगे बताते हैं कि वह एशियाई चैंपियनशिप में दो सिल्वर मेडल जीत चुके हैं. साल 2016 में नॉनस्टॉप 12 घंटे तक साइकलिंग कर 300 किलोमीटर एक पैरों से साइकलिंग कर लिम्का बुक का रिकॉर्ड प्रतियोगिता में भाग लिया था जो कि लखनऊ में आयोजित किया गया था।

खिलाड़ी से बने अधिकारी

जलालुद्दीन का हौसला उस वक्त टूटने लगा जब इतनी मेहनत के बाद सरकारी आला अधिकारियों से किसी प्रकार की कोई भी सहायता आर्थिक रूप से उन्हें नहीं मिल रही थी. लेकिन दरभंगा के एक उज्जवल नाम के युवक ने जलालुद्दीन का साथ दिया. आज जब सरकार मेडल लाओ नौकरी पाओ स्कीम चलाई तब जलालुद्दीन की मेहनत रंग लाई और एशियन चैंपियनशिप में जीते मेडल ने जलालुद्दीन को अधिकारी बना दिया।

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