बिहार में राज्यसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी के नेता जो कहानी बता रहे हैं वह वाकई दिलचस्प है. बिहार से राज्यसभा की दो सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं. एक सीट के लिए उम्मीदवार पहले से तय था. दूसरी सीट पर प्रत्याशी तय के लिए जो बीजेपी आलाकमान ने जो किया, उससे एक स्पष्ट मैसेज मिला है. बिहार बीजेपी में सम्राट चौधरी के अच्छे दिन खत्म हो गये हैं. सिर्फ पगड़ी ही नहीं गयी बल्कि रूतबा भी चला गया है।
सम्राट के साथ हो गया खेल
बता दें कि बिहार में राज्यसभा की दो सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं. विवेक ठाकुर औऱ मीसा भारती के लोकसभा चुनाव जीतने के कारण दो सीट खाली हुए हैं और उन पर उपचुनाव हो रहे हैं. जेडीयू से हुई डील के मुताबिक बीजेपी ने दोनों सीटें मांग ली थी. एक सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को भेजने का फैसला पहले ही ले लिया गया था. दूसरी सीट पर बीजेपी के किसी नेता को भेजना था. 21 अगस्त को राज्यसभा उप चुनाव के लिए नामांकन करने का आखिरी दिन है. 20 को बीजेपी ने दूसरे उम्मीदवार के नाम का एलान किया. पार्टी के ही लोग बता रहे हैं कि सम्राट चौधरी के साथ दोनों मामलों में खेल हो गया।
पॉकेट से पुर्जा नहीं निकाल पाये सम्राट
बिहार में राज्यसभा की दूसरी सीट के लिए उम्मीदवार तय करने के लिए बीजेपी आलाकमान ने 19 अगस्त को अपने दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी औऱ विजय कुमांर सिन्हा के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को दिल्ली तलब किया था. बीजेपी के एक नेता ने बताया कि नये नये प्रदेश अध्यक्ष बने दिलीप जायसवाल और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा का कोई अपना उम्मीदवार नहीं था. लेकिन, सम्राट चौधरी पूरी तैयारी के साथ गये थे. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक दिल्ली रवाना होने से पहले सम्राट चौधरी ने अपने सम्रर्थकों को आश्वस्त किया था कि उम्मीदवार तो उनकी मर्जी का ही होगा. लेकिन उनके साथ अलग ही खेल हो गया।
20 अगस्त की सुबह सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा औऱ दिलीप जायसवाल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर पर बुलाया गया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और दूसरे राष्ट्रीय पदाधिकारी वहां मौजूद थे. बीजेपी के एक वरीय नेता ने बताया कि बिहार के नेताओं के पहुंचते ही अमित शाह ने बिहार के पॉलिटिक्स पर कुछ बाते कीं. फिर राज्यसभा चुनाव के उम्मीदवार पर चर्चा हुई. दिलीप जायसवाल औऱ विजय सिन्हा चुप रहे लेकिन सम्राट चौधरी ने उम्मीदवार पर अपनी राय देनी चाही. अमित शाह ने उनकी बात का नोटिस ही नहीं लिया. एक लाइन में फैसला सुनाया- पार्टी ने मनन कुमार मिश्रा को उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया है. जाइये और उनके नामांकन की तैयारी करिये. इसके साथ ही बैठक खत्म हो गयी।
सम्राट के तीन उम्मीदवार
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक सम्राट चौधरी तीन नेताओं की सूची लेकर गये थे, जिनमें से किसी एक को वे राज्यसभा भेजना चाहते थे. पहला नाम उस नेता का था, जिसे सम्राट चौधरी अपने बदले बिहार बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते थे. लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनकी बात नहीं मानी थी. सम्राट चौधरी की दूसरी पसंद थे-बीजेपी के एक पूर्व राज्यसभा सांसद के पुत्र. वे काफी अर्से से सम्राट चौधरी के निजी मित्र रहे हैं. इन दोनों के उम्मीदवार नहीं बनने पर सम्राट के पास तीसरा नाम भी था. दरअसल सम्राट चौधरी जब प्रदेश अध्यक्ष थे, तो चार लोगों की चौकड़ी का प्रदेश भाजपा पर कब्जा था. उनमें से एक सम्राट चौधरी के तीसरे उम्मीदवार थे. सम्राट चौधरी अपने पॉकेट में इन्हीं तीन नामों का पुर्जा लेकर गये थे. लेकिन आलाकमान ने जुबान खोलने तक का मौका नहीं दिया।
उपेंद्र कुशवाहा से भी करारा झटका लगा था
वैसे, पिछले महीने बीजेपी की ओऱ से ये एलान किया गया था कि उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजा जायेगा. अपनी पार्टी के आलाकमान के निर्देश पर सम्राट चौधरी ने ही ये घोषणा की थी. लेकिन उनके दिल पर कितना बोझ था, ये कहानी बीजेपी के लिए लोग बताते हैं. बीजेपी के एक नेता ने फर्स्ट बिहार को बताया कि सम्राट चौधरी जब से बीजेपी में पावरफुल हुए तब से किसी दूसरे कुशवाहा नेता को उभरने नहीं दिया।
बीजेपी नेता ने बताया कि सम्राट चौधरी की ही देन थी कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में किसी कुशवाहा को टिकट नहीं दिया. अपनी पार्टी से लड़ रहे उपेंद्र कुशवाहा चुनाव हार गये. उपेंद्र कुशवाहा बार-बार ये कह रहे हैं कि वे चुनाव हारे नहीं बल्कि उन्हें हरवाया गया. वे सम्राट चौधरी का नाम नहीं लेते हैं लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि उन्हें किसने हरवाया ये सब को पता है. सियासी गलियारे में ये चर्चा होती रहती है कि सम्राट चौधरी का टार्गेट था कि उपेंद्र कुशवाहा चुनाव नहीं जीत पाये. अगर वे चुनाव जीत जाते तो केंद्र में मंत्री बनते और बिहार में कुशवाहा का दूसरा नेता खड़ा हो जाता. अब उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा जा रहे हैं और नरेंद्र मोदी के अगले कैबिनेट विस्तार में अगर मंत्री बन जायें, तो हैरानी की बात नहीं होगी।
सम्राट के अच्छे दिन खत्म
बीजेपी में ये चर्चा आम है कि पार्टी में सम्राट चौधरी के अच्छे दिन खत्म हो गये हैं. पार्टी आलाकमान के पास ये रिपोर्ट है कि लोकसभा चुनाव में सम्राट चौधरी अपनी जाति का वोट एनडीए को नहीं दिलवा पाये. बीजेपी संगठन के एक वरीय पदाधिकारी ने आलाकमान को रिपोर्ट दी है कि सम्राट चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष रहते पार्टी का संगठन छिन्न-भिन्न हो गया. सम्राट चौधरी के कुछ निजी लोगों ने संगठन पर एक तरीके से कब्जा कर लिया था. ऐसे में बीजेपी के ज्यादातर मूल कार्यकर्ता और नेता निष्क्रिय हो गये थे. लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. लोकसभा चुनाव में बिहार बीजेपी को आलाकमान की ओऱ से भेजे गये फंड का हिसाब किताब नहीं मिलने की भी चर्चा आम है।
ऐसी चर्चाओं के बीच ही बीजेपी ने सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया था. नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में भी उनकी कोई राय नहीं ली गयी थी. अब राज्यसभा चुनाव में भी सम्राट चौधरी की कुछ नहीं चली. जाहिर है चर्चा हो रही है कि सम्राट के बीजेपी में अच्छे दिन खत्म हो गये।