बिहार सरकार के कैबिनेट विभाग ने 5 दिन पहले यानि 13 मार्च को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश ने बिहार के राजनीतिक हलके खासकर बीजेपी के अंदर खलबली पैदा कर दी थी. 13 मार्च को बिहार सरकार के कैबिनेट विभाग ने पत्र जारी कर कहा था कि पूर्व विधायक स्व. पार्वती देवी की जयंती पर हर साल 15 मार्च को राजकीय समारोह मनाया जायेगा. इस साल 15 मार्च को राजकीय समारोह मनायी भी गयी. स्व. पार्वती देवी बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की मां थीं.
आज सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है. इस पत्र में सम्राट चौधरी ने अपनी मां की जयंती के मौके पर राजकीय समारोह आयोजित करने के सरकारी फैसले को वापस लेने की मांग की है. इस सियासी ड्रामे से सियासी गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म है.
पूरा मामला समझिये
13 मार्च को बिहार सरकार के कैबिनेट विभाग ने पूर्व विधायक स्व. पार्वती देवी की जयंती पर उनके घर तारापुर में राजकीय समारोह बनाने का पत्र जारी किया था. कैबिनेट की ओऱ से जारी पत्र में कहा गया था कि पूर्व विधायक स्व. पार्वती देवी ने सामाजिक एवं विकास काम में महत्वपूर्ण योगदान दिया था, जिसे देखते हुए उनकी जयंती पर हर साल 15 मार्च को राजकीय समारोह मनाया जायेगा.
अब स्व. पार्वती देवी के बारे में भी विस्तार से जानिये. 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में समता पार्टी के नेता शकुनी चौधरी खगड़िया लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गये थे. वे उस समय तारापुर से विधायक थे. सांसद चुने जाने के बाद उन्हें विधायक पद से इस्तीफा दिया तो उप चुनाव हुए. समता पार्टी ने शकुनी चौधरी की पत्नी पार्वती देवी को तारापुर से अपना उम्मीदवार बनाया और वे चुनाव जीत गयीं. पार्वती देवी 1998 से 2000 तक करीब दो साल के तारापुर क्षेत्र से विधायक रही थीं.
2000 में जब बिहार विधानसभा के चुनाव हुए तो शकुनी चौधरी ने नीतीश कुमार की पार्टी का साथ छोड़ कर लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी का दामन थाम लिया था. इससे पहले 1999 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने शकुनी चौधरी को टिकट नहीं दिया था. 2000 के विधानसभा चुनाव में शकुनी चौधरी अपनी पत्नी पार्वती देवी के बजाय खुद तारापुर से विधानसभा चुनाव में उतरे और आरजेडी के विधायक चुने गये थे.
पार्वती देवी को राजकीय सम्मान से मची थी खलबली
बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की मां स्व. पार्वती देवी के नाम पर राजकीय समारोह के फैसले से बिहार बीजेपी में सबसे ज्यादा खलबली मची थी. हालांकि कोई खुल कर बोल नहीं रहा था कि लेकिन पार्टी के कई नेता ये कह रहे थे कि बिहार बीजेपी के भीष्म पितामह कहे जाने वाले कैलाशपति मिश्रा की जयंती पर कोई राजकीय समारोह नहीं होता. जबकि वे बिहार सरकार में वित्त मंत्री से लेकर राज्यपाल तक रहे थे. जनसंघ से लेकर बीजेपी को खड़ा करने में कुर्बानी देने वाले स्व. ताराकांत झा और स्व. ठाकुर प्रसाद जैसे नेताओं की जयंती पर भी बिहार में राजकीय समारोह नहीं होता.
बीजेपी के नेताओं का एक तबका ये आरोप लगा रहा था कि सम्राट चौधरी डिप्टी सीएम बन कर जो कर रहे हैं उससे पार्टी को भारी नुकसान होने वाला है. सम्राट चौधरी के कारण पार्टी का कोर वोटर में नाराजगी बढ़ती जा रही है और बीजेपी को अगले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. ये बात बीजेपी के आलाकमान तक पहुंचायी गयी थी.
सम्राट चौधरी का पत्र
तीन दिन पहले जब स्व. पार्वती देवी की जयंती पर राजकीय समारोह हुआ था तो सम्राट चौधरी उसमें खुद मौजूद थे. लेकिन मंगलवार को उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में सम्राट चौधरी ने लिखा है “ मेरे लिए यह अत्यन्त ही गर्व की बात है कि मुझे आपके कुशल नेतृत्व में बिहार की एन०डी०ए० सरकार में दायित्व निर्वहन का अवसर मिला है. यह आपकी महान संवेदनशीलता है कि आपने मेरी पूजनीय माता भूतपूर्व विधायिका स्व० पार्वती देवी जी के सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यों को पहचानते हुए उनकी जयन्ती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. यह निर्णय मेरी पूजनीया माता के प्रति आपकी श्रद्धा सम्मान और आपके विराट व्यक्तित्व का परिचायक है. अनुरोध है कि मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार, पटना के पत्रांक-272, दिनांक 13.03.2025 को वापस लेने की कृपा की जाय.”
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