Bihar

ग्रामीण महिला उद्यमियों के संघर्षों को बयां कर रहा सरस मेला

पटना: सरस मेला में ग्रामीण महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन की झलक के साथ उन हुनरमंदों द्वारा निर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी सह बिक्री हो रही है जो कल तक गुमनामी का जीवन व्यतीत कर रहे थे। लेकिन अब उनके हुनर को स्वरोजगार से जोड़कर स्वावलंबी बनाया गया है। जीविका के सामाजिक विकास विधा द्वारा सामाजिक समावेशन के तहत दिव्यांगों द्वारा निर्मित अगरबत्ती, मोमबत्ती, लाह की चूड़ियां, कागज और कपड़ों के झोले, मुख्यमंत्री भिक्षाटन निवारण योजना के तहत भिक्षावृत्ति छुड़ाकर आत्मनिर्भर बनाए गए हुनरमंदों के द्वारा निर्मित जूट के पर्स, झोले, टेराकोटा के उत्पाद और अगरबत्ती आदि तथा मुक्ति बाजार के अंतर्गत बिहार के कारा में बंदियों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प की प्रदर्शनी सह बिक्री हो रही है। सरस मेला में प्रदर्शित और बिक्री हो रहे शिल्प को देखकर एक तरफ बुजुर्ग हर्षित हो रहे हैं तो दूसरी तरफ युवा पीढ़ी सदियों पुरानी शिल्प, संस्कृति, परंपरा और देशी व्यंजनों से रूबरू हो रही है।

मेला में हर वस्तु और व्यंजन उपलब्ध

बिहार के सभी जिलों के हस्तशिल्प और व्यंजन के साथ ही 25 अन्य राज्यों से आई ग्रामीण महिलाएं और स्वरोजगारी एक दूसरे की भाषा, शिल्प और हुनर से परिचित हो रहे हैं। मेला में हर वो वस्तु और व्यंजन उपलब्ध है जो अन्य किसी मेला या बाजार में शायद ही दिखे। लिहाजा यहां प्रदर्शित एवं बिक्री के लिए उपलब्ध उत्पादों का क्रेज आगंतुकों के बीच बना हुआ है। पांच दिनों में 5 सौ से अधिक स्टॉल और ओपेन एरिया में सुसज्जित स्थलों से खरीद -बिक्री का आंकड़ा लगभग 4 करोड़ 95 लाख रूपया है। मेला के पांचवे दिन सोमवार को 81 लाख 81 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद- बिक्री हुई है l सरस मेला के छठे दिन मंगलवार को अनुमानतः 70 हजार से अधिक लोग आए।

सेमिनार हॉल में विभिन्न संस्थाओं द्वारा समसामयिक मुद्दों पर परिचर्चा जारी 

सरस मेला परिसर में जन- जागरूकता अभियान, लोक कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को लाभान्वित और सुधी दर्शकों को लोक कलाकार राज्य की लोक गीत और लोक नृत्य तथा गजल आदि की संगीतमय प्रस्तुति से झूमा रहे हैं। सेमिनार हॉल में विभिन्न संस्थाओं द्वारा समसामयिक मुद्दों पर परिचर्चा और ज्ञानवर्धन चर्चाएं जारी है। मंगलवार को सामाजिक विकास विधा , जीविका द्वारा पाक्सो एक्ट -2012 पर उन्मुखीकरण किया गया। कार्यक्रम के तहत जीविका से सामाजिक विकास प्रबंधकों को बच्चों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न एवं उससे सुरक्षा से सम्बधित तथ्यों पर चर्चा हुई। सी-3 की लैंगिक विशेषज्ञ गुंजन बिहारी ने पाक्सो एक्ट पर विस्तृत चर्चा की। बजाओ रेडियो द्वारा ऑनलाइन गीत-संगीत की प्रस्तुति मेला में फिज़ा को और संगीतमय बना रही है। बिहार सरकार की सतत जीविकोपार्जन योजना के लाभान्वित और जल जीवन हरियाली अभियान के तहत दीदी की पौधशाला से पौधों की बड़े पैमाने पर बिक्री योजनाओं और अभियानों की सफलता की बानगी पेश कर रहे हैं।

पालना घर, फूड जोन, फैन जोन और सेल्फी जोन के प्रति आगंतुकों का आकर्षण देखते ही बन रहा है। मुख्य सांस्कृतिक मंच पर जागरण ग्रुप ,पटना के लोक कलाकारों ने झिझिया, जट-जटीन, कजरी आदि की प्रस्तुति की। “तोहरा से राजी ना रे बलमुआ और ऊँची रे अटरिया” जैसे गीतों पर नृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झुमाया। मंच संचालन नाज़िश बानो, राज्य प्रबंधक, जीविका ने किया।


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Kumar Aditya

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