“पैसे बचाकर घर बनाइए, बड़ी हो चुकी लड़कियों के साथ सड़क पर रहना ठीक नहीं” अब बेटी बन गई CA
एक लिंक्डइन पोस्ट में, चार्टर्ड अकाउंटेंट अमिता प्रजापति ने एक भावुक वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में खुशी के आंसू रोक पाना उनके और उनके पिता के लिए मुश्किल था. दरअसल, अमिता ने दस साल की लगातार मेहनत के बाद आखिरकार CA परीक्षा पास कर ली थी. अमिता प्रजापति का सफर आसान नहीं था. अपनी भावुक पोस्ट में उन्होंने उन कठिनाइयों के बारे में बताया जो उन्होंने दस सालों में झेलीं थीं. उन्होंने लिखा, “पूरे दस साल लग गए. हर दिन, आंखों में ख्वाब सजाए, मैं खुद से पूछती थी कि क्या यह सिर्फ एक सपना है या कभी पूरा होगा भी?” 11 जुलाई, 2024 को वह सपना हकीकत बन गया. उन्होंने पोस्ट में लिखा, “हां, सपने सच होते हैं.”
अमिता प्रजापति ने अपनी पोस्ट में दूसरों द्वारा दिए गए तानों और आलोचनाओं के बारे में भी बताया. कई लोगों ने सवाल किया कि आखिर उनके माता-पिता ने “औसत से कम पढ़ने वाली छात्रा” के लिए इतने बड़े कोर्स में पैसा क्यों लगाया. कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके परिवार को पढ़ाई की बजाय पैसे बचाने और घर बनाने पर ध्यान देना चाहिए था. झुग्गी में रहने के कारण भी उनका अक्सर मजाक उड़ाया जाता था और उनकी सफलता पर शक किया जाता था।
अमिता ने पोस्ट में लिखा, “लोग कहा करते थे, ‘इतना बड़ा कोर्स क्यों करवा रहे हो? तुम्हारी बेटी ये कर नहीं पाएगी.'” ये कठोर शब्द सुनने के बाद भी अमिता अपने लक्ष्य को पाने के लिए अडिग रहीं. उन्होंने आगे लिखा, “कुछ लोगों का कहना था कि चाय बेचकर आप उसे इतना ज्यादा पढ़ा नहीं सकते. पैसे बचाकर घर बनाइए. बड़ी हो चुकी लड़कियों के साथ सड़क पर रहना भी ठीक नहीं है.”
अपनी साधारण शुरुआत के बारे में लिखते हुए अमिता ने कहा, “हां, ‘बिल्कुल,’ मैं झुग्गी में रहती हूं (बहुत कम लोगों को ये पता है), लेकिन अब मुझे इसकी कोई शर्म नहीं है.” उन्होंने अपनी जड़ों को स्वीकार किया और अपनी उपलब्धियों का क्रेडिट अपने “जुनूनी दिमाग” को दिया. “कुछ लोग कहा करते थे, ‘झुग्गी में रहने वाले, ये तो पागल होते हैं.’ सच है, बिल्कुल सही है, अगर मेरा दिमाग पागल न होता तो मैं आज यहां तक नहीं पहुंच पाती.”
उनकी दस साल की जर्नी एक भावुक पल के साथ खत्म हुई, जिसमें उनके पिता शामिल थे. उन्होंने लिखा, “पहली बार मैं अपने पिता को गले लगाकर रोई; यही तो शांति है.” अमिता ने अपने माता-पिता के अटूट विश्वास और उनके बलिदानों के लिए आभार व्यक्त किया, जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।
दस साल के सफर को याद करते हुए अमिता ने लिखा, “मैंने इस पल का बहुत इंतजार किया. खुली आंखों से इस सपने को बार-बार देखा और आज ये हकीकत बन गया है.” दूसरों के लिए उनका मैसेज साफ और मजबूत था, उन्होंने लिखा, “मैं सभी को बताना चाहती हूं कि कभी भी देर नहीं होती, और सपने जरूर पूरे होते हैं.”
अमिता प्रजापति की कहानी लगन, हार न मानने की भावना और सपनों की ताकत की जीती जागती मिसाल है. उनकी ये उपलब्धि न सिर्फ उनके अपने लंबे समय के सपने को पूरा करती है बल्कि उन सभी लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरती है जो खुद को उसी तरह की मुश्किलों से जूझता हुआ पाते हैं।
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