Sawan 2023: बैद्यनाथ धाम जिसके दर्शन मात्र से मिलती है रोगों से मुक्ति, जाने क्या है पंचशूल का रहस्य

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भारत के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक सुप्रसिद्ध बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग आमतौर पर बैद्यनाथ धाम से जाना जाता है । इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है।यह ज्योतिर्लिंग भारतवर्ष के झारखंड नामक राज्य मे स्थित है । यह एक सिद्धपीठ है,इसलिये इसे कामना लिंग भी कहा जाता है । बैद्यनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध देवघर को देवी-देवताओं का घर माना जाता है। यह मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल भी है।

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व इसलिये भी है क्योंकि यह माता के 51 शक्तिपीठों मे से एक है,जहाँ माता का हृदय विराजमान है, यह शक्तिपीठ हाद्रपीठ के रूप में जानी जाती है।पुराणों के विवरण अनुसार, इस मंदिर को देव शिल्पि विश्वकर्मा जी ने बनाया है और कुछ इतिहासकारों का कहना है कि अभी की संरचना सन् 1496 में गिधौर (जिला – जमुई, बिहार) के राजा पूरनमल ने बैधनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।एक मान्यता के अनुसार बैजू नामक एक चरवाहे ने इस ज्योतिर्लिंग की खोज की थी और उसी के नाम पर इस जगह का नाम वैद्यनाथ धाम पड़ा। वैजू मंदिर ज्योतिर्लिंग मंदिर से 700 मीटर दूर ही स्थापित है।

यहां का श्रावणी मेला Sawan 2023 विश्वप्रसिद्ध है ।श्रावण मास मे बडी तादाद मे शिव भक्त पूजा के लिये सुल्तानगंज से देवघर तक 105 किलोमीटर पैदल चलकर गंगा जल लेकर भगवान शिव पर अभिषेक करते है और पूजा करते है ।ऐसी मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वंय भगवान विष्णु ने की थी।परिसर के अंदर बाबा बैद्यनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा 21 मंदिर हैं जहां प्राथमिक लिंग मौजूद हैं। ये एकमात्र ऐसा स्थान है जहा शिव और शक्ति का मिलन स्थल भी कहा जाता है ।मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।

मंदिर के शीर्ष पर स्थापित है पंचशूल:

हिंदू धर्म मे मान्यता अनुसार सभी मंदिरो मे शीर्ष पर त्रिशूल लगा रहता है ,लेकिन बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर मे त्रिशूल की जगह पंचशूल ( त्रिशूल के आकार में पांच चाकू) लगा है ।मंदिर परिसर मे अन्य मंदिर जैसे लक्ष्मीनारायण मंदिर,शिव, पार्वती मंदिर मे भी त्रिशूल की जगह पंचशूल देखने को मिलेंगे।इसे सुरक्षा कवच माना जाता है ।कहा जटा है की इस पंचशूल को रावण के अलावा कोई नही भेद सकता था,यहा तक की भगवान श्री राम भी इसे भेद्ना नही जानते थे।बाद मे विभिषण ने प्रभू श्री राम को इसे भेदना बताया।इस पंचशूल की वजह से बाबा धाम मे किसी प्राकृतिक आपदा का खतरा नही रहता है ।शिवरात्री के दो दिन पहले पंचशूल को उतारा जाता है ।इसे छूने के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है ।सभी पंचशूलो की एक दिन पूर्व विशेष रूप से पूजा की जाती है और सभी पंचशूलो को मंदिर पर यथास्थान स्थापित किया जाता है ।इसी दौरान बाबा शिव का और माता पार्वती का गठबंधन हटा दिया जाता है और शिवरात्री के दिन नया गठबंधन किया जाता है ।

सावन का श्रावणी मेला:

बाबा बैद्यनाथ धाम मे मनाये जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार महाशिवरात्रि और सावन का श्रावणी मेला है ।ये दोनो ही त्योहार यहा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ।सावन के महीने मे इस मेले की शुरुआत होती है । सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। प्रतिदिन मंदिर दर्शन के लिए प्रातः 4:00 बजे से 3:30 बजे तक तथा सायं 6:00 से 9:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर प्रांगण में प्रवेश के लिए मंदिर सुवह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। इस बार यह मेला मलमास होने की वजह से दो महीने चलेगा।इस मेले मे शिव झांकी,शिव तंडाव,शिवलिंग की स्थापना, से लेकर रावण वार्ता तक सब कुछ दिखाया जाता ।

बाबा बैद्यनाथ मंदिर कैसे पहुचा जाये:

Sawan 2023: आप बाबा बैद्यनाथ मंदिर रेलमार्ग,सड़कमार्ग,और हवाई जहाज़ द्वारा जा सकते है ।

देवघर बस स्टैंड मंदिर से 2 किमी दूर है ।

देवघर रेलवे स्टेशन 3 किमी है ।

बैद्यनाथ धाम रेलवे स्टेशन 2 किमी है ।

बिरसा मुंडा हवाईअड्डा रांची 250 किमी है ।

लोक नायक हवाईअड्डा पटना 255 किमी है ।

देवघर हवाईअड्डा 9 किमी है ।

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