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नदी पार कर जाते थे स्कूल, कर्ज के पैसे से की UPSC की तैयारी; तीसरे प्रयास में बने IAS वीर प्रताप सिंह राघव

हर दिन हम आपके लिए आईएएस अधिकारियों के संघर्ष की कहानियां लेकर आते हैं। इसी कड़ी में आज हम एक ऐसे शख्स की कहानी बता रहे हैं, जिसके पिता के पास भले ही IAS जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने बेटे का हर हाल में साथ दिया। इस शख्स के पिता ने कर्ज लेकर अपने बेटे से यूपीएससी की तैयारी कराई और बेटे ने भी परीक्षा में 92वीं रैंक हासिल कर एक मिसाल कायम की।  हम जिस नाम की बात कर रहे हैं उनका नाम आईएएस वीर प्रताप सिंह राघव है। आइए जानते हैं उनकी संघर्ष की कहानी…

तीसरे प्रयास में 92वीं रैंक हासिल की

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के दलपतपुर गांव के रहने वाले वीर प्रताप सिंह राघव ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर 92वीं रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। एक किसान के बेटे वीर प्रताप सिंह राघव ने बचपन से ही आर्थिक तंगी देखी, लेकिन पढ़ाई के प्रति जुनून ने उन्हें आईएएस बनने के लिए प्रेरित किया।

बड़े भाई का भी सपना था IAS बनने का

उनके बड़े भाई का भी आईएएस बनने का सपना था, लेकिन उन्होंने आर्थिक स्थिति के कारण इस सपने को छोड़ दिया और सीआरपीएफ में शामिल हो गए। आईएएस वीर प्रताप सिंह राघव वर्तमान में तमिलनाडु में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं।

पिता ने ब्याज पर पैसे लेकर अपने बेटे को पढ़ाया

बुलंदशहर के दलपतपुर गांव निवासी वीर प्रताप सिंह राघव के पिता सतीश राघव किसान हैं। उनकी कमाई से घर के खाने-पीने की जरूरतें पूरी होती थीं। उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे जुटाने में मुश्किल होती थी। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते गए, उनकी फीस का दबाव बढ़ता गया। इसके बाद पिता ने ब्याज पर पैसे लेकर बेटे वीर प्रताप सिंह राघव को यूपीएससी की तैयारी कराई।

2 बार फेल हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी

वह 2016 और 2017 में भी परीक्षा में शामिल हुए थे लेकिन असफल रहे। असफलता से उन्हें दुख तो हुआ लेकिन उन्होंने अपना मनोबल नहीं टूटने दिया। परिवार को भी अपने बेटे की प्रतिभा और मेहनत पर पूरा भरोसा था। कर्ज का ब्याज बढ़ रहा था लेकिन उन्हें भरोसा था कि एक दिन बेटा जरूर कामयाब होगा और ब्याज समेत कर्ज की रकम चुका देगा।

रोजाना 10 किलोमीटर पैदल चलकर की पढ़ाई

उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा आर्य समाज स्कूल, करोड़ा और छठी कक्षा से हाई स्कूल तक सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर, शिकारपुर में की। उनका प्राथमिक विद्यालय उनके घर से पांच किलोमीटर दूर था और उन्हें वहां पैदल जाना पड़ता था। वह रोजाना 10 किलोमीटर पैदल सिर्फ पढ़ने के लिए जाते थे। गांव में पुल नहीं था इसलिए वे स्कूल जाने के लिए नदी पार करते थे।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में किया बीटेक

वीर प्रताप सिंह राघव ने 2015 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इंजीनियरिंग बैंकग्राउंड के वीर प्रताप राघव मुख्य परीक्षा के परिणाम में दर्शनशास्त्र में सर्वोच्च स्कोरर के रैंक में दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें दर्शनशास्त्र में 500 में से 306 अंक मिले हैं।


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Rajkumar Raju

5 years of news editing experience in VOB.

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