अहमदाबाद के अंडर-19 स्कूली टूर्नामेंट में 18 वर्षीय बल्लेबाज द्रोण देसाई ने सनसनी मचा देने वाली बल्लेबाजी की है। उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल की ओर से खेलते हुए 498 रन का स्कोर बनाया है। अपनी इस पारी से द्रोण देसाई ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। द्रोण देसाई सबसे ज्यादा रन का स्कोर बनाने वाले देश के छठवें क्रिकेटर बन गए हैं। द्रोण की इस पारी की बदौलत टीम ने 712 रन के अंतर से ये मैच अपने नाम कर लिया है। विपक्षी टीम जेएल इंग्लिश स्कूल के गेंदबाज द्रोण देसाई के खिलाफ पूरे मैच में बेबस नजर आए।
इस तरह खेला मैच
अहमदाबाद के एक अंडर-19 टूर्नामेंट में सेंट जेवियर्स स्कूल की ओर से खेलते हुए दाएं हाथ के बल्लेबाज द्रोण देसाई ने 320 गेंद पर 498 रन की पारी खेली। उन्होंने ये रन 155.62 के स्ट्राइक रेट से बनाए। अपनी इस पारी के दौरान वह कुल 372 मिनट तक क्रीज पर डटे रहे। अपनी पारी में द्रोण देसाई ने 93 चौके-छक्के भी लगाए। इसमें 86 चौके और 7 छक्के शामिल हैं। हालांकि, द्रोण देसाई महज 2 रन के अंतर से 500 रन बनाने से चूक गए और आउट हो गए। इस समय टीम का स्कोर 775 रन था। टीम ने 844 रन के स्कोर पर अपनी पहली पारी घोषित कर दी। इसके जवाब में जेएल इंग्लिश स्कूल ने पहली पारी में 40 और दूसरी पारी में 92 रन का स्कोर ही बना सकी।
बने देश के छठे क्रिकेटर
द्रोण देसाई इतना बड़ा स्कोर बनाने वाले देश के छठे बल्लेबाज बन गए हैं। इससे पहले मुंबई के प्रणव धनावड़े ने नाबाद 1009 रन बनाए थे। ये भारत में किसी भी क्रिकेटर का अब तक का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है। दूसरे नंबर पर पृथ्वी शॉ हैं, जिन्होंने 546 रन की पारी खेली थी। वहीं, डॉ. हवेवाला ने 515, चमनलाल ने 506 और अरमान जाफर ने 498 रन की पारी खेली थी। द्रोण देसाई ने भी 498 रन का स्कोर बनाकर अरमान जाफर के स्कोर की बराबरी कर ली है और सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत सबसे बड़ा स्कोर बनाने वाले देश के छठे बल्लेबाज बन गए हैं।
क्या बोले द्रोण देसाई
अपने इस लाजवाब प्रदर्शन के बाद भी द्रोण देसाई निराश नजर आए। वह 500 के आंकड़े नहीं छू पाने का मलाल कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि वह 498 रन के स्कोर पर खेल रहे हैं। मैदान पर कोई भी स्कोरबोर्ड नहीं था, जिससे उन्हें बिल्कुल भी इसकी भनक नहीं थी। लेकिन वह खुश हैं कि वह इतना रन बनाने में कामयाब रहे हैं। उन्हें क्रिकेट खेलने की प्रेरणा सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी देखने के बाद मिली। वह सात साल की उम्र में क्रिकेट खेल रहे हैं। उनके पिता ने ही उन्हें क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित किया क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके बेटे में क्रिकेटर बनने की क्षमता है। उन्होंने ने ही जयप्रकाश पटेल की एकेडमी में उनका दाखिला कराया, जिन्होंने 40 से ज्यादा क्रिकेटरों को कोचिंग दी है। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन वो क्रिकेट में बड़ा नाम कमाएंगे।