राज्य के बहुचर्चित सिपाही बहाली परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) जल्द ही इस मामले में दूसरी चार्जशीट दायर कर सकती है। जांच एजेंसी जांच को तेजी से अंतिम परिणाम तक पहुंचाने की कवायद में जुटी हुई है। हालांकि मुख्य आरोपित सेटर गैंग के सरगना संजीव मुखिया समेत कुछ अन्य प्रमुख आरोपितों की गिरफ्तारी अब भी चुनौती बनी हुई है। ईओयू केन्द्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) से किसी की संलिप्तता के पहलू पर जांच कर रही है और इसकी चार्जशीट में ऐसे सूत्रधारों के नाम शामिल किए जा सकते हैं। गौर हो कि पहली चार्जशीट चार दिन पहले 23 अगस्त को दायर की गई थी।
ईओयू की विशेष टीम अब तक चयन पर्षद के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी से पहले भी दो-तीन बार पूछताछ कर चुकी है। अभी कुछ अहम पहलुओं से संबंधित जांच जारी है। करीब 10 माह से चल रही जांच के बाद दायर पहली चार्जशीट में 16 नामजद अभियुक्त बनाए गए हैं। इनमें सेटरों के साथ मिलीभगत कर प्रश्नपत्र लीक करने में शामिल कुरियर कंपनी और प्रिंटिंग प्रेसकर्मियों के नाम शामिल हैं। मगर सिपाही चयन पर्षद के किसी कर्मी या प्रश्नपत्र को लीक करने में खासतौर से इनकी मदद करने वाले सूत्रधारों के नाम अब तक सामने नहीं आए हैं। जांच में प्रश्नपत्र लीक के मॉडस ऑपरेंडी की जानकारी तो सामने आई है, लेकिन कुछ अहम तथ्यों की तलाश अभी जारी है। प्रश्नपत्र छापने और पैक की जिम्मेदारी जिस प्रेस को थी, उसका कार्यालय कोलकाता के एक कमरे में चलता था। इस कंपनी ने किसी दूसरे के पास इन प्रश्नपत्रों को छपवाया था। इस फर्जी कंपनी के निदेशकों की भी गिरफ्तारी हुई है। यहां सवाल उठता है कि चयन पर्षद के स्तर से बिना समुचित जांच ऐसी फर्जी कंपनी को प्रश्नपत्र छापने का इतना बड़ा और संवेदनशील ठेका कैसे दे दिया गया। सेटरों को इस कंपनी में प्रश्नपत्र के छापे जाने की जानकारी पहले कैसे मिल गई थी, जिसकी बदौलत ये सेटिंग में कामयाब रहे।
पहली चार्जशीट के 16 नामजद अभियुक्त पहली चार्जशीट में अश्विनी रंजन, विक्की कुमार, अनिकेत उर्फ बादशाह, डॉ. शिव (संजीव मुखिया का बेटा), प्रदीप कुमार, सुमित कुमार, संदीप पासवान, अभिषेक केशरी, राहुल पासवान, रमेश कुमार, कौशिक कर, सौरभ बंदोपाध्याय, सुमन विस्वास, संजय दास, करण कुमार और अमित आनंद को नामजद बनाया गया है।
सेटरों तक कैसे पहुंची जानकारी, जांच जारी
जेनिथ नामक जिस लॉजिस्टिक कंपनी को प्रश्नपत्र को जिलों में पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जानकारी सेटरों को कहां से मिली? पटना के वेयर हाउस से गाड़ी के खुलने से लेकर इनका पूरा रूट चार्ट सेटरों को पता था। तभी इन्होंने कंपनी के मुंशी रमेश और राहुल पासवान के साथ साठगांठ कर मोतिहारी जाने वाली गाड़ी को रास्ते में रोककर इसके बॉक्स में रखे प्रश्नपत्र को निकाल लिया। प्रश्नपत्र किस प्रिंटिंग प्रेस में छप रहा है और किस लॉजिस्टिक कंपनी से भेजा रहा है, इसकी जानकारी चयन पर्षद के अध्यक्ष के अलावा कुछ एक लोगों को ही होती है।