बिहार के जिस क्षेत्र में कभी नक्सलियों का खौफ था आज उसी क्षेत्र से पहली बार पांच बेटियों का चयन डिफेंस सेक्टर में हुआ है. गया जिले के इमामगंज प्रखंड क्षेत्र बिहार का अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता रहा है. इस इलाके में उचित संसाधन नहीं होने के बावजूद पूनम कुमारी जैसी बेटियां देश की सेवा के लिए आगे आ रही हैं.
पूनम के संघर्ष से सफलता तक का सफर
पूनम गया जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर कोठी थाना क्षेत्र के तेलवारी गांव के रहने वाली हैं. उनका चयन बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के लिए हुआ है. ट्रेनिंग के लिए उन्हें पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी भेजा जाएगा. पूनम के लिए इस सफलता की डगर आसान नहीं थी. पूनम ऐसे इलाके से आती हैं जहां जरूरत के मुताबिक भी लोगों को नहीं मिल पाता. ऐसे में उन्हें पढ़ने के लिए भी बेहद संघर्ष करना पड़ा. वह हर रोज 12 किलोमीटर का साइकिल चला कर कोचिंग जाती थीं. इसी कोचिंग से वह जनरल कंपटीशन की तैयारी करती थीं.
12 किमी साइकिल चला जाती थी पढ़ने
घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण घर में इतने पैसे नहीं थे कि वह कोचिंग के लिए रोजाना बस का किराया दे पाएं. इसके लिए पूनम सुबह 9 बजे अपनी साइकिल पर सवार हो निकल जातीं और अपने गांव तेलवारी से प्रखंड मुख्यालय इमामगंज का सफर तय करतीं. इस तरह वह हर रोज लगभग 12 किलोमीटर का रास्ता नाप कर पढ़ने के लिए अपने कोचिंग संस्थान में पहुंच पाती थीं.
पिता हैं सिक्योरिटी गार्ड
लिखित परीक्षा पास करने के बाद पूनम के लिए फिजिकल ट्रेनिंग सबसे मुश्किल चुनौती थी. इसके लिए कोई भी प्रशिक्षक उनसे फिस लेता लेकिन इस समय उनकी मदद के लिए इमामगंज के ही रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर मनजीत कुमार सिंह आगे आए. उन्होंने पूनम को निशुल्क प्रशिक्षण दिया और इस तरह पूनम सफलता प्राप्त कर पाईं. पूनम के पिता राजेश दास चेन्नई में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं. वहीं उनकी मां गांव मेंरह कर खेती और घर का काम संभालती हैं. पूनम की इस सफलता में उनके घर वालों का बहुत योगदान रहा. इसके साथ ही उनके चाचा निरंजन कुमार ने लिखित परीक्षा से पूर्व उन्हें हर तरह से सहयोग देकर उनकी खूब मदद की.
पूनम का बीएसएफ में चयन होना उनके पारवार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे पंचायत क्षेत्र के लिए बड़ी खुशी की बात है. उनके घर बधाइयां देने वालों का आना जाना लगा हुआ है. पंचायत क्षेत्र के हर वर्ग के लोग पूनम के घर पहुंच रहे हैं और उनके सफलता पर उन्हें बधाई देते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. क्षेत्र के लोगों का मानना है कि पूनम की सफलता के बाद अन्य बेटियों में जुनून आएगी और इसी की तरह देश की सेवा के लिए आगे आएगी. ऐसा पहली बार हो रहा है कि गया के सुदूरवर्ती इलाके से बेटियों का चयन बीएसएफ के लिए हुई है.