बिहार में नवादा के सदर अस्तपाल को मॉडल अस्पताल का दर्जा प्राप्त है. यहां सारी सुविधा मिलने का दावा जिला प्रशासन और सिविल सर्जन द्वारा किया जा रहा है. लेकिन, हकीकत इन दावों से कोसों दूर है. आज भी यहां कुव्यवस्था का आलम बरकार है. बिजली गुल होने पर डॉक्टर को मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ता है और जख्मी को टांका भी लगाते हैं. इमरजेंसी वार्ड में किसी प्रकार की इमरजेंसी लाइट की व्यवस्था नहीं है, ताकि बिजली गुल होने पर तुरंत इमरजेंसी लाइट जल सके।
क्या है मामलाः गुरुवार की रात नवादा सदर अस्पताल में डॉक्टर को मोबाइल की रोशनी में टांका लगाते हुए देखा गया. नवादा जिले के पकरीबरावां थाना क्षेत्र के बलियारी गांव में दबंगों ने एक ही परिवार के तीन लोगों को मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया. जिसे इलाज के लिए नवादा सदर अस्पताल लाया गया. अस्पताल पहुंचते हीं मरीज को इमरजेंसी वार्ड ले जाय गया .जहां अचानक बिजली गुल हो गयी. बिजली गुल होते हीं अंधेरा छा गया, जिसके बाद टॉर्च जलाकर मरीजों का इलाज और जख्मी को टांका लगाया गया।
परिजनों में नाराजगीः सदर अस्पताल में इस तरह की व्यवस्था से परिजन काफी नाखुश दिखे. परिजनों का कहना था कि नवादा के इस सदर अस्पताल में पूरे जिले से मरीज आते हैं. वहां इमरजेंसी लाइट नहीं रहना हास्यापद है. नवादा सदर अस्पताल में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और अव्यवस्था ने अस्पताल प्रशासन के दावों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. यह स्थिति न केवल मरीजों के लिए खतरनाक है, बल्कि अस्पताल की छवि को भी नुकसान पहुंचा रही है. प्रशासन इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाता है, ताकि अस्पताल को सही मायने में मॉडल अस्पताल बनाया जा सके।
मवेशी बांधने के विवाद में मारपीटः नवादा सदर अस्पताल जो घायल पहुंचे थे उनकी पहचान बलियारी गांव निवासी मनोहर रजक, पुटूस देवी और सोनू कुमार के रूप में किया गया है. घायल महिला ने बताया कि पड़ोस के लोग उनकी जमीन पर जानवर बांधता है. जिसका विरोध करने पर आज उनलगों के साथ मारपीट कर घायल कर दिया. जिसके बाद घायलों का इलाज सदर अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया।