मेरा नाम पवन दत्त है. मैं एक एमबीबीएस डॉक्टर था लेकिन वर्तमान समय में मैं एक आईएएस अधिकारी हूं. आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाने जा रहा हूं. मेरी कहानी तमिलनाडु की तिरुपति से शुरू होती है. मेरे पिताजी का नाम वेंकटेश्वरलू अन्नमाया है और वे मूल रूप से एलआइसी इंडिया के एजेंट थे. मेरी मां का नाम ललिता कुमारी है और वह एक स्कूल टीचर हैं. मैं बचपन से ही एमबीबीएस डॉक्टर बनना चाहता था. यही कारण था कि पहले मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास करने के बाद मैं तिरुपति के सी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की।
मेरे जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा था और मैं डॉक्टर बन चुका था. परिवार वाले भी बहुत खुश थे लेकिन इसी बीच देश में कोरोना महामारी ने जमकर उत्पात मचाया. मैं दिन-रात मरीजों की सेवा करता रहा. लेकिन इस दौरान मुझे लगा कि एक आईएएस अधिकारी एमबीबीएस डॉक्टर की तुलना में काफी प्रभावशाली होता है. उसके पास कई हजार गुना अधिक पावर होता है. वह चाहे तो लोगों की जिंदगियों को बदल सकता है।
एक डॉक्टर के रूप में जहां में मात्र कुछ मरीजों का इलाज कर सकता हूं तो वही आईएएस बनने के बाद हजारों लाखों लोगों के सपने को साकार कर सकता हूं. यही कारण था कि मैं सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला ले लिया. पवन कहते हैं कि उनके पास यूपीएससी एग्जाम के बारे में सोने के लिए और प्रिलिम्स की तैयारी करने के लिए अधिक समय न था. इसीलिए उन्होंने घर पर ही जमकर तैयारी करना आरंभ कर दिया।
पवन बताते हैं कि उन्होंने प्रीलिम्स के लिए कोई नोट्स नहीं बनाया. मेन्स के दौरान करंट अफेयर्स के लिए छोटे नोट्स तैयार किए. उन्होंने मेन्स में वह बहुत जल्दी तेजी से लिखना सीखने के लिए तैयार हो गए. हालांकि ऑप्शनल सब्जेक्ट के लिए कोचिंग ली और कुछ मॉक इंटरव्यू भी दिए. पवन अपने इंटरव्यू का अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि यूपीएससी इंटरव्यू में 95% प्रश्न उनके मेडिकल बैकग्राउंड से संबंधित पूछे गए थे. जिसका उन्होंने संतोषजनक जवाब दिया।
पवन बताते हैं कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्हें भी कई बार इमोशनल ब्रेकडाउन का सामना करना पड़ा. लेकिन वह हर बार फिनिक्स की तरह उभरे और सभी चुनौतियों का सामना किया. पवन यूपीएससी की तैयारी करने वालों को सलाह देते हैं कि बेसिक पर टिके रहें. परीक्षा को बहुत बड़ा मानकर तनाव न बढ़ाएं. जितना हो सके अभ्यास करें।