13 जनवरी 2024 को फ्रेंड्स ऑफ तिलकामांझी सामाजिक मित्र मंडली भागलपुर द्वारा स्थानीय तिलकामांझी स्थित कार्यालय में वीर आदिवासी तिलकामांझी की 239वीं शहादत दिवस पर संगोष्ठी आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष इंदु भूषण झा ने की। संगोष्ठी का उद्घाटन तिलकामांझी के चित्र के सामने दीप प्रज्वलित कर संस्था के प्रधान संरक्षक जगतराम साह कर्णपुरी ने किया।
मंचासीन अतिथियों ने चित्र पर माल्यार्पण कर तिलकामांझी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। तदुपरांत अपने उद्बोधन में जगतराम साह कर्णपुरी ने कहा कि अमर शहीद तिलकामांझी का नाम आजादी आंदोलन के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। आजादी का प्रथम विगुल तिलकामांझी द्वारा 1770 में फूंका गया।
सचिव रजनीश कुमार सिंह ने कहा कि जल,जमीन और जंगल पर पूर्ण अधिकार की लड़ाई का संघर्ष तिलकामांझी ने सर्वप्रथम लड़ा था। 1850 के मंगल पांडे और 1857 के झांसी की रानी के 80 वर्ष पूर्व वीर शहीद तिलकामांझी ने ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध संघर्ष किया था।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए इंदुभूषण झा ने कहा कि जिस आजादी के वट वृक्ष के नीचे आज हम सांसे ले रहे हैं उसे सजाने संवारने में आदिवासी वीर योद्धाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।
अंग के संपूर्ण भूमि पर क्रांतिकारी तिलकामांझी के संघर्ष की गाथा अत्र-तत्र पड़ी है। तिलकामांझी के जीवन और संघर्ष का इतिहासकारों ने सही मूल्यांकन नहीं किया। आवश्यकता है इनके जीवन संघर्ष को स्वरूप प्रदान करने की। इसके अलावा संगोष्ठी को राज कुमार झा, राजेश सिन्हा, अमीत प्रताप सिंह, पवन यादव, सुमन भारती, राणा पोद्दार ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी का संचालन चंदन झा ने किया। संगोष्ठि के पूर्व सदस्यों ने सामूहिक रूप से तिलकामांझी चौक स्थित प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया।