सेंसेक्स में 1700 से अधिक अंकों की गिरावट
भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को भारी गिरावट आई है। लगातार चौथे सत्र में शेयर बाजार में गिरावट जारी रही। दरअसल, ईरान द्वारा इजरायल पर हाल ही में किए गए हमले के बाद मध्य पूर्व में बढ़े तनाव के कारण आज गुरुवार को सूचकांकों में गिरावट काफी अधिक रही।
सेंसेक्स 1,769 और निफ्टी 546 अंकों की गिरावट पर हुए बंद
सेंसेक्स दिन के अंत में 1,769.19 अंकों यानि 2.10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82,497.10 अंकों पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 546.80 अंकों यानि 2.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,250.10 अंकों पर बंद हुआ। क्षेत्रीय सूचकांकों में सभी में गिरावट आई, लेकिन रियल्टी, तेल और गैस, बैंक, ऑटो और मीडिया सबसे अधिक गिरावट वाले रहे।
इस गिरावट को लेकर क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट ?
शेयर बाजार में हुई इस बड़ी गिरावट को लेकर Geojit फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “ईरान द्वारा इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल दागे जाने के बाद घरेलू बाजार में भारी गिरावट आई, जिससे जवाबी कार्रवाई और युद्ध बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। इससे संभावित रूप से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।”
आगे जोड़ते हुए नायर ने कहा “इसके अलावा, एफएंडओ सेगमेंट के लिए सेबी के नए नियमों ने व्यापक बाजार में कम ट्रेडिंग वॉल्यूम के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। अंत में, चीन में आकर्षक मूल्यांकन के साथ, एफआईआई ने अपने फंड को पुनर्निर्देशित किया है, जिससे भारतीय शेयरों पर दबाव बढ़ रहा है।”
चूंकि खुदरा निवेशक इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स (एफएंडओ) व्यापार में लगातार घाटे में चल रहे हैं, इसलिए सेबी ने मंगलवार को डेरिवेटिव ढांचे को मजबूत करने के लिए छह उपाय किए, जिसमें न्यूनतम अनुबंध आकार बढ़ाना भी शामिल है। घोषित उपाय 20 नवंबर से शुरू होने वाले चरणों में प्रभावी होंगे।
वहीं वित्तीय बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने कहा कि एफआईआई द्वारा खरीदारी के लिए प्रेरित चीनी आर्थिक प्रोत्साहन, भू-राजनीतिक जोखिम, एफएंडओ व्यापार नियमों को कड़ा करना, हाल ही में बाजारों में गिरावट के पीछे के कुछ प्रमुख कारण हैं।
सोमवार को सेंसेक्स में 1,000 से ज्यादा अंकों की गिरावट दर्ज की गई
ज्ञात हो, सोमवार को सेंसेक्स में 1,000 से ज्यादा अंकों की गिरावट दर्ज की गई। हाल ही में आई गिरावट से पहले, यू.एस. फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की भारी कटौती की थी, जिससे भारतीय शेयरों को नया समर्थन मिला था। यूएस में ब्याज दरों में जितनी ज्यादा कटौती की गई, भारत समेत वैकल्पिक निवेश स्थलों की ओर पूंजी के पलायन की प्रवृत्ति उतनी ही ज़्यादा हुई।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानि एफ.पी.आई. द्वारा लगातार खरीदारी ने भी शेयर सूचकांकों को कुछ हद तक सहारा दिया। ऐसे में सितंबर तक लगातार चौथे महीने भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश सकारात्मक रहा।
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