पटना:बिहार में 8 अप्रैल से शुरू हुआ सातवां पोषण पखवाड़ा मंगलवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। दो सप्ताह तक चले इस अभियान में राज्य भर में पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस वर्ष का पखवाड़ा खासतौर पर बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य पर केंद्रित रहा।
पूर्णिया जिला टॉप पर
राज्यभर के आंकड़ों के अनुसार, पूर्णिया जिला इस अभियान में सबसे आगे रहा, जहां 106% गतिविधियां दर्ज की गईं। इसके बाद नालंदा जिला दूसरे स्थान पर रहा, जहां 3414 आंगनबाड़ी केंद्रों में 89% गतिविधियां आयोजित हुईं। मधेपुरा (88%), कैमूर (78%) और सहरसा (78%) ने भी सराहनीय प्रदर्शन किया। राज्य के कुल 1,15,013 आंगनबाड़ी केंद्रों में औसतन 65% कार्यक्रम संपन्न हुए।
जागरूकता और सहभागिता के कार्यक्रम
पोषण पखवाड़ा के दौरान विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों और गांवों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में जीवन के पहले 1000 दिनों में पोषण के महत्व, एनीमिया से बचाव, साफ-सफाई, और संतुलित आहार पर जानकारी दी गई। बच्चों द्वारा पोषण रैली, पोस्टर प्रतियोगिता, और पोषण वाटिका की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया।
‘पोषण की पोटली’ और गोद भराई
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष ‘पोषण की पोटली’ वितरित की गई जिसमें घरेलू पोषणयुक्त रेसिपी, किचन गार्डन और प्रसवपूर्व देखभाल की जानकारी शामिल थी। गोद भराई समारोह के ज़रिये पोषण के प्रति समाज में सकारात्मक संदेश दिया गया। साथ ही उन्हें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के लाभों से भी अवगत कराया गया।
डिजिटल निगरानी और डैशबोर्ड से ट्रैकिंग
इस वर्ष की एक विशेष पहल थी ऑनलाइन मॉनिटरिंग और पोषण डैशबोर्ड के माध्यम से सभी गतिविधियों की सघन निगरानी, जिससे कार्यान्वयन में पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित की गई।
जन आंदोलन बना पोषण पखवाड़ा
पोषण पखवाड़ा 2025 सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा बल्कि यह एक जन आंदोलन बनकर उभरा। इसने लोगों को कुपोषण मुक्त बिहार की दिशा में एकजुट किया और स्वस्थ जीवनशैली की ओर प्रेरित किया।