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बक्सर के एक हाई स्कूल में पढ़ाते थे शारदा सिन्हा के पिताजी, बिहार कोकिला ने कहा था- ‘यह मेरे लिए तीर्थ से भी बड़ा स्थान’

‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 72 वर्ष की थीं। बिहार कोकिला शारदा सिन्हा बक्सर को तीर्थ से भी अधिक पवित्र मानती थीं। उन्होंने 13 अप्रैल 2022 को बक्सर में आयोजित अखिल भारतीय संत समागम में अपनी यादों को साझा किया था। उन्होंने बताया था कि उनके पिता बक्सर के रामरेखा घाट के पास स्थित हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक थे। उन्होंने भगवान श्री राम से जुड़े बक्सर के इतिहास का जिक्र करते हुए कई भक्ति गीत प्रस्तुत किए।

लोक गायन की दुनिया में खास स्थान हासिल करने वालीं शारदा सिन्हा बक्सर को तीर्थ से भी अधिक पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान मानती थीं। 13 अप्रैल 2022 की रात आयोजित अखिल भारतीय संत समागम के मंच से उन्होंने बक्सर से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया था। शारदा सिन्हा ने बताया था कि उनके पिता बक्सर के रामरेखा घाट के पास स्थित हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक थे। उनकी मां भी तब बक्सर में ही रहा करती थीं। उनकी मां बक्सर में रहते हुए प्रतिदिन गंगा में स्नान करती थीं। उन्होंने भगवान श्री राम से जुड़े बक्सर के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा था कि अन्य लोगों के लिए यह जगह एक तीर्थ है लेकिन मेरे लिए यह तीर्थ से भी बड़ा है।

शारदा सिन्हा को मिले पुरस्कार और अलंकरण
1991 में मिला पद्मश्री का सम्मान
2000 में संगीत नाटक आदमी पुरस्कार
2006 में राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवार्ड
2015 में बिहार सरकार से पुरस्कार
2018 में पद्म भूषण


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