केरल के रहने वाले मोहम्मद अली शिहाब का पूरा बचपन गरीबी और मुश्किलों में बीता लेकिन शिहाब ने अपने तंग हालातों से हार नहीं मानी बल्कि दिल लगाकर मेहनत की और आख़िरकार IAS बने. जानें मोहम्मद अली शिहाब की कहानी.
देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC को पास करने के लिए उम्मीदवार महज़ उसी परीक्षा से होकर नहीं गुज़रते बल्कि अपनी निजी जिंदगी में भी उम्मीदवारों को न जाने किन-किन परीक्षाओं से होकर गुज़रना पड़ता है. इन सारी समस्याओं से डटकर लड़ने के बाद कहीं जाकर सिविल सेवक की कुर्सी मिलती है.
ऐसे ही एक IAS ऑफिसर हैं मोहम्मद अली शिहाब. लोग अक्सर अपनी हार का कारण अपने हालातों को ठहराते हैं लेकिन शिहाब ने यह साबित कर दिया की हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हो हिम्मत और कठिन परिश्रम से अपने लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है.
कौन है शिहाब
केरल के मल्लपुरम जिले के गाँव एडवान्नाप्पारा के रहने वाले मोहम्मद अली शिहाब एक बेहद ग़रीब परिवार से संबंध रखते हैं. घर के हालात इतने अधिक खराब थे की बहुत छोटी सी उम्र में ही शिहाब को पिता के साथ पान और टोकरियां बेचनी पड़ी लेकिन शिहाब का इम्तिहान यहाँ खत्म नहीं हुआ था क्योंकि वर्ष 1991 में एक लंबी बीमारी के कारण शिहाब के पिता का निधन हो गया और उनके पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी उनकी माँ फातिमा पर आ गयी जिस कारण उनके घर की हालत बद से बदतर हो गई .
माँ ने शिहाब को छोड़ा अनाथालय में
शिहाब की माँ पढ़ी- लिखी नहीं थी जिस कारण उन्हें कोई भी नौकरी नहीं मिल पा रही थी. शिहाब की माँ के लिए उन्हें और उनके भाई-बहनों को इतने गरीबी के हालातों में पालना बहुत मुश्किल हो रहा था इस कारण उनकी माँ ने उन्हें और उनके भाई-बहनों को अनाथालय में छोड़ दिया.
21 परीक्षाएं की पास
शिहाब के बचपन के 10 साल अनाथालय में बीते है. अनाथालय में रहकर ही शिहाब ने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई की है. वह अपने अनाथालय के अन्य बच्चों की तुलना में अधिक होशियार थे.
शिहाब को हायर स्टडीज़ के लिए पैसों की ज़रूरत थी इसलिए उन्होंने सरकारी एजेंसी की परीक्षा की तैयारी करनी शुरू कर दी और शिहाब ने 21 परीक्षाओं को पास भी कर लिया था. शिहाब ने वन विभाग,जेल वार्डन और रेलवे टिकट परीक्षक के पदों पर भी काम किया है.
ट्रांसलेटर की मदद से दिया UPSC का इंटरव्यू
शिहाब ने 25 साल की उम्र में पहली बार UPSC की परीक्षा दी थी. अपने पहले दो प्रयासों में शिहाब के हाथ केवल असफलता ही लगी लेकिन फिर भी शिहाब ने हार नहीं मानी और पूरी मेहनत के साथ तीसरी बार परीक्षा दी. आखिरकार इस बार शिहाब की मेहनत रंग लायी और 226वीं रैंक के साथ वह IAS अधिकारी बन गये.
ज्ञात हो की शिहाब अंग्रेज़ी में निपुण नहीं थे जिस कारण उन्हें UPSC इंटरव्यू के लिए ट्रांसलेटर की आवश्यकता पड़ी.