“शिक्षा की बात हर शनिवार”: बिहार में शिक्षा सुधार की दिशा में एक अनूठी पहल

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पटना। बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त, समावेशी और संवादमुखी बनाने की दिशा में शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम “शिक्षा की बात हर शनिवार” अब धीरे-धीरे एक जनआंदोलन का रूप लेता जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के साथ सीधा संवाद स्थापित करना और शिक्षा से जुड़ी समस्याओं को समाधानमुखी तरीके से प्रस्तुत करना है।

कार्यक्रम के 11वें एपिसोड में बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के सवालों का सटीक और प्रेरणात्मक जवाब दिया।

समय प्रबंधन की मिसाल बने डॉ. सिद्धार्थ

शिवहर की छात्रा ज्योति कुमारी ने उनसे पूछा कि कैसे वह देर रात तक काम करने के बावजूद अगली सुबह समय पर यात्रा और दफ्तर का कार्य संभाल पाते हैं। इस पर डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि उनका दिन सुबह 5 बजे शुरू होता है और वे पूर्व नियोजित दिनचर्या का पालन करते हैं। उनके अनुसार, जब कार्य और हॉबी में संतुलन हो, तो सभी जिम्मेदारियों को सहजता से निभाया जा सकता है।

मातृभाषा में शिक्षा पर दिया बल

पटना के बिक्रम से शिक्षक राकेश ने बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा की भाषा पर सवाल उठाया। जवाब में डॉ. सिद्धार्थ ने स्पष्ट रूप से कहा कि छोटे बच्चों की शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए, जिससे उनकी सीखने की क्षमता बेहतर हो सके। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे कक्षा में अधिक से अधिक मातृभाषा का प्रयोग करें।

चेतना सत्र: औपचारिकता नहीं, जिम्मेदारी है

बेगूसराय की शिक्षिका प्रभा कुमारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि चेतना सत्र बच्चों में नेतृत्व, मानवीय मूल्यों और राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करने का माध्यम है। इसे केवल औपचारिकता समझना सही नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर जिम्मेदारी है।

नामांकन अभियान में समुदाय की भागीदारी जरूरी

प्रतिशत नामांकन के संदर्भ में एक शिक्षक द्वारा उठाए गए सवाल पर डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि पंचायत के मुखिया, वार्ड सदस्य, जीविका दीदी और शिक्षक मिलकर गांव में प्रभातफेरी निकालें, स्कूलों को आकर्षक बनाएं और समाज में शिक्षा के प्रति रुचि जगाएं।

डिजिटल शिक्षा की ओर ठोस कदम

तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग ने घोषणा की कि कक्षा 6 से ऊपर के सभी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा शुरू की जाएगी। साथ ही, ICT लैब की स्थापना और डिजिटल सामग्री पेन ड्राइव के माध्यम से दी जाएगी। डिजिटल लाइब्रेरी को भी सशक्त किया जा रहा है।

ऑनलाइन उपस्थिति की शुरुआत

दरभंगा की छात्रा सुहानी के सवाल पर उन्होंने बताया कि 1 मई 2025 से 30 स्कूलों में ऑनलाइन अटेंडेंस की शुरुआत हो रही है। ट्रायल के तौर पर टैबलेट्स दिए गए हैं और इसकी सफलता के आधार पर इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।

प्रशिक्षण और निगरानी की दोहरी व्यवस्था

डॉ. सिद्धार्थ ने SCERT को निर्देशित किया कि शिक्षक प्रशिक्षण के बाद उसके प्रभाव को स्कूलों में मॉनिटर किया जाए। हर फैकल्टी को दो स्कूलों से जोड़ने का निर्देश दिया गया है ताकि FLN के क्रियान्वयन की निगरानी की जा सके।

निष्कर्ष:

“शिक्षा की बात हर शनिवार” कार्यक्रम न सिर्फ संवाद का एक सशक्त मंच है, बल्कि यह नीति-निर्धारण, समस्या समाधान और शिक्षा में नवाचार का मार्गदर्शन भी करता है। डॉ. एस. सिद्धार्थ के नेतृत्व में यह कार्यक्रम शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता जा रहा है।

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