CM नीतीश से शिवानंद तिवारी की अपील : दलितों के विकास को लेकर की गुजारिश, कहा : लालू जी ने किया था सकारात्मक बदलाव
पटना: जेडीयू द्वारा भीम संसद सह सम्मान सम्मेलन के आयोजन के बाद बिहार की सियासत गरमा गई है। इस मामले पर अब आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बड़ा बयान दिया है और भीम संसद को बेहद सफल बताया है।
आऱजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने भीम संसद के आयोजकों को बधाई दी है और कहा है कि आयोजक इसके लिए बधाई के पात्र हैं। नीतीश जी सम्मेलन की सफलता से अभिभूत थे। वहीं, उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के बयान का बचाव करते हुए कहा कि गदगद नीतीश जी ने झोंक में कह दिया कि 2005 के पहले दलितों के उत्थान पर कोई ध्यान नहीं देता था।
इसके साथ ही शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश जी हमारे पुराने साथी हैं। आजकल झोंक में ऐसा भी बोल जाते हैं, जिसकी उम्मीद उनके जैसे व्यक्ति से नहीं की जाती है। मेरे जैसे उनके पुराने सहयोगी को उनमें आए इस परिवर्तन को लेकर कभी-कभी चिंता भी होती है।
नीतीश जी यह क्यों भूल जाते हैं कि इसी बिहार में कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता को खुले आम कैसी-कैसी गलियां दी गई थी। उस दृश्य को याद कर शर्म से सिर झुक जाता है। बहुत हद तक वैसे दबे हुए समाज में लालू यादव मुख्यमंत्री बने थे। वह समय था, जब जाति से बड़े लोगों के सामने, दलितों को कौन कहे, अधिकांश पिछड़ों को खटिया या कुर्सी पर बैठे रहने को उद्दंडता माना जाता था. जहां-तहां इस अपराध की सजा तक मिलती थी।
शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार के वैसे सामंती समाज में लालू यादव की सरकार बनी थी। ऐसे समाज को बदलने की शुरुआत लालू जी ने दलितों को ही लक्ष्य बना कर शुरू किया था। 1990 के मार्च में उन्होंने एक योजना की शुरुआत की। इस योजना से दलित समाज के जीवन में सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हुई थी। उसके अंतर्गत इंदिरा आवास योजना के तहत दो वर्षों में 60 हज़ार घर बनाए गए।
1996 तक तो ग़रीबों के तीन लाख घर बन गए। यहां से वहां हटाये जाने वालों को सुरक्षित पक्का आवास मिल गया। उनके जीवन में तब्दीली की शुरुआत हुई। इसका रिकॉर्ड ग्रामीण विकास विभाग में उपलब्ध होगा। यह काम सिर्फ़ गांवों तक ही सीमित नहीं रहा। राजधानी पटना में ही नज़र दौड़ाइए। राजा बाज़ार का भोला पासवान शस्त्री भवन सबकी नज़र में है। एक ज़माने में जिनके साये से लोग परहेज़ करते थे, वे पक्का मकान में पहुंच गए।
उन्होंने कहा कि राजधानी पटना में केवल एक ही भवन नहीं है। मीठापुर, कदमकुआं, शेखपुरा, राजेंद्र नगर, लोहानीपुर. चितकोहरा पुल के नीचे दलितों के पक्के घर बनाए गये। उन मोहल्लों में पुराने घर को खाली कराकर नया निर्माण बहुत ही कठिन था। उनका पुराना घर ख़ाली कराकर उनके लिए पक्का घर बनाया जाएगा, इस पर उनको कैसे यक़ीन होता! यह तो लालू यादव थे, जिनकी बात पर भरोसा कर उनलोगों ने जैसे-तैसे बना अपना पुराना घर ख़ाली किया था।
आभिजात्य लोग लालू यादव को इस अपराध के लिए आज भी गरियाते हैं कि कहां हमारे मोहल्ले में ललुआ ने गंदे लोगों को बैठा दिया। लालू जी ने राजधानी में जिन दलित परिवारों को पक्का मकान में पहुंचाया था। उनका परिवार अब बड़ा हो गया है। उनको पैर फैलाने की जगह नहीं मिल रही है इसलिए हम तो नीतीश जी से नम्रतापूर्वक अनुरोध करेंगे कि उन आवासों को विस्तारित करें और वैसे बल्कि उनसे बेहतर नये आवास का निर्माण कराएं।
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