BiharPatna

पटना का सिद्धेश्वरी काली मंदिर, महिमा जान आप खुद जाएंगे

पटना में माता का एक ऐसा मंदिर है जो कभी तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. लेकिन आज यहां वैष्णो परंपरा से माता की पूजा होती है. इस मंदिर की खासियत है कि यह मंदिर शमशान भूमि पर बना हुआ है और प्राचीन समय में यहां औघड़ साधना हुआ करता था.

पटना का सिद्धेश्वरी काली मंदिर : बांस घाट पर स्थित यह मंदिर गंगा किनारे बसा हुआ है. समय के साथ-साथ गंगा की धारा उत्तर की तरफ शिफ्ट हो गया और मंदिर के सामने सड़क बन गया. आज भी सड़क के उस पार घाट पर शव जलते रहते हैं और मंदिर में माता की मूर्ति शमशान घाट की तरफ देखते हुए है.

कभी सती स्थान था, शिवलिंग विराजमान थे : मंदिर में माता की सेवा करने वाले भगत ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि उनका घर मंदिर के बगल में है और बचपन से मंदिर में माता की सेवा करते रहे हैं. यहां पहले सती स्थान हुआ करता था. जिसका सैकड़ों हजारों वर्ष पुराना इतिहास है. यहां सैकड़ों वर्ष पूर्व गंगा और सोन नदी का संगम हुआ करता था. उस समय यहां सती स्थान था और शिवलिंग विराजमान था.

”आज से लगभग 365 वर्ष पूर्व औघड़ सन्यासी ब्रह्मानंद स्वामी ने काली माता का आह्वान किया. इस शमशान भूमि पर माता को जागृत रूप में सिद्ध किया जिसके बाद मंदिर का नाम सिद्धेश्वरी काली मंदिर हो गया.”ओम प्रकाश गुप्ता, माता की सेवा करने वाले भगत

मंदिर में ही औघड़ स्वामी ब्रह्मानंद की समाधि : ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि माता को सिद्ध करने के बाद औघड़ स्वामी ब्रह्मानंद ने यहां तंत्र सिद्धि का केंद्र बनाया. काफी औघड़ आते थे और सैकड़ों वर्ष तक यहां औघड़ साधना चला. बाद में ब्रह्मानंद स्वामी ने माता के स्थान के बगल में जीवित समाधि ले ली. माता यहां जागृत रूप में है इसलिए प्रतिदिन यहां माता का श्रृंगार होता है. प्रतिदिन नई साड़ी, नई चूड़ी- लहठी से सिंगार किया जाता है. यहां माता से जो भी मनोकामना की जाती है वह पूरी होती है. यहां शनिदेव की भी मूर्ति है और शनिवार को यहां विशेष पूजा होती है.

‘मंदिर में वैष्णव परंपरा से होती है पूजा’ : ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि अब यहां कई वर्षों से सात्विक विधि से वैष्णव परंपरा के अनुसार पूजा पाठ होता है. बलि के रूप में नारियल की बलि दी जाती है. यहां के पुजारी सुशील कुमार मजुमदार के द्वारा यहां पशु बलि बंद किया गया और नरमुंड से तंत्र-मंत्र को रोका गया. सुशील कुमार मजुमदार की भी मंदिर परिसर में मूर्ति है और उसकी पूजा की जाती है. वह भी एक सिद्ध तांत्रिक थे और वैष्णव परंपरा की पूजा पाठ को मानने वाले थे.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी स्पैम कॉल : दूरसंचार कंपनियों ने 50 संस्थाओं को बैन किया, 2.75 लाख कनेक्शन काटे भागलपुर : युवक का अवैध हथियार लहराते फोटो वायरल भागलपुर में पार्षद नंदिकेश ने तुड़वाया वर्षों से बंद पड़े शौचालय का ताला ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से स्कूल परिसर में किया पौधारोपण CM नीतीश कुमार पहुंचे रोहतास