1958 से मुंदीचक स्थित गढ़ैया दुर्गा मंदिर में मां की पूजा-अर्चना हो रही है। इस बार उत्तराखंड राज्य के सुरकंडा देवी मंदिर का पंडाल बनाया जा रहा है।
सचिव कुमार धर्मेंद्र ने बताया कि मंदिर में पहली बार 1958 में प्रतिमा स्थापित हुई थी। उस समय शंकर साह, स्व. अमरनाथ सिन्हा, महेंद्र मंडल आदि ने मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की शुरुआत की थी। तब से लेकर अभी तक प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जा रही है। यहां मां दुर्गा की 14 फीट की आकर्षक प्रतिमा बनायी जा रही है। इसका निर्माण अम्बे के मूर्तिकार रंजीत पंडित द्वारा किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यहां पूर्व में व्हाइट हाउस, विक्टोरिया मेमोरियल, बेंगलुरु का लक्ष्मी नारायण मंदिर, अमेरिका का गिरिजा घर, यूएस का चर्च आदि का भव्य पंडाल बनाया जा चुका है। गढ़ैया दुर्गा मंदिर के सचिव कुमार धर्मेंद्र ने बताया कि देश में कई प्रमुख मंदिर हैं। उनका ही पंडाल अब यहां बनाया जायेगा। यहां के बच्चों को भारतीय संस्कृति व यहां क्या-क्या खास है उसकी झलक पूजा के दौरान दिखाई जायेगी। सुरकंडा देवी मंदिर एक हिंदू मंदिर है। यह भारत के उत्तराखंड में स्थित है। सुरकंडा देवी को देवी पार्वती का भौतिक प्रतिनिधि माना जाता है।
निशा पूजा में होता है भंडारा
गढ़ैया, मुंदीचक में निशा पूजा के दौरान ही भंडारा का आयोजन किया जाता है। गढ़ैया दुर्गा मंदिर की प्रतिमा शुरुआत में अम्बे के मूर्तिकार रामशरण पंडित बनाते थे। हाल के कुछ वर्षों में अब यहां की प्रतिमा उनके पुत्र रंजीत पंडित बना रहे हैं। रंजीत ने बताया कि इस मंदिर से उनका परिवार वर्षों से जुड़ा है और सभी लोगों से अपनापन हो चुका है। वहीं सचिव ने बताया कि यहां पहली पूजा से ही 24 घंटे का संपूर्ण पाठ किया जाता है। पूजा-अर्चना पंडित विशम्भर झा द्वारा संपन्न होगी।
अध्यक्ष राजेश तो सचिव धर्मेंद्र
मुंदीचक गढ़ैया दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष राजेश मंडल तो उपाध्यक्ष देवाशीष कुमार व शंभू सिंह है। सचिव की जिम्मेदारी एक बार फिर कुमार धर्मेन्द्र को सौंपी गयी है। उपसचिव माणिक सिन्हा व प्रीतम सिन्हा को बनाया गया है। कोषाध्यक्ष सुबोध मंडल व सुमन कुमार मिश्रा, पूजा मंत्री संजीव, पिशु व सुजीत होंगे। कार्यकारिणी सदस्य में अमित कुमार, ओमप्रकाश साह, कमल साह, रत्नाकर झा आदि शामिल हैं।