उनके पास से 7 एटीएम कार्ड, 41 मोबाइल फोन, 34 सिम कार्ड एवं धोखाधड़ी में मिले रुपये के हिसाब रखने वाला 5 रजिस्टर बरामद किये गये. ये लोग बेंगलुरु के लोगों को लोन देने के नाम पर ठगी करते थे. कैमूर जिला के मोहनिया में कॉल सेंटर चला रहे थे. कैमूर के एसपी ललित मोहन शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस कर गिरफ्तारी के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
“3 नवंबर को साइबर पुलिस भभुआ को साइबर पुलिस पोर्टल पर कुछ मोबाइल नंबरों के द्वारा कर्नाटक एवं अन्य राज्यों में लोन देने के नाम पर साइबर धोखाघड़ी करने का पता चला. कर्नाटका के साइबर पोर्टल पर इसके लिए केस दर्ज करवाया गया था. भभुआ साइबर पुलिस को तकनीकी जांच के बाद अपराधियों के मोहनिया में होने का पता चला.”– ललित मोहन शर्मा, एसपी कैमूर
कैसे किया गया गिरफ्तारः कैमूर एसपी ने बताया कि इसके बाद साइबर थाना की टीम त्वरित कार्रवाई करते हुए घटनास्थल पर पहुंची. जहां फोन पर बात कर रहे कुछ लोग पुलिस को देखकर भागने का प्रयास करने लगे. पुलिस ने घेराबंदी करते हुए सभी को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उनसे पूछताछ की गयी तो पता चला कि वह लोग कन्नड़ भाषा में बात कर ठगी का काम करते हैं. इसके बाद पुलिस ने वहां मौजूद सभी 18 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. जिसमें 17 पुरुष एवं एक महिला शामिल है.
गैंग के दो मास्टरमाइंडः उनसे पूछताछ करने पर पता चला कि 15 अपराधी कर्नाटक के रहने वाले हैं. तीन अपराधी बिहार के ही रहने वाले हैं. इस गैंग के दो मास्टरमाइंड हैं. कर्नाटका ग्रुप का मुखिया वेंकटेश है, जो साउथ की भाषा बोलने वाले लोगों को साइबर धोखाघड़ी कराने के लिए बिहार लाता है. इन लोगों के द्वारा ऑनलाइन लोन के लिए एड डालकर साइबर फ्राड किया जाता है. बिहार का मास्टरमाइंड कौशल कुमार है, जो नालंदा जिला का रहने वाला है. वह अभी फरार है.