लाशें बेचीं, गबन किया, रिश्वत ली… RG Kar अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ क्या-क्या आरोप?

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कोलकाता के आरजी कर अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को सीबीआई ने सोमवार को गिरफ्तार किया था। इसी अस्पताल में पिछले महीले एक महिला ट्रेनी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। घोष की गिरफ्तारी उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई है, जिसकी जांच सीबीआई दुष्कर्म और हत्या केस की जांच के साथ-साथ कर रही है। बता दें कि सीबीआई ने घोष के साथ 16 अगस्त से पूछताछ शुरू की थी जो 2 हफ्ते चली थी।

53 साल के घोष को सीबीआई ने सोमवार को साल्ट लेक में स्थित अपने ऑफिस सीजीओ कॉम्प्लेक्स में गिरफ्तार कर लिया था। सोमवार की शाम घंटों पूछताछ के बाद उन्हें एजेंसी के एंटी करप्शन ऑफिस निजाम पैलेस में हिरासत में रखा गया। इसके कुछ घंटों बाद तीन और लोग गिरफ्तार किए गए। इनमें अफसर अली खान की पहचान घोष के सिक्योरिटी गार्ड और बिप्लव सिंघा व सुमन हाजरा की हॉस्पिटल वेंडर के रूप में हुई है। 24 अगस्त को एजेंसी ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज की थी। उनके खिलाफ आरोप संज्ञेय अपराध हैं और इनमें जमानत नहीं मिल सकती।

घोष के खिलाफ क्या-क्या आरोप?

बता दें कि महिला ट्रेनी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में देशभर में चल रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच आरजी कर अस्पताल के पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट अख्तर अली ने 21 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने संदीप घोष के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसी के बाद घोष के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू की गई। मीडिया रिपोर्ट्स के बाद अख्तर अली ने आरोप लगाया है कि संदीप घोष ने अपने कार्यकाल के दौरान लावारिश लाशों को अवैध रूप से बेचा, सरकारी फंड में हेरफेर की और बायोमेडिकल कचरे की तस्करी की।

इसके अलावा संदीप घोष पर नेपोटिज्म और खरीद के कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप भी है। अख्तर अली ने मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि संदीप घोष के प्रिंसिपल रहते हुए छात्रों पर परीक्षा में पास होने के लिए 5 से 8 लाख रुपये की रिश्वत देने का दबाव भी बनाया गया था। इस याचिका के दाखिल होने के 2 दिन बाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच राज्य सरकार की ओर से गठित की गई एसआईटी के हाथों से लेकर सीबीआई को देने का निर्देश दिया था। जांच के दौरान सीबीआई ने छापेमारी भी की थी।

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