बिहार के सारण का रहने वाला सोनू उत्तरकाशी सुरंग से आया बाहर; परिवार ने कहा छठी मैया बचा लेली
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल में 16 दिनों से फंसे 41 कामगारों में छपरा के सोनू साह भी शामिल है। वहां दो सौ से ज्यादा लोगों की रेस्क्यू टीम दिन-रात काम कर सभी लोगों को सकुशल टनल से मंगलवार को निकाल लिया गया है। इसकी जानकारी मिलने पर जिला के एकमा प्रखंड के देवपुरा गांव निवासी सोनू शाह के परिवार में खुशी का माहौल हो गया। सोनू के पिता सवालिया साह एवं मां आंगनबाड़ी सेविका शिवमुखी देवी अपने बेटे के टनल से निकलने की जानकारी मिली तो खुशी सिंह की आंखों से आंसू टपकने लगे।
प्रियंका ने कहा कि छठी मैया हमार सुहाग के बचा ले ली इनके से अपन सुहाग के बचाव ला गोहार कइले रही। उल्लेखनीय हो कि उत्तराखंड के पास टनल में फंसने के बाद से ही उत्तरकाशी में रेस्क्यू शुरू हो गया था। सोनू के फंसने के बाद से ही परिजन, गांव के लोग उसकी सकुशल वापसी के लिए ईश्वर से दुआएं मांग रहे थे।
कल रात सोनू ने परिवार से की थी बात
सोनू ने कल रात अपने परिवार के सदस्यों से बात की थी और अपने से कुशल होने की जानकारी दी, जिसके बाद लोगों को थोड़ी राहत मिली है। सोनू ने पत्नी सहित अपने परिवार के सदस्यों से बात की है। पत्नी ने कहा है कि सोनू ने उससे बार-बार कहा कि अब चिंता मत करों और हम जल्द ही मिलेगें। सोनू के परिजनों ने बताया कि मीडिया के जरिए उनको पता चला कि सोनू सुरंग के अंदर फंस गया है। उन्होंने कहा हमने दिवाली पर उसे फोन किया था लेकिन संपर्क नहीं हो सका था।
खराब हो गया था साेनू का मोबाइल
उसके साथियों ने हमें बताया कि सोनू का मोबाइल फोन खराब हो गया था, बाद में घरवालों ने अखबार में उसका नाम देखा और पता चला कि वह सुरंग के अंदर फंसा हुआ है। परिवार वालों ने बताया कि सोनू तीन साल से सुरंग में काम कर रहा था, उसकी पत्नी और छह साल की बेटी सौम्य एकमा के देवपुरा गांव में रहते हैं।
सौम्या ने बताया कि पापा ने दीपावली में आने की बात कही थी, लेकिन वे नहीं आए, उसने बताया कि मम्मी ने कहा है कि पापा एक-दो दिन में घर आएंगे। सोनू साह तीन भाई हैं। सुधांशु साह बाहर की काम करते हैं जबकि अभिषेक साह गांव में रहते हैं। सोनू के पिता सांवलिया साह ने कहा कि अपने गांव घर में रोजगार मिलता तो सोनू को इतनी दूर कमाने नहीं जाना पड़ता, सभी कामगारों के सकुशल निकलने की खबर पर परिवार के लोगों का खुशी का ठिकाना नहीं था।
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