Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

अनाथालय में गुजरा बचपन, तब भी नहीं हारी हिम्मत; शिहाब ने तीसरे प्रयास में क्लियर किया यूपीएससी

GridArt 20240703 161043003 jpg

भारत में लाखों लोग सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही लोग अपना सपना पूरा कर पाते हैं। इस परीक्षा को पास करना चुनौतियों से भरा है। आज हम एक ऐसे शख्स की बात करेंगे, जिनका पूरा जीवन चुनौतियों से भरा रहा। सिविल सेवा परीक्षा में दो बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार में परीक्षा उतीर्ण की।

केरल के रहने वाले मोहम्मद अली शिहाब के जीवन की कहानी उन लोगों के लिए बहुत प्रेरणादायक साबित हो सकती है जो जीवन में असफलताओं से डरते हैं और अपना सपना पूरा नहीं कर पाते। शिहाब का बचपन बेहद कठिन परिस्थितियों में गुजरा। बचपन से ही काफी संघर्ष करने के बावजूद , वह कभी भी किसी मुसीबत से नहीं घबराए और अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहे।

मोहम्मद अली शिहाब का जन्म 15 मार्च, 1980 को कोरोट अली और फातिमा के घर हुआ था। शिहाब का एक बड़ा भाई, एक बड़ी बहन और दो छोटी बहनें हैं। शिहाब ने बहुत ही छोटी उम्र में साल 1991 में एक बीमारी के कारण अपने पिता को खो दिया। इससे उनकी मां पर परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ गई। आर्थिक तंगी के कारण उनके लिए चारों बच्चों की देखभाल करना चुनौतीपूर्ण हो गया। इसलिए, उनकी माता ने अपने सभी बच्चों को काफी छोटी उम्र में अनाथालय भेज दिया शिहाब ने अपने जीवन के 10 साल अनाथालय में बिताए।

तीसरे प्रयास में निकाली यूपीएससी परीक्षा

यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा के पहले दो प्रयासों में शिहाब के हाथ केवल असफलता ही लगी। शिहाब ने 2011 में तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा क्लियर की और ऑल इंडिया रैंक 226 प्राप्त की।

21 सरकारी परीक्षाएं भी पास की 

अनाथ बच्चों के साथ रहते हुए शिहाब ने पढ़ाई की, इस अनाथालय में वह 10 साल तक रहे। शिहाब पढ़ने में बहुत होशियार थे। हायर एजुकेशन के लिए शिहाब को पैसों की जरूरत थी, इसके लिए उन्होंने सरकारी एजेंसी की परीक्षा की तैयारी की और खास बात ये रही की एजेंसी की ओर से आयोजित होने वाली 21 परीक्षाओं को पास किया। 2004 में उन्होंने, वन विभाग, जेल वार्डन और रेलवे टिकट परीक्षक जैसे पदों पर भी काम किया।