छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशरूम की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकता है. इसकी खेती के लिए ज्यादा जमीन और पैसों की जरूरत नहीं होती है. अगर किसान भाई चाहें तो घर के अंदर भी इसकी खेती शुरू कर सकते हैं. अलग- अलग प्रदेशों में मशरूम की खेती को बढ़ाना देने के लिए राज्य सरकारों द्वार सब्सिडी भी दी जा रही है. ऐसे में किसान अगर मशरूम की खेती करते हैं, तो ज्यादा मुनाफा कमाएंगे.
देश में सबसे अधिक मशरूम का प्रोडक्शन बिहार में होता है. पहले इस मामले में ओडिशा नंबर वन राज्य था. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक, साल 2021- 22 में बिहार में 28,000 टन मशरूम का प्रोडक्शन हुआ था. यह देश में कुल मशरूम उत्पादन का 10 फीसदी से अधिक है. खास बात यह है कि बिहार सरकार मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बंपर सब्सिडी भी देती है. यहां पर मशरूम की खेती करने के लिए किसानों को 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है. इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार भी प्रदेश में मशरूम की खेती को बढ़ा दे रही है. यहां पर मशरूम की खेती करने वाले किसानों को 40 फीसदी सब्सिडी मिलती है.
ओएस्टर किस्म उगाना बेहतर रहेगा
अगर किसान भाई अभी मशरूम की खेती करने का प्लान बना रहे हैं, तो उनके लिए ओएस्टर किस्म उगाना बेहतर रहेगा, क्योंकि गर्मी के मौसम में यह अच्छी तरह ग्रोथ करती है. मार्च से सितंबर महीने तक का मौसम इसकी खेती के लिए बेहतर होता है. इस किस्म के मशरूम का वजन 250 ग्राम होता है. खास बात यह है कि बुवाई करने के महज 30 से 45 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है. इसके एक बैग से किसान भाई 150 से 200 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. वहीं, एक बैग मशरूम उगाने में करीब 50 रुपये का खर्च आता है. अगर किसान भाई एक बैग मशरूम बेचते हैं, तो उन्हें 150 रुपये का शुद्ध मुनाफा होगा.
45 दिन के अंदर ही अच्छी कमाई कर सकते हैं
ओएस्टर किस्म के मशरूम की खेती करने के लिए गेहूं के प्राली को प्रोसेस किया जाता है. फिर प्रोसेस्ड भूसे में ओएस्टर किस्म के बीज को बोया जाता है. इस तरह 30 से 45 दिन में मशरूम तैयार हो जाएगा. ओएस्टर किस्म के लिए 25 से 35 डिग्री टेंपरेचर बेहतर होता है. अगर किसान भाई इसकी खेती शुरू करते हैं, तो 45 दिन के अंदर ही अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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