गहने बेचकर शुरू किया शहद का बिज़नेस, आज कमाते हैं करोड़ों रुपये

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पंजाब के लांडा गांव के गोबिंदर सिंह रंधावा ने Big B Honey नामक अपने शहद के बिज़नेस के जरिए, 300 से अधिक किसानों को मधुमक्खी पालन से जोड़ा।

गोबिंदर सिंह रंधावा, पंजाब के लांडा गांव के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। साल 2003 में उनकी रूचि, मधुमक्खी पालन में बढ़ने लगी। जिसकी प्रेरणा उन्हें, अपने गांव के सरपंच सरदार बलदेव सिंह और सरदार जगजीत सिंह कपूर से मिली।

मधुमक्खी पालने के आईडिया से प्रेरित होकर, गोबिंदर ने पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी में एक हफ्ते का कोर्स भी किया। बाद में, अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने मधुमक्खी पालन शुरू किया। द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताते हैं, “इस क्षेत्र में हमें काफी संभावनाएं दिख रही थीं। इसलिए बिज़नेस शुरू करने के लिए, हमने 2.8 लाख रुपये का लोन लिया और तक़रीबन 120 हनी बॉक्स खरीदे।”

हालांकि, उनके बाकी दो दोस्तों ने जल्द ही बिज़नेस छोड़ दिया। क्योंकि उन्हें लगा कि यह काम नहीं चलेगा। जिसके बाद गोबिंदर ने अकेले ही बिज़नेस को संभाला। उन्हें शुरुआती दिक्कतों के अलावा, कई अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ा। यहां तक कि एक समय, उन्हें अपने घर के गहनें भी बेचने पड़े। लेकिन उनकी मेहनत का फल भी उन्हें मिला और आज वह लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।

मधुमक्खी के शहद और ज़हर दोनों से कमाई

अपने बिज़नेस के बारे में बात करते हुए गोबिंदर कहते हैं, “साल 2004 में, पूरे पंजाब में मधुमक्खियों में वरोआ माइट (Varroa mite infection) नाम का संक्रमण होने लगा था। जिसके कारण हमारी करीब 99 फीसदी मधुमक्खियां मर गई थीं। हमारे पास मौजूद हनी बॉक्स में मधुमक्खी के कुछ ही फ्रेम सुरक्षित थे। इससे बिज़नेस को भारी नुकसान हुआ।”

उसी समय उनके दोस्तों ने बिज़नेस को छोड़ने का फैसला किया। वह कहते हैं, मेरा एक दोस्त ऑस्ट्रेलिया चला गया और दूसरे ने कोई और बिज़नेस शुरू किया।”

39 वर्षीय गोबिंदर कहते हैं कि उन्होंने इस नुकसान के बाद भी बिज़नेस को जारी रखने का फैसला किया और आगे चलकर, साल 2009 में उन्हें शहद के आयात और निर्यात के लिए लाइसेंस भी मिल गया गया। वह बताते हैं, “उस समय कारोबार काफी धीमा था और उसका टिकना भी मुश्किल हो गया था। मैं हर महीने 20,000 रुपये की बिक्री करता था, जबकि दूसरी ओर लोन और उस पर ब्याज लाखों में जमा होने लगा।”

गोबिंदर का कहना है कि उनका ज्यादातर पैसा दुकान को बनाने में लग गया, जिसके बाद मार्केटिंग और प्रचार के लिए बहुत कम पैसे बचे थे। उन्होंने बताया, “बिज़नेस में शहद की बिक्री में बहुत कमी आ गई। आख़िरकार मुझे अपने परिवार के सोने के गहने बेचने पड़े। लेकिन उन पैसों का इस्तेमाल केवल लोन की पेमेंट करने में किया गया था।”

कुछ सालों बाद, धीरे-धीरे उनके बिज़नेस में थोड़ी गति आने लगी। उन्हें अमेरिका से बहुत ऑर्डर्स मिलने लगे। साल 2012-13 में उन्होंने विदेशों में निर्यात करना शुरू किया, फिर सेल काफी बढ़ गई। घरेलू बाजार के अलावा, उनके उत्पादों की मांग USA में भी बढ़ने लगी। जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। फिलहाल, अब वह यूरोपीय बाजार में अपना बिज़नेस बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं।

फिलहाल वह अपने बिज़नेस से हर साल चार से पांच करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने बताया, “मैं मधुमक्खी के शहद, मोम, पराग, प्रोपोलिस और मधुमक्खी के जहर के साथ रॉयल जेली और मधुमक्खी की कॉलोनियों के बॉक्स जैसे अपने उत्पादों से अच्छा मुनाफा कमा रहा हूँ।”

अपने साथ कई और किसानों को भी दी जानकारी

उन्होंने 310 से अधिक किसानों का एक समूह भी बनाया है। जिन्हें वह मधुमक्खी पालन के बिज़नेस के बारे में जानकारियां देते हैं। साथ ही, बिज़नेस शुरू करने में उनकी मदद भी करते हैं।

ऐसे ही एक किसान हैं नरेंद्र पाल सिंह, जिनकी गोबिंदर ने मदद की है। वह बताते हैं, “गोबिंदर से इस बिज़नेस की जानकारी और अच्छे मुनाफे का भरोसा मिलने के बाद, मैंने पिछले 10 वर्षों में शहद की दो दुकानें खोल लीं। आज मैं, शहद की बिक्री और बिज़नेस के बाकी खर्चों के बाद तक़रीबन 35,000 रुपये हर महीने कमा रहा हूँ।”

गोबिंदर का कहना है कि हालाँकि कुछ चुनौतियां अभी हैं। जैसे-कई किसान मधुमक्खी के बक्से के पास कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, जिससे मधुमक्खियां मर जाती हैं। उन्होंने कहा, “हमने किसानों को इसके बारे में जागरूक किया है और पिछले कुछ सालों में, वे इस विषय में संवेदनशील भी हो गए हैं। लेकिन कई बार मधुमक्खी के बक्सों की चोरी भी हो जाती है, जिससे हमें काफी नुकसान होता है।”

बिज़नेस शुरू करने से लेकर शुरुआती दिनों की चुनौतियों के लिए गोबिंदर कहते हैं कि उन चुनौतियों और कठिन समय का अब उन्हें कोई अफ़सोस नहीं है। अंत में वह कहते हैं, “किसी भी बिज़नेस को शुरू करने और आगे बढ़ाने के लिए धैर्य रखना बेहद जरूरी होता है। एक नौकरी पेशा इंसान को पहले ही महीने के अंत से वेतन मिलना शुरू हो जाता है। लेकिन बिज़नेस में ऐसा समय के साथ होता है। हालांकि, मुझे नौकरी से बेहतर बिज़नेस करना लगता है, क्योंकि मुझे इसमें मज़ा आता है।”

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.