प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, सोशलऔर डिजिटल मीडिया में राज्य कर्मचारी नहीं दे सकेंगे बयान, योगी सरकार ने लगाया प्रतिबंध

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राज्य कर्मियों द्वारा प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया में दिए जाने वाले वक्तव्य या मैसेज करने से सरकार के समक्ष खड़ी होने वाली असहज स्थिति को देखते हुए योगी सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

इसके लिए दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही सरकारी सूचना लीक करने पर भी कार्रवाई का प्रावधान कर दिया गया है। अपर मुख्य सचिव कार्मिक डा. देवेश चतुर्वेदी ने इस संबंध में गुरुवार को शासनादेश जारी करते हुए सभी विभागध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है। इस शासनादेश के बाद राज्य कर्मी सरकारी की नीतियों या फिर विभागीय फैसलों के प्रति गलत टिप्पणी करना भारी पड़ेगा।

इतना ही नहीं अखबारों में अनर्गल लेख लिखने या फिर मीडिया में बाइट देने पर भी प्रतिबंध होगा। सरकारी कर्मचारी सिर्फ साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक लेख ही लिख सकेगा। शासनादेश के मुताबिक प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, एक्स, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम या फिर अन्य किसी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफार्म और डिजिटल मीडिया पर कोई भी टिप्पणी या मैसेज पोस्ट करने पर रोक लगा दी गई है।

कर्मचारी आचरण नियमावली के नियम-6 में यह व्यवस्था की गई है कि राज्य कर्मी बिना मंजूरी समाचार पत्र का मालिक नहीं बनेगा और न ही उसका संचालन करेगा। समाचार पत्र या पत्रिका को लेख नहीं भेजेगा और गुमनाम, अपने नाम में या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से कोई पत्र भेजेगा व लिखेगा। नियम-7 में यह प्रावधान किया गया है कि कोई कर्मी रेडियो प्रसारण में गुनाम या स्वयं अपने नाम से कोई ऐसी बात या मत व्यक्त नहीं करेगा जिसमें सरकार के फैसले की आलोचना हो।

उत्तर प्रदेश, केंद्र सरकार, किसी अन्य सरकार या अन्य स्थानीय प्राधिकारी की किसी चालू या हाल की नीति की आलोचना भी नहीं कर सकेगा, जिससे सरकार के अपासी संबंधों में उलझन पैदा हो या विदेशी सरकार के आपसी संबंधों में समस्या आए। नियम-9 में की गई व्यवस्था के मुताबिक कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी कोई सूचना नहीं किसी को नहीं दे सकेगा। सरकार के किसी सामान्य या विशेष आदेश पर ही दिया जा सकेगा।

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.
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