विधान परिषद उपचुनाव के रिजल्ट पर रोक जारी, सुप्रीम कोर्ट में काउंसिल के वकील ने कहा-सुनील सिंह को मिली सजा सही
बिहार में विधान परिषद की एक सीट पर हो रहे उपचुनाव के रिजल्ट पर रोक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट में आज फिर इस मामले में बहस हुई. लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हो पायी. कोर्ट में आज बिहार विधान परिषद ने अपना पक्ष रखा. विधान परिषद की ओर से पेश वकील ने कहा कि आरजेडी के तत्कालीन एमएलसी सुनील कुमार सिंह को दी गयी सजा सही है. हालांकि कोर्ट में आज भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी.
सोमवार को फिर से इस मामले की सुनवाई होगी. तब तक विधान परिषद उप चुनाव के रिजल्ट पर रोक जारी रहेगी.
बता दें कि RJD के पूर्व एमएलसी सुनील कुमार सिंह की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. बुधवार को कोर्ट ने सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिया था. सुनील सिंह की खाली जगह को भरने के लिए बिहार विधान परिषद के उप चुनाव का रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दिया था.
दरअसल, पिछले साल जुलाई में आरजेडी के विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह की विधान परिषद की सदस्यता रद्द कर दी गयी थी. उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने सदन में नीतीश कुमार के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी और मजाक उड़ाया था. सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द होने के कारण विधान परिषद की इस सीट पर उप चुनाव हो रहा है. इसमें जेडीयू के ललन प्रसाद एकमात्र उम्मीदवार हैं. जिनका निर्विरोध निर्वाचन हो गया है. बुधवार को औपचारिक तौर ये ऐलान किया जाना था कि ललन प्रसाद जीत गये और उन्हें जीत का सर्टिफिकेट मिलना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने तक रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दिया. लिहाजा ललन प्रसाद बीच में ही लटक गये हैं.
सुनील सिंह को मिली सजा सही
सुप्रीम कोर्ट में आज बिहार विधान परिषद की ओर से हाजिर हुए वरीय अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि सुनील कुमार सिंह की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने का फैसला नियमानुकुल है. सुनील कुमार सिंह को बिहार विधान परिषद की आचार समिति ने पांच दफे अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया. लेकिन वे समिति के सामने पेश नहीं हुए सिर्फ पत्र लिखते रहे.
बिहार विधान परिषद की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सुनील कुमार सिंह को आचार समिति के सवालों का जवाब देना था. लेकिन जवाब देने के बजाय वे समिति से ही सवाल पूछते रहे. सुनील कुमार सिंह सदन का वह वीडियो फुटेज मांग रहे थे, जिसमें वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अमर्यादित टिप्पणी कर रहे थे. आचार समिति ने उन्हें बताया कि अगर वे मीटिंग में आयेंगे तो उन्हें वह वीडियो फुटेज दिखाया जायेगा. फिर भी सुनील कुमार सिंह आचार समिति की बैठक में नहीं आये.
विधान परिषद के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एक और एमएलसी मो. शोएब (कारी शोएब) पर भी आरोप था. लेकिन उन्होंने आचार समिति के सामने पेश होकर माफी मांगी और भविष्य में अपना आचरण ठीक रखने का भरोसा दिलाया. इसलिए उन्हें सिर्फ दो दिनों के निलंबन की सजा दी गयी. लेकिन सुनील कुमार सिंह आचार समित के सामने पेश तक नहीं हुए. वे सिर्फ एक बार आचार समिति की बैठक में आये और कहा कि मैं विरोधी दल का मुख्य सचेतक हूं. मुझे राज्य मंत्री का दर्जा हासिल है. आचार समिति मेरे मामले की सुनवाई नहीं कर सकती है.
सोमवार तक के लिए टली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पूर्व एमएलसी सुनील कुमार सिंह की ओर से वरीय अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दी थी. आज बिहार विधान परिषद की ओर से अपना पक्ष रखा गया. लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हो पायी. लिहाजा मामले की सुनवाई अगले सोमवार तक के लिए टाल दी गयी. इस बीच विधान परिषद के उप चुनाव के रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगी रहेगी.
सुनील कुमार सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच सुनवाई कर रही है. बुधवार को सुनील कुमार सिंह की ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि उनकी सदस्यता रद्द करने का फैसला लोकतंत्र को समाप्त करने की कोशिश है. उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र में ऐसा नहीं चल सकता कि आप बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला ले लेंगे. सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द करने का फैसला हतप्रभ करने वाला है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि विधान परिषद के एक और सदस्य कारी शोएब पर भी वही आरोप लगा लेकिन उन्हें दो दिनों के लिए निलंबित किया गया. ये कहा जा रहा है कि सुनील कुमार सिंह ने इस मामले की जांच में सुनवाई नहीं किया और आचार समिति की बैठक में शामिल नहीं हुए. क्या इस आधार पर किसी की सदस्यता रद्द की जा सकती है?
नीतीश ने मुखिया का चुनाव भी नहीं जीता
वरीय अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि ये सर्वविदित है कि नीतीश कुमार बिना बहुमत के 18 सालों से मुख्यमंत्री बने हुए हैं. उन्होंने पिछले 18 सालों में मुखिया तक का चुनाव नहीं जीता है. सिंघवी के इस बयान पर जस्टिस सूर्यकांत ने आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि अगर ये कहा जाये कि उन्होंने मुखिया तक का चुनाव नहीं जीता है तो क्या ये गलत नहीं है. नीतीश कुमार कहीं न कहीं चुने गये होंगे तभी मुख्यमंत्री हैं. आप सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द होने पर अपनी बात रखिये.
पलटू राम कहना गुनाह नहीं
पूर्व एमएलसी सुनील कुमार सिंह के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि मेरे क्लाइंट ने नीतीश कुमार को पलटू राम कहा था. लेकिन ये कोई इतना बड़ा गुनाह नहीं है कि उनकी सदस्यता हमेशा के लिए रद्द कर दी जाये. सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है. उन्होंने ऐसे कई न्यायिक प्रावधानों का हवाला दिया, जिनके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट संसद, विधान सभा या विधान परिषद के मामलों की सुनवाई कर सकता है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुनील कुमार सिंह को विधान परिषद की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग उपलब्ध नहीं करायी गयी. जब सदन से निकालने की प्रक्रिया चल रही थी तो उन्हें बोलने तक का मौका नहीं दिया गया. ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का खुला उल्लंघन है.
चुनाव आयोग ने उपचुनाव कैसे कराया
सुनील कुमार सिंह के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सदस्यता रद्द करने के खिलाफ मामले में दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए 30 अगस्त को नोटिस जारी किया. लेकिन चुनाव आयोग ने 30 दिसंबर को उप चुनाव का ऐलान कर दिया. जब कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी तो चुनाव आयोग ने उप चुनाव का ऐलान कैसे कर दिया. अब अगर सुप्रीम कोर्ट हमारी याचिका को सही ठहराता है तो फिर विधान परिषद की एक सीट पर दो एमएलसी हो जायेंगे.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से विधान परिषद उप चुनाव के रिजल्ट पर तत्काल रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि गुरूवार को उप चुनाव का रिजल्ट घोषित कर दिया जायेगा. निर्विरोध जीत का ऐलान हो जायेगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आदेश दिया-हम कल भी इस मामले पर सुनवाई जारी रखेंगे. तब तक उप चुनाव के रिजल्ट पर रोक लगायी जाती है. यानि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक उप चुनाव के रिजल्ट पर रोक लगी रहेगी.
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