पटना से रिपोर्ट | 11 अप्रैल 2025 बिहार में गुरुवार को आई तेज आंधी, मूसलधार बारिश और वज्रपात ने भारी तबाही मचाई। राज्य के 24 जिलों में आए इस प्राकृतिक कहर में अब तक 58 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें 23 मौतें वज्रपात से और 35 मौतें आंधी के कारण पेड़ व अन्य मलबा गिरने से हुई हैं।
प्राकृतिक आपदा का व्यापक असर
40 से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली तेज हवाओं के चलते बिजली के पोल और पेड़ गिर गए, जिससे कई जिलों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई। पटना, भागलपुर, नालंदा, सुपौल, मधुबनी, अररिया और पूर्वी चंपारण समेत कई जिलों में तेज बारिश दर्ज की गई। सुपौल के त्रिवेणीगंज में सर्वाधिक 116.2 मिमी बारिश हुई।
फसलें बर्बाद, आवागमन बाधित
बारिश और आंधी से गेहूं, मसूर, प्याज और मक्का की फसलों को 30% तक नुकसान हुआ है। आम और लीची की फसल को भी भारी क्षति पहुंची है। भोजपुर और बक्सर में गंगा पर बने दो पीपा पुल बह जाने से यूपी से संपर्क पूरी तरह टूट गया।
ट्रेन और विमान सेवाएं प्रभावित
तेज हवाओं से आरा रेलवे स्टेशन पर पेड़ की टहनी तार पर गिरने से प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए। दानापुर-आरा के बीच डेढ़ घंटे तक ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा। पटना एयरपोर्ट पर भी विमानों की उड़ानों पर असर पड़ा।
वज्रपात से लगातार बढ़ रही मौतें
राज्य में वज्रपात की घटनाएं मानसून से पहले ही जानलेवा होती जा रही हैं। इस वर्ष अप्रैल के पहले पखवाड़े में ही 43 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। 2016 से 2021 के बीच वज्रपात से हुई कुल मौतों की संख्या 1400 से अधिक रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दक्षिण बिहार में पहले वज्रपात अधिक होता था, लेकिन अब उत्तर बिहार में भी इसकी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
सबसे अधिक प्रभावित जिले:
बेगूसराय और दरभंगा (5-5 मौतें), मधुबनी (3), समस्तीपुर, सहरसा और औरंगाबाद (2-2), गया व मधेपुरा (1-1)।
विशेषज्ञों की राय:
सीयूएसबी के पर्यावरण विभागाध्यक्ष डॉ. प्रधान पार्थसारथी के अनुसार, “अप्रैल-मई में अत्यधिक गर्मी और दोपहर बाद उठने वाले क्यूलोनिंबस बादलों के कारण वज्रपात की घटनाएं अधिक होती हैं।”
ग्रामीणों के लिए चेतावनी
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, खेतों में काम कर रहे लोग वज्रपात के शिकार अधिक हो रहे हैं। खेतों में पेड़ के नीचे या जलजमाव वाले क्षेत्र में रहने से खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।