दो करोड़पति भाइयों की कहानी, दस हजार से शुरू किया बिजनेस और बन गया 150 करोड़ की कंपनी का मालिक

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दो भाई, एक संकल्प, 10 हजार रुपये से 150 करोड़ टर्नओवर का सफ़र : एक सामान्य परिवार में पले-बढ़े सचिन अग्रवाल और सुमित अग्रवाल ने सफलता का जो साम्राज्य स्थापित किया, वह वाक़ई में प्रेरणा से भरे हैं। उनके पिता, जे.पी. अग्रवाल ने कई व्यवसायों में अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन परिवार की जरूरतों को पूरा करने से बेहतर और कुछ न कर सके। सचिन बचपन से ही प्रतिभावान बालक थे, क्लास के फर्स्ट रैंकर हुआ करते थे, हर कोई उनमें एक बड़ा भविष्य देखता था।

युवावस्था की यादों को स्मरण करते हुए सचिन कहते हैं, “शुक्र है कि हमें आसपास के लोगों ने हमेशा “आप कुछ बड़ा करोगे” जैसे वाक्यांशों के साथ आशीर्वाद दिया और मुझे लगता है कि वह मेरे पक्ष में काम किया”

सचिन चार्टर्ड एकाउंटेंट बनना चाहते थे और उनके भाई, सुमित एक आईआईटी इंजीनियर। हालाँकि, आर्थिक स्थिति के कारण वे दोनों अपने सपनों को पूरा नहीं कर सके। लेकिन, उन्हें इस बात से यह प्रेरणा अवश्य मिली कि वह अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने की दिशा में जरूर काम करेंगे। नए विचारों और नई आशाओं के साथ उन्होंने आगे बढ़ने का निश्चय किया।

हर बड़ी चीजों की शुरुआत छोटे स्तर से ही होती है। इन्हीं विचारों के साथ उन्होंने साल 2006 में माइक्रोटेक और एक्साइड जैसी बैटरी के वितरण का धंधा शुरू किया। पहले महीने उन्हें महज़ 10 हज़ार रुपये की आमदनी हुई। लेकिन वह हार नहीं माने और अपने व्यवसाय को बड़ा करने के उद्देश्य से मेहनत को जारी रखा। कहते हैं न जो मेहनत करता है, ऊपर वाले भी उसकी मदद करते हैं। सचिन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इसी दौरान, तमिलनाडु को बिजली कटौती के एक प्रमुख मुद्दे का सामना करना पड़ा, और इससे बैटरी इनवर्टर जैसी चीजों की विक्री बढ़ी। उन्हें भी इसका भरपूर फायदा मिला।

फिर वर्ष 2013 में, उन्होंने लुमिनयस बैटरी का वितरण शुरू किया। बैंगलोर में एक आउटलेट के साथ शुरू किया, लेकिन ग्राहकों के डिमांड को देखते हुए जल्द ही 6 आउटलेट्स खुल गए।

सचिन और उनके भाई 15 साल से बैटरी वितरण व्यवसाय में हैं। उनकी सफलता की कुंजी ब्रांड, वितरकों और उपभोक्ता की समस्याओं को हल करना है। उन्हें लगता है कि यदि कोई उभरती समस्या को हल नहीं कर रहा है तो कोई भी व्यवसाय व्यापक रूप से स्थापित नहीं हो सकता। उन्होंने अलग-अलग ब्रांड से गठजोड़ किया, समस्याओं पर शोध के लिए अनेक राज्यों की यात्रा की और समाधान भी खोजा, चाहे वह निर्माता हो या उपभोक्ता से संबंधित।

कारोबार की तमाम बारीकियों को बेहद करीब से देखने और जानने के बाद उन्होंने अपना खुद का बैटरी ब्रांड लांच करने का फैसला किया। रेडॉन नामक यह बैटरी ब्रांड सीधे उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध है। उन्होंने वितरण श्रृंखला में समय और पैसा बर्बाद करने की बजाय सीधे उपभोक्ताओं तक अपनी पहुँच बनाई। वर्तमान में उनका टर्नओवर 150 करोड़ के करीब है और दोनों भाई आने वाले वक़्त में इसे 1000 करोड़ तक ले जाने की ओर कार्यरत हैं।

सचिन का मानना है कि किसी भी व्यक्ति को उस व्यवसाय को करना चाहिए जो उन्हें बेहद पसंद हो और उन्हें उस विशेष उत्पाद या सेवा के बारे में ज्ञान भी हो। बिना जानकारी के नए क्षेत्र में घुसना एक सुरक्षित चुनाव नहीं हो सकता।

यक़ीनन यह भावनाओं और कड़ी मेहनत से भरी एक प्रेरणादायक कहानी है, जो यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प के साथ हुई शुरुआत हमेशा सफलता के शीर्ष तक पहुँचती। सचिन की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि आपका भाग्य आपके हाथों में है और सही दिशा में लगातार कड़ी मेहनत से इसे बदलने की क्षमता भी आपके भीतर ही है।

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