बिहार के विभिन्न ज़िलों में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है, वहीं सरकार भी स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसी क्रम में अररिया जिले में भी बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। जिला मुख्यालय से सिर्फ 4 किलोमीटर की दूरी पर NH-57 टोल टैक्स के पास इसकी खेती की जा रही है। अररिया जिले के रहने वाले अब्दुल रहमान ने अपने क्षेत्र में इसकी शुरूआत की है। कोरोना काल में अब्दुल रहमान ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरुआत करते हुए इलाके में अपनी अलग पहचान बना ली है।
औषधि के तौर पर भी होता है इस्तेमाल
सेहत के ऐतबार से स्ट्रॉबेरी फल काफी फायदेमंद है, इसमें विटामिन ए बी सी और डी काफी मात्रा में पाई जाती है। इसके साथ ही लोग औषधि के तौर पर भी इसका इस्तेमाल करते हैं। पहाड़ी और ठंडे इलाकों में उगाए जाने वाले स्ट्रॉबेरी की खेती उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक समेत कई अन्य प्रदेशों में भी की जा रही है। इन राज्यों के अलावा अब बिहार में भी स्ट्रॉबेरी की खेती कामयाब हो रही है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो स्ट्रॉबेरी की खेती ठंडे मौसम में की जाती है।
बिहार में भी हो रही बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बलुआही या फिर दोमट मिट्टी उपयोगी मानी जाती है। अररिया जिले में खेती कर रहे युवा किसान अब्दुल रहमान ने बताया कि उनके परिवार में बच्चे स्ट्रॉबेरी काफी पसंद करते थे। वहीं इलाके में 800 रुपये प्रती किलो तक स्ट्रॉबेरी मिलता था। कोरोना काल के दौरान वह बेरोज़गार हो गए, इसी दौरान उन्हें महाराष्ट्र में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाने की जानकारी मिली। जिसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र से स्ट्रॉबेरी के एक हज़ार पौधे मंगवाए और उसकी खेती शुरू की।
हर महीने लाखों रुपये कमा रहे किसान
स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सही जानकारी नहीं थी, जिस वजह से नुकसान हुआ। इसके बाद वह खेती की सही जानकारी के लिए महाराष्ट्र गए और खेती की बारीकी सीखी। महाराष्ट्र में उन्होंने 20 दिनों तक स्ट्रॉबेरी की खेती करने की ट्रेनिंग ली और फिर अररिया आए। यहां आकर उन्होंने 2 एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई, जिसमें उन्हें कामयाबी मिली। आज की तारीख में अब्दुल रहमान करीब 8 हज़ार रुपये की स्ट्रॉबेरी रोज़ाना लोकल बाज़ार में बेच रहे हैं।