Success Story

10 साल मजदूरी कर की पढ़ाई, 16 बार फेल हुए मगर नहीं मानी हार, मेहनत के दमपर भंवरलाल मुंढ ने पायी सफलता

जिनके मन में जितनी की प्रबल लालसा होती है उन्हें कभी भी असफलताओं से डर नहीं लगता. वो हर बार पहले से बेहतर हो कर तैयारी में जुट जाया करते हैं. भंवरलाल मुंढ भी ऐसी ही मजबूत इच्छाशक्ति रखने वाले शख्स हैं. उन्होंने एक के बाद एक इतनी असफलताओं का सामना किया कि इतने में अच्छे भले शख्स का हौसला पस्त हो जाता है लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनकी मेहनत का फल अब जा कर उन्हें मिला है.

16 बार असफल होने के बाद पूरा हुआ सपना

बाड़मेर के सनावड़ा गांव के रहने वाले भंवरलाल मुंढ ने 1999 में 12वीं की परीक्षा पास की थी, जिसके बाद से वो सरकारी नौकरी के लिए प्रयास में जुट गए थे. शुरुआत में वो जब सफल ना हुए तो उन्होंने यही सोचा कि किस्मत भला कितनी परीक्षाएं लेगी. लेकिन किस्मत और उनके बीच जैसे एक शर्त सी लग गई. उन्हें एक के बाद एक 16 बार असफलताओं का मुंह देखना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनकी इसी मजबूत इच्छाशक्ति का नतीजा है कि आज 41 साल की उम्र में उन्‍होंने अपनी जिद पूरी करते हुए सरकारी नौकरी पा ली है.

भंवरलाल मुंढ, पश्चिम राजस्थान के बाड़मेर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित सनावड़ा के रहने वाले हैं. हाल ही में उनका चयन तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती सामाजिक विज्ञान से हुआ है. उन्‍होंने कई भर्तियों में बहुत कम अंकों से पीछे रहने के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी. आर्थिक स्थिति रूप से कमजोर होने के बावजूद उन्होंने 2010 में बीएड की पढ़ाई की. इस दौरान वह गुजरात के ऊंझा में मजदूरी का काम भी करते थे.

पढ़ाई के लिए मजदूरी भी की

रिपोर्ट के अनुसार भंवरलाल मुंढ ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए मजदूरी भी की. 1 बार असफल रहने के बाद भी उन्‍होंने अपना हौसला बनाए रखा. अब 24 साल की कड़ी मेहनत के बाद उनको सरकारी नौकरी मिली है. इससे उनके घरवाले और उन्हें जानने वाले बहुत खुश हैं. भंवरलाल मुंढ ने बताया कि 1999 में उन्होंने 12वीं की थी. इसके बाद 10 साल तक आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पढ़ाई छोड़कर मजदूरी की. 2010 में उन्होंने बीएड की. 2011-12 द्वितीय श्रेणी में वह कुछ अंकों से अंतिम सूची में असफल रह गए. साल 2012 में तृतीय श्रेणी प्रोविजनल लिस्ट (तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती) में उनका चयन हुआ, लेकिन फाइनल सूची में 1 नंबर से चूक गए.

लगातार हुए असफल मगर हार नहीं मानी

भंवरलाल मुंढ ने यह भी बताया कि साल 2013 में जेल प्रहरी में लिखित और दौड़ परीखा पास करने के बाद वह  मेडिकल में बाहर हो गए थे. इसके बाद साल 2013 में ही रोडवेज कंडक्टर भर्ती में भी वह असफल रहे. इसी साल तृतीय श्रेणी (अध्यापक भर्ती) में उनका फाइनल सलेक्शन हो गया लेकिन पात्रता का मामला कोर्ट में होने के कारण ज्‍वाइनिंग पर रोक लग गई. हालांकि पात्रता का मामला 2 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से जीत गए, लेकिन तब तक रिजल्ट रिवाइज हो गया और वह फाइनल मेरिट से बाहर हो गए.

इसके अलावा भंवरलाल मुंढ ने रेलवे में 3 बार फिजीकल और रिटर्न पास किया, लेकिन हर बार फाइनल मेरिट में असफलता ही हाथ लगी. साल 2016-17 में ग्राम सेवक व पटवारी में महज कुछ अंकों से अंतिम सूची में असफल रहे. साल 2018 में द्वितीय श्रेणी में 1-2 नम्बर से रह गए. साल 2018 में रीट में .25 से पीछे छूट गए. साल 2021 रीट में 127 नंबर आए, लेकिन भर्ती रद्द हो गई. अब साल 2023 में जनरल कैटेगरी से सामाजिक विज्ञान विषय से अंतिम रूप से उनका चयन हुआ है. अब भंवरलाल के संघर्ष की पूरे इलाके में चर्चा हो रही है.