कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति भगवान की मंजूरी मानकर अपनी हार मान लेता है, तो उसकी सफलता वहीं खत्म हो जाती है। इस दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जो उस मंजूरी के खिलाफ लड़ते हैं और अपनी अलग ही किस्मत बनाते हैं। आज हम आपको जिस स्टार्टअप की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं वह कुछ इसी तरह की है। महज 3 साल के अंदर 15 बिलियन डॉलर यानी करीब 1 लाख करोड़ रुपए का ये एक स्टार्टअप बन गया। जिसने यह शुरू किया उनके घर में एक दिन खाने के लिए भी पैसे कम पड़ रहे थे। चलिए बताते हैं आपको इस शानदार स्टार्टअप की कमाल की कहानी।
गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाला एक मामूली लड़का जिसने एक ऐसा स्टार्टअप खड़ा कर दिया, जिसके जरिए पूरे इंटरनेशनल क्रिप्टो मार्केट के अंदर तहलका मच गया। जी हां, आपने सही पढ़ा वो लड़का गुजरात के अहमदाबाद का ही था। हमने कई सारे ऐसे स्टार्टअप के बारे में आपको बताया है जो भारत के बाहर के होते हैं, लेकिन इस भारतीय स्टार्टअप की कहानी कुछ और ही है। हम जिस स्टार्टअप की बात कर रहे हैं उसका नाम है पॉलीगॉन, जिसे रीब्रांड करके मैटिक नाम दे दिया गया है।
पैसे की दिक्कत बचपन में बनी रही
अगर आप क्रिप्टो इंडस्ट्री के बारे में जानकारी रखते हैं या फिर इसमें इन्वेस्ट करते रहते हैं तो कहीं ना कहीं आपने मैटिक शब्द जरूर सुना होगा। क्योंकि आज के अंदर यह क्रिप्टो मार्केट में बहुत ज्यादा फेमस हो गया है। इस स्टार्टअप की शुरुआत हुई थी साल 2017 में। जयंती कनानी, अनुराग अर्जुन, संदीप तीन दोस्तों ने मिलकर इसकी शुरुआत की। जयंती कनानी इस स्टार्टअप के मेन फाउंडर रहे हैं। इनकी लाइफ स्टोरी बहुत ही ज्यादा इंस्पायरिंग है। आप इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं।
जयंती का जन्म अहमदाबाद के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। जहां उनकी पूरी फैमिली रेंट पर रहती थी। उनके पिताजी डायमंड फैक्ट्री के अंदर एक नॉर्मल जॉब किया करते थे, यानी एक मिडिल क्लास फैमिली से जयंती का नाता था। जिसकी वजह से पैसों की दिक्कत अमूमन बनी रहती थी। यहां तक कि उनकी एजुकेशन के लिए भी कई बार पैसे की तंगी रही।
उधार लेकर की पढ़ाई पूरी
जैसे-तैसे जयंती ने अपनी 12th तक की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद उन्होंने कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में कोर्स किया, वह भी पैसे उधार लेकर। यानी कर्ज लगातार बढ़ता ही जा रहा था और वहीं दूसरी तरफ पिताजी को देखने में काफी दिक्कत हो रही थी तो उनकी नौकरी भी छूट गई। अब हर तरफ से समस्याएं शुरू हो गई थीं। एक तरफ से कर्ज का बोझ, दूसरी तरफ से आमदनी बंद हो जाना। इन सभी के अलावा अपनी सिस्टर की शादी भी करनी थी, इसलिए जयंती ने ₹6,000 की सैलरी से एक जॉब की शुरुआत की।
फिर आया लाइफ में टर्निंग पॉइंट
अब कहते हैं ना की किस्मत अगर आपकी कहीं और लिखी हो तो आप वहां एक जगह कब तक बंध कर रह सकते हैं। उस कंपनी के अंदर जयंती अपनी नौकरी में एक जगह नहीं रुके, वो अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर काम करते रहे। जिससे धीरे-धीरे उनके ग्रोथ होता चला गया। अपनी पहली जॉब के बाद housing.com के अंदर जयंती ने एक डाटा साइंटिस्ट के तौर पर काम किया, यही से उनकी लाइफ में टर्निंग पॉइंट आता है।
साल 2017 में शुरू हुई पॉलीगॉन
यह वह समय था जहां ब्लॉकचेन की तकनीक विश्व में अपना कदम रख रही थी। जयंती भी इस तकनीक के बारे में जानना चाहते थे, इसके बारे में जयंती ने पढ़ा और फिर खुद से क्रिप्टो में ट्रांजैक्शन करने लगे। लेकिन उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। एक तो टाइम बहुत लगता था और दूसरा अपने पैसे लेने के लिए भी ट्रांजैक्शन फीस देनी पड़ती थी। इसी बात ने उनके दिमाग में एक आइडिया स्ट्राइक किया और वह आइडिया उन्होंने अपने दोस्त संदीप और अनुराग के साथ शेयर किया। ये वही आइडिया था पॉलीगॉन का जो साल 2017 में शुरु हुआ।
अब आपको बताते हैं कि स्टार्टअप है क्या? या फिर पॉलीगॉन क्या काम करता है। दरअसल ये प्लेटफॉर्म कई सारे टूल्स और सर्विस प्रोवाइड करता है जिसके जरिए एप्लीकेशन को सिक्योरिटी मिले और स्टेबिलिटी मिले, साथ में फास्ट ट्रांजैक्शन करने के लिए स्पीड मिले। इतनी सारी फैसिलिटी ये प्रोवाइड कराता है। जब तक कोई और एप्लिकेशन इतनी सुविधा एक साथ नहीं दे पा रही थी।
फंडिंग की लग गई लाइन
आइडिया शानदार था और अच्छा खासा चल भी रहा था तो अमेरिका के शार्क टैंक जज मार्क क्यूबन ने भी इसमें निवेश किया। यहीं से जयंती का ये स्टार्टअप रॉकेट के जैसे ऊपर भागने लगा। इसके बाद कंपनी ने 450 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा की फंडिग ली। देखते ही देखते ये क्रिप्टो के मार्केट में छा गई।