मक्का-मदीना में हज करने पैदल निकला मोतिहारी का युवक सुल्तान बेग, 2025 में पहुंचेगा मक्का
मोतिहारी के सुगौली नगर परिषद क्षेत्र का एक 26 वर्षीय युवक अपने घर से शुक्रवार (31 मई) को पैदल मक्का-मदीना में हज करने के लिए अकेले निकल पड़ा है. युवक सुगौली नगर परिषद क्षेत्र के नौवाडीह वार्ड नंबर 03 के रफुल आजम बेग का पुत्र सुल्तान बेग है. अपने मोहल्ले की मस्जिद में शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने के बाद उसने घर से अपनी पैदल यात्रा शुरू की. इस मौके पर युवक से मिलने और दुआ देने सैकड़ों की संख्या में सुगौली प्रखंड क्षेत्र समेत कई जगहों से लोग पहुंचे थे.
गले मिलकर हज के लिए रवाना हुआ युवक
यात्रा शुरू करने से पहले सुल्तान बेग को घर से खुशी-खुशी परिजनों ने यात्रा मंगलमय हो का आशीर्वाद देकर विदा किया. मौके पर मौलाना कलीमुल्लाह साहब, डॉ कमरुज्जमा साहब,कारी हैदर साहब, कारी नूर आलम साहब, मुखिया अशफाक अहमद, मो.अब्दुल्ला, कारी इमरान साहब मौजूद रहे. जिन्होंने उसकी यात्रा और सलामती के लिए दुआ मांगी. युवक सुल्तान बेग अपने निजी आवास से सभी लोगों से गले मिलकर हज के सफर के लिए रवाना हुआ.
हज की यात्रा लंबी है. कई राज्य और कई देश से होकर गुजरना होगा. युवक की हिम्मत मौजूद लोगों के बीच में चर्चा का विषय रही. बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली प्रखंड के अपने आवास से पैदल सफर बेतिया, नरकटियागंज, बगहा होते हुए दिल्ली, पंजाब, वाघा बॉर्डर होते हुए पाकिस्तान और ईरान के रास्ते सऊदी अरब के मक्का मदीना शरीफ की डगर पर निकला युवक 2025 में पहुंचकर हज करेगा. वह अरब तक की अपनी यात्रा पूरे एक वर्ष यानी 2025 में पूरा करेगा. उसने रोजाना 25 से 30 किलोमीटर पैदल चलने की योजना बनाई है.
युवक के इस पाक सफर में उसके घर से बेतिया तक छोड़ने के लिए परिजन, रिश्तेदार, दोस्त व पड़ोसी साथ-साथ गए, हज को पैदल सफर कर रहे नौजवान के लिए लोगों ने दुआ की और पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दरबार में सलाम पेश करने की दरख्वास्त की. इस मुबारक सफर पर मुसलमानों ने उन्हें नम आंखों से अलविदा कहा और अपने लिए दुआ भी कराई.
सुल्तान बेग को रवाना करने के लिए पहुंचे कारी हैदर व मौलाना कलीमुल्लाह साहब ने कहा कि हर मुसलमान की ये ख्वाहिश होती है कि वह हज यात्रा पर जाए.हज करते हुए अल्लाह के घर यानी खाना-ए-काबा और पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के रोजा-ए-मुबारक की जियारत करे.
यह बहुत बड़ी बात है कि हमारे कस्बे का नौजवान युवक वह भी पैदल हज के लिए निकल पड़ा है. यही दुआ है कि अल्लाह ताला पैदल हज की सफर को आसान फरमाकर हज कबूल फरमाए. हज दीन-ए-इस्लाम का आखिरी फरीजा है. इसे अल्लाह ने सन 9 हिजरी में फर्ज़ फरमाया था, जो मालदारों पर फर्ज़ है और वह भी जिंदगी में सिर्फ एक बार.
पिता ने की बेटे के लिए दुआ
हज को जा रहे सुल्तान बेग ने कहा कि यह मेरी खुशनसीबी है कि अल्लाह और रसूल ने मुझे हज के लिए चुना. बस जल्द ही मक्का व मदीना शरीफ पहुंच कर परिवार और मुल्क के लिए इबादत कर खूब दुआएं मांगनी हैं. सुल्तान बेग के पिता रफुल आजम बेग ने कहा कि मेरा बेटा हज के लिए पैदल मक्का मदीना के लिए निकला है, मुझे बहुत खुशी हो रही है. घर से खुशी-खुशी विदा किया है. हम चाहेंगे कि हमारे बेटे की तरह और लोग मिसाल कायम करें.
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