देश में लोकसभा चुनाव होने में अब महज चार से पांच महीने का समय बचा हुआ है। ऐसे में अब राज्य समेत देश की तमाम राजनीतिक पार्टी अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में जूट गए हैं। ऐसी चर्चा है कि राज्यों की तमाम छोटी – बड़ी राजनीतिक जो इस बार मैदान में भाजपा के खिलाफ होगी उन्होंने मोटे तौर पर कैंडिडेट का नाम भी तय कर लिया है। अब इस बात की पक्की मुहर उस समय लगी जब बिहार की सत्ता में काबिज एक नेता ने स्वीकार किया कि पार्टी के अंदर उनका टिकट तय हो गया है।
राजधानी पटना में राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा और परशुराम सेवा संस्थान के अधिवेशन में शिकरत करने के बाद विधानपरिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि – वे सीतामढ़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगे। जदयू के वरिष्ठ नेता और विधानपरिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के इस एलान के बाद पार्टी के अंदर ही अंतर कलह होना तय माना जा रहा है।
दरअसल, जदयू के वर्तमान में 16 सांसद है। जिसमें सीतामढ़ी सीट भी जदयू के पास ही है। इस सीट पर वर्तमान में सुनील कुमार पिंटू सीटिंग एमपी है। हालांकि, सुनील पिंटू इसके पहले भाजपा के साथ रहे हैं। इतना ही नहीं जदयू के भाजपा से अलग होने के बाद भी वो भाजपा का गुणगान करते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में इस बात की चर्चा तेज है कि जदयू इस बार उनका पत्ता काट सकती है।
वहीं, खुद के सीतामढ़ी से चुनाव लड़ने की बात कहते हुए देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि, मेरी पार्टी आलाकमान से बात हो चुकी है और उनके तरफ से सीतामढ़ी से चुनाव लड़ने को लेकर हरी झंडी भी मिल गई है। लिहाजा उनकी बातों को सच माना जाए तो सुनील पिंटू का टिकट कटना तय है और जिस तरह सुनील पिंटू अपमा तेवर दिखा रहे हैं ऐसे में उनका जदयू से भी बहार होना लगभग तय माना जा रहा है।
मालूम हो कि, सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से अब तक कुल 16 चुनाव हुए हैं। इसमें सबसे अधिक पांच बार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। कांग्रेस के उम्मीदवार सीतामढ़ी सीट पर 1957 से 1984 के बीच 5 बार जीते हैं। जबकि राजद और जदयू के उम्मीदवारों के खाते में 2-2 बार यह सीट गई है। हालांकि, पिछले तीन चुनावों में उसी उम्मीदवार को जीत मिली है, जिसे भाजपा का समर्थन मिला है। तीन चुनावों में दो बार जदयू के उम्मीदवार जीते हैं। लेकिन 2014 में जदयू ने जब भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ा था तो भाजपा की सहयोगी पार्टी रालोसपा के उम्मीदवार रामकुमार शर्मा को इस सीट से जीत मिली थी।
आपको बताते चलें कि, सीतामढ़ी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा सीटों में से तीन में भाजपा के विधायक हैं। वैसे तो 2020 में जिस दलीय स्थिति में चुनाव हुआ था, उसके मुताबिक तो एनडीए ने पांच सीटें जीती थी। लेकिन चूंकि अब जदयू महागठबंधन में है, इसलिए उसके दो और राजद के एक विधायक को जोड़कर महागठबंधन के पास भी तीन विधायक हैं।