सुप्रीम कोर्ट ने विधान परिषद के चेयरमैन, सचिव और चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस

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राजद के पूर्व एमएलसी सुनील सिंह की सदस्यता विधान परिषद से रद्द किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विधान परिषद के चेयरमैन, सचिव और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.  पूर्व विधान पार्षद सुनील सिंह ने अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमक्री करने के आरोप में सुनील सिंह की विधान परिषद की सदस्यता चली गई थी. सुनील सिंह ने इस निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनील सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष रखा जिसके बाद विधान परिषद के चेयरमैन, सचिव और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.

दरअसल इसी वर्ष विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद के समय नीतीश कुमार की मिमक्री करने का आरोप सुनील सिंह पर लगा था. इसे लेकर जदयू एमएलसी की शिकायत पर जांच समिति गठित की गई. समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुनील सिंह को नीतीश कुमार का मिमक्री करने को अनुशासनहीनता के रूप में पाया. समिति की अनुशंसा पर विधान परिषद के सभापति ने 26 जुलाई को सुनील सिंह की सदस्यता रद्द करने की घोषणा की थी. सुनील सिंह ने इसे नीतीश कुमार का तालिबानी शासन करार दिया था और अपने खिलाफ बोलने वाले को डराने वाला निर्णय कहा था. अब अपनी सदस्यता रद्द करने को सुनील सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

राजद के सुनील सिंह ने आचार समिति के सभापति से लिखित में मांगा था कि उनका दोष क्या है और उन्हें किस मामले में दंडित किया जा रहा है, लेकिन उसका कोई भी साक्ष्य, तथ्य या सबूत नहीं दिया गया. राजद सुप्रीमो लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई कहे जाने वाले सुनील सिंह ने कहा था कि क्या किसी को पल्टूराम कहना उसकी एमएलसी की सदस्यता जाने का कारण बनता है. इसे एक गलत परिपाटी बताते हुए राजद ने निर्णय का जोरदार विरोध किया था.

अब इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ  विधान परिषद के चेयरमैन, सचिव और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. नोटिस का जवाब आने के बाद अगली सुनवाई में अब सुनील सिंह की सदस्यता बहाल करने को लेकर कोई बड़ा फैसला आ सकता है.

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