अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर शुक्रवार 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर कहा कि इसे सत्य बयान के तौर पर नहीं मान सकते हैं। इसकी सच्चाई को परखने और जांचने का कोई साधन नहीं है। इसीलिए हमने SEBI को इस मामले की जांच करने को कहा था।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को तथ्य के तौर पर सही मानने की जरुरत नहीं- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को तथ्य के तौर पर सही मानने की जरुरत नहीं है। सेबी इस मामले की जांच कर रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सेबी अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच पूरी करने के लिए और समय नहीं मांग सकता है। वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट बेंच के सामने से पढ़ने से रोक दिया।
याचिकाकर्ता ने SEBI पर भी उठाए सवाल
वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में SEBI की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कोर्ट से कहा कि उनके पास 2014 से ही इस मामले की पूरी जानकारी थी। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि ख़ुफ़िया निदेशालय ने साल 2014 में ही सेबी के साथ पूरी जानकारी साझा की थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इस दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि सेबी की जांच पर संदेह करने के लिए साक्ष्य कहां हैं? इस पर वकीलों की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया।
कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी पहले ही दे चुकी है क्लीन चिट
वहीं इससे पहले हिंडनबर्ग मामले में अडानी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एक्सपर्ट कमेटी को ग्रुप के खिलाफ जांच में कोई सबूत नहीं मिले थे। सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अडानी ग्रुप द्वारा शेयर की कीमत में मैनिपुलेशन के कोई सबूत नहीं मिले हैं। जांच कमेटी ने सेबी की 4 रिपोर्टस का हवाला दिया गया था।