KBC में 5 करोड़ जीतने वाले सुशील कुमार बने टीचर, अब सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाएंगे ये सब्जेक्ट

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बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित द्वितीय चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा में कौन बनेगा करोड़पति सीजन-पांच के विजेता सुशील कुमार ने कक्षा छह से आठ सामाजिक विज्ञान व 11वीं से 12वीं में मनोविज्ञान के शिक्षक के रूप में चयनित किए गए हैं।

सुशील बताते है कि उन्हें उम्मीद है कि आगे जारी होने वाली कक्षा नवम व दशम के लिए भी उनका चयन होगा। सुशील को उच्च माध्यमिक के मनोविज्ञान विषय में 119वां तो कक्षा छह से आठ में सामाजिक विज्ञान में 1692वां रैंक मिला है।

उनकी इच्छा उच्च माध्यमिक के विद्यार्थियों को मनोविज्ञान पढ़ाने की है। इन सबके बीच वो मंगलवार को जारी होने वाले कक्षा नवम व दशम के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनका चयन इन कक्षाओं के लिए भी होगा।

पत्नी व बच्चों के साथ सुशील कुमार

सुशील ने बताया कि कौन बनेगा करोड़पति में जीत दर्ज करना एक अलग बात थी, लेकिन शिक्षक होना एक बड़ी जिम्मेदारी है। शिक्षा के प्रति केबीसी जीतने के साथ ही लगाव बढ़ा और जीतने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में जाकर बेहतर काम करने का लक्ष्य बनाया।

बताया कि उनका चयन मनोविज्ञान से पीएचडी के लिए बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में इसी महीने हुआ है। इसको लेकर उन्होंने मनोविज्ञान विषय में हीं शिक्षक अभ्यर्थी के रूप में काउंसलिंग कराने का लक्ष्य बनाया है।

सामान्य परिवार में सरकारी नौकरी है महत्वपूर्ण

शहर के हनुमानढ़ी निवासी अमरनाथ प्रसाद व रेणु देवी के पुत्र सुशील कहते हैं- जीवन में हर कोई सफल होना चाहता है। इसके लिए उचित दिशा में प्रयास भी करता है। हमने भी किया।

सामान्य परिवार में सरकारी नौकरी का बड़ा महत्व है। सो, आरंभ में मनरेगा में कंप्यूटर आपरेटर की नौकरी मिली। उसे किया। इस दौरान भी अध्ययन जारी रखा। नतीजा यह रहा कि 2011 में कौन बनेगा करोड़पति के हाट सीट पर बैठने का अवसर मिला।

वहां अंतिम पड़ाव पार किया। पांच करोड़ रुपये जीते। अभी शिक्षा का दौर चल रहा है। इस दौर में जो पढ़ेगा वहीं बढ़ेगा, जरूरत है शिखर पर पहुंचने के लिए उचित मार्गदर्शन की।

कंप्यूटर आपरेटर से शिक्षक बने सुशील

याद रहे कि सुशील ने आरंभ में पश्चिमी चंपारण के चनपटिया प्रखंड में मनरेगा कार्यालय में बतौर कंप्यूटर आपरेटर काम किया। यहीं से वो केबीसी विजेता बने। इस जीत ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दी। फिर ग्रामीण विकास विभाग ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया।

इसके बाद सुशील ने नौकरी छोड़ दी और चंपा के पौधों को लगाना शुरू किया। चंपा के साथ आगे चलकर गौरैया संरक्षण की दिशा में भी काम कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त कोटवा प्रखंड के एक विद्यालय में गरीब बच्चों को शिक्षित व संस्कारित बनाने की दिशा में भी काम किया।

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.
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