सुशील मोदी की तेजस्वी को चुनौती: हिम्मत है तो सारे मंदिर-मस्जिद तोड़ कर अस्पताल बनायें, सरकारी पैसे से नहीं बना राम मंदिर, जहर न फैलाये राजद
पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को चुनौती दी है. सुशील मोदी ने कहा है कि हिन्दूओं की आस्था पर लगातार चोट पहुंचा रहे तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के नेताओं में दम है तो वे बिहार के सारे मंदिर-मस्जिद को तोड़ कर अस्पताल बनाने का एलान करे. राजद के संस्कार सनातन धर्म विरोधी है, तभी उसके नेता हर रोज राम मंदिर के खिलाफ जहर उगल रहे हैं जबकि राम मंदिर के निर्माण में एक भी रूपया सरकार का नहीं लगा है. मंदिर बनाने के लिए सारा पैसा रामभक्तों ने जुटाया है।
सुशील मोदी ने तेजस्वी यादव के उस बयान को फूहड़ और हिंदुओं की आस्था को जानबूझ कर आहत करने वाला बताया है, जिसमें कहा गया था कि चोट लगने पर कोई मंदिर नहीं, अस्पताल जाता है. उन्होंने कहा कि यदि लोगों को चिकित्सा के लिए अस्पताल चाहिये, तो मानसिक शांति के लिए मंदिर भी चाहिए. दवा और दुआ, दोनों की जरूरत पडती है. तेजस्वी यादव को बताना चाहिये कि पिछले डेढ साल में उन्होंने बिहार में कितने नये अस्पताल बनवाये हैं. तेजस्वी के स्वास्थ्य मंत्री रहते बिहार में एक भी नया अस्पताल नहीं बना है।
लालू ने किया था पाप
सुशील मोदी ने कहा कि तेजस्वी यादव के पिता और राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाये जाने का समर्थन किया था. रेल मंत्री बनने पर उन्होंने गोधरा स्टेशन के पास 56 कारसेवकों को जिंदा जलाने की घटना के दोषियों को बचाने के लिए नया जांच आयोग गठित करने का पाप किया था. ऐसे संस्कार में पले राजद के लोग कभी रामचरित मानस की निंदा करते हैं, तो कभी सरस्वती का अपमान करने का दुस्साहस करते हैं।
सुशील मोदी ने कहा है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल पर एक सक्षम धार्मिक न्यास राम-भक्तों के दान-सहयोग से मंदिर का नवनिर्माण करा रहा हैं. फिर राजद और इंडी गठबंधन के दलों की छाती क्यों फट रही है? अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण न तो भाजपा करा रही है, न इसमें करदाताओं का पैसा लग रहा है,फिर भी सनातन धर्म विरोधी पार्टियां एक समुदाय -विशेष का थोक वोट पाने के लिए रोज जहर उगल रही है।
सुशील मोदी ने कहा है कि हमें राम भी चाहिए, रोटी भी चाहिए इसलिए अयोध्या धाम को ऐसे विकसित किया जा रहा कि भव्य राम मंदिर के साथ सांस्कृतिक पुनर्जारण भी हो और पर्यटन उद्योग में हजारों लोगों को रोजी-रोजगार भी मिले।
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