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सम्राट चौधरी का बड़ा दावा, बीजेपी बिहार में सभी 40 लोकसभा सीट जीतेगी

पटना: बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें सीएम ने महागठबंधन की रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि बीजेपी को 100 सीट से कम पर रोक देंगे. सम्राट चौधरी ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में जेडीयू का खाता भी नहीं खुलेगा।

उन्होंने दावा किया कि बीजेपी बिहार में सभी 40 लोकसभा सीट जीतेगी. बीजेपी नेता ने कहा कि इस बार की लड़ाई 70:30 की होगी, जिसमें 70 फीसदी जनता भारतीय जनता पार्टी के साथ है।

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार में लगातार अपराध और हत्याओं का दौर जारी है. ऐसे हालात में नीतीश कुमार अपने आपको बिहार के विकास करने वाले नेता के रूप में प्रचारित कर रहे हैं, जो कि सच्चाई से बहुत दूर की बात है. उन्होंने कहा कि अब तो राष्ट्रीय जनता दल के लोग भी ‘पलटू राम’ बोलकर संबोधित कर रहे हैं. आप खुद देखें कि किस तरह की राजनीति वह बिहार में कर रहे हैं।

आरजेडी नेता लालू यादव उनके साथ हो या कोई भी नेता हो. बीजेपी नेता ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. इस बार जनता महागठबंधन को सबक सिखाएगी. इससे पहले भी नीतीश कुमार बीजेपी से अलग होकर जोर पीएम बनने का सपना देखने की आजमाइश कर चुके हैं, जबकि उस चुनाव में उन्हें 2 सीट मिली थी. इस कारण उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा भी दिया था. उस दिन को नीतीश कुमार भूल गए हैं. उन्हें लगता है कि अब वे प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं लेकिन सच्चाई यही है कि देश की जनता प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नरेंद्र मोदी को ही देखना चाहती है।

इस वजह से तलाक के 10 साल बाद मनोज तिवारी ने लिया दूसरी शादी का फैसला

पटना : Manoj Tiwari Second Marriage : भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार, बिग बी के नाम से मशहूर और भाजपा सांसद मनोज तिवारी को कौन नहीं जानता है. मनोज तिवारी ने अपनी आवाज और अभिनय दोनों से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया. उनकी पहली फिल्म ससुरा बड़ा पइसावाला ने कमाई के ऐसे रिकॉर्ड बनाए जिसे तोड़ पाना मुश्किल है. अभिनेता मनोज तिवारी ने दो शादियां की हैं और उनकी पहली पत्नी रानी तिवारी से उन्हें एक बेटी भी है. हाल ही में मनोज के घर एक बेटी का जन्म हुआ है।

मनोज तिवारी की पहली पत्नी रानी तिवारी थी जिनसे उनका तलाक हो गया. तलाक के 10 साल बाद तक मनोज ने शादी नहीं की. मनोज और रानी के रिश्तों में आई दरार की वजह एक अभिनेत्री रही. हालांकि इसको लेकर कभी पुष्टि नहीं हुई. श्वेता तिवारी के साथ मनोज तिवारी का नाम जोड़ा गया. श्वेता ने भोजपुरी फिल्मों में काम भी किया. इसके बाद यह बताया जाने लगा कि इसी वजह से मनोज तिवारी की पत्नी रीना तिवारी के साथ उनके रिश्ते खराब हुए और दोनों ने तलाक ले लिया. एक बार मनोज तिवारी की पत्नी रानी तिवारी ने ही कहा था कि उनका तलाक श्वेता तिवारी की वजह से ही हुआ है. लेकिन मनोज तिवारी हमेशा यह कहते रहे कि श्वेता उनकी केवल अच्छी दोस्त है और इससे ज्यादा उनका रिश्ता कुछ भी नहीं है।

शादी टूटने के 10 साल बाद मनोज ने दूसरी शादी करने का फैसला लिया. वह काफी तन्हा हो गए थे और सामाजिक मजबूरी में उन्हें यह फैसला लेना पड़ा. मनोज तिवारी ने सुरभी तिवारी से दूसरी शादी रचा ली. तब उनके तलाक के 10 साल बीत चुके थे. मनोज तिवारी बेहद अकेलापन इस दौरान महसूस कर रहे थे. मनोज तिवारी ने यह शादी अपनी मर्जी से और पसंद से की थी।

मनोज तिवारी और सुरभी की शादी लॉकडाउन के दौरान हुई थी, मनोज इसे सामाजिक मजबूरी के साथ इमोशनल सपोर्ट की भी जरूरत भी बताते हैं. हालांकि उनकी इस दूसरी शादी की बात से एक साल बाद पर्दा उठा तो सभी चौंक गए थे. 51 साल की उम्र में मनोज हाल ही में तीसरी बार पिता बने और अब वह तीन बेटी के पिता है. इसमें से पहली शादी से उन्हें एक बेटी और दूसरी शादी से दो बेटियां हैं।

जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बीजेपी के खिलाफ किसी हद तक जाने की तैयारी

क्या नीतीश कुमार ने बिहार की सत्ता में बने रहने के लिए दूसरा जुगाड़ कर लिया है या फिर वे समझ गये हैं कि बीजेपी को चाहे जितना भी डैमेज किया जाये वह उन्हें छोड़ कर जाने वाली नहीं है. पटना में जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से यही संकेत मिले. वैसे राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ललन सिंह औऱ आऱसीपी सिंह के बीच शह-मात भी दिलचस्प रहा. आइये हम आपको बताते हैं जेडीयू की बैठक की इनसाइड स्टोरी.

बीजेपी के खिलाफ आंदोलन की तैयारी

जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से इतना तो साफ हो गया कि नीतीश बीजेपी को और फंसाने की तैयारी करके बैठे हैं. दरअसल जेडीयू की बैठक में जातिगत जनगणना का मसला पूरे जोर शोर से उठाया गया. पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने अपने भाषण में कहा कि जातिगत जनगणना  का मामला जेडीयू के लिए सबसे अहम है.

नीतीश कुमार पूरे देश में इस मसले पर मुहिम चलायें. जेडीयू को हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिये. त्यागी ने कहा कि अगर केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है तो जेडीयू को सड़क पर उतरने के लिए तैयार रहना चाहिये. पार्टी को अभी से ही आंदोलन की तैयारी करना चाहिये.

नीतीश खामोश बैठे थे आरसीपी सिंह ने मना किया

जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी जब बीजेपी या फिर कहें केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन की राय दे रहे थे तो नीतीश खामोश बैठे थे. उन्होंने एक बार भी त्यागी के सुझाव से असहमति नहीं जतायी या उन्हें रोका नहीं. केसी त्यागी के सुझाव को खारिज करने के लिए केंद्र में मंत्री बन चुके आऱसीपी सिंह आगे आय़े. आरसीपी सिंह ने कहा कि केंद्र में एनडीए की सरकार है औऱ अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन की राय सही नहीं है. आऱसीपी सिंह ने जब आंदोलन की बात को खारिज किया तो फिर पार्टी के किसी दूसरे नेता ने उनकी बात को नहीं काटा.

यूपी चुनाव को लेकर आरसीपी-ललन में शह मात

लेकिन सबसे दिलचस्प रहा उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर जेडीयू की बैठक में हुआ खेल. दरअसल केसी त्यागी, आरसीपी सिंह से लेकर ललन सिंह ने उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के चुनाव लड़ने की चर्चा की. केसी त्यागी कह रहे थे कि जेडीयू को उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ना चाहिये. आऱसीपी सिंह ने भी उनकी बात से सहमति जतायी.

सबसे आखिरी में बोलने की बारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की थी. ललन सिंह ने आऱसीपी सिंह को फंसा दिया. ललन सिंह ने कहा कि आऱसीपी सिंह केंद्र सरकार में मंत्री हैं. उनकी बीजेपी के बड़े नेताओं से लगातार बात होती रहती है. आऱसीपी बाबू बीजेपी के नेताओं से बात कर उत्तर प्रदेश में जेडीयू को सीट दिलवायें.

बैठक में मौजूद एक नेता ने फर्स्ट बिहार से बात करते हुए कहा कि ललन सिंह जब ये कह रहे थे कि आऱसीपी बाबू बीजेपी से बात कर जेडीयू को उत्तर प्रदेश में सीट दिलवायें तो आरसीपी बाबू के चेहरे का भाव देखने लायक था. आरसीपी सिंह हों या ललन सिंह या नीतीश कुमार.

जेडीयू का हर नेता जानता है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी जेडीयू को कोई भाव नहीं देने जा रही है. जेडीयू का वहां कोई जनाधार है भी नहीं. लेकिन ललन सिंह ने गेंद आऱसीपी सिंह के पाले में फेंक दी. आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बनने के बाद लगातार बीजेपी के पक्ष में बोलते रहे हैं. अब पार्टी कह रही है कि वे बीजेपी में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें.

हालांकि ललन सिंह की बात पर फिलहाल आऱसीपी सिंह ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन इतना तो तय है कि जेडीयू के भीतर शह-मात का खेल दिलचस्प होगा. दिलचस्प तो जेडीयू के हाथों लगातार जलील हो रही बीजेपी की प्रतिक्रिया भी होगी.

बिहार में पॉपुलेशन कंट्रोल कानून को लेकर JDU और BJP आमने-सामने

बिहार में सत्ता के भागीदार भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बीच पॉपुलेशन कंट्रोल कानून को लेकर टकराव बढ़ गया है. उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर योगी सरकार ने जो पहल की उसे विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी का चुनावी कार्ड माना जा रहा है. लेकिन यूपी इलेक्शन के पहले बिहार में इस मसले पर सियासी हालात ऐसे हो गए हैं कि सरकार में शामिल बीजेपी और जेडीयू के मंत्री आमने-सामने खड़े हैं.

बीजेपी के मंत्रियों की राय है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होना चाहिए. जबकि जेडीयू कोटे के मंत्रियों की राय इससे अलग है. जेडीयू का मानना है कि बिहार मॉडल जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सही है और जागरूकता से ही आबादी पर नियंत्रण लगाया जा सकता है.

ऐसा नहीं है कि जनसंख्या नियंत्रण नीति को लेकर केवल बिहार बीजेपी और जेडीयू के नेता ही आमने-सामने खड़े हैं. दोनों दलों के केंद्रीय नेताओं की तरफ से भी बयान सामने आ रहे हैं जो परस्पर विरोधी हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को विकास के साथ जोड़ते हुए इसे धर्म और राजनीति से देखने की बजाय देश के विकास से जोड़कर देखने की नसीहत दी है. जबकि जेडीयू के वरिष्ठ नेता और प्रधान महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि जनसंख्या की समस्या का हल कानून से नहीं किया जा सकता.

2 दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यही बात कही थी. नीतीश कुमार ने जो कहा था, केसी त्यागी भी वही कह रहे हैं. त्यागी ने कहा है कि महिलाओं को शिक्षित कर और जागरूकता के जरिए ही जनसंख्या नियंत्रण किया जा सकता है.

दरअसल बीजेपी कोटे से बिहार सरकार में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी के उस बयान से बवाल बढ़ा है जिसमें उन्होंने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण नीति बिहार में लागू करना अब बेहद जरूरी है. सम्राट चौधरी ने कहा कि नगर निकायों में और पंचायतों में अगर जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू हो सकती है तो फिर बाकी योजनाओं में क्यों नहीं. बीजेपी कोटे से एक और मंत्री नितिन नवीन ने भी कहा है कि हमें यूपी के तर्ज पर अपने यहां पहल करनी होगी. बिना किसी कानून के पॉपुलेशन कंट्रोल नहीं किया जा सकता.

बीजेपी कोटे के मंत्रियों के जवाब में जदयू कोटे के वरिष्ठ मंत्री भी उतर आए हैं. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार के प्रयासों और नीतियों से प्रजनन दर में कमी आई है. महिलाओं को शिक्षित बनाया जाए तो आबादी नियंत्रण में रह सकती है. मंत्री अशोक चौधरी के मुताबिक जनसंख्या नियंत्रण सिर्फ कानून से संभव नहीं है और वह इसके पक्षधर नहीं. महिला, शिक्षा और जागृति सही प्रजनन दर घट सकता है.

उधर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने भी कहा है कि बिहार मॉडल जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सबसे बेहतर है और इसे आजमाया जा चुका है. जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने के पक्षधर हैं. जेडीयू और बीजेपी के बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अब तकरार आगे बढ़ चुकी है.

LJP के अध्यक्ष पारस केन्द्र में मंत्री बन सकते हैं; चिराग को RJD और कांग्रेस ने दिया ऑफर

LJP (लोक जनशक्ति पार्टी) के नए नेतृत्व के बाद बिहार से लेकर केंद्र तक की सियासत में बदलाव आएगा। LJP के नए नेता बने पशुपति पारस ने साफ कह दिया है कि वह NDA के साथ हैं और साथ रहेंगे। हालांकि, चिराग पासवान भी लगातार खुद को BJP के हनुमान के तौर पर पेश करते रहे हैं। वह NDA के साथ रहने का लगातार दावा करते रहे हैं। ऐसे में चिराग के अगले कदम पर सबकी निगाह टिकी है। वो क्या करते हैं, कैसे करते हैं? चिराग को क्या भाजपा मदद करेगी?

वहीं, बदली परिस्थिति में RJD (राष्ट्रीय जनता दल) और कांग्रेस ने चिराग पासवान को पार्टी में शामिल होने का ऑफर दे दिया है। इससे भी सियासत और गरमा गई है।

पशुपति पारस के अगले कदम पर नजर
पशुपति पारस ने सोमवार को पांचों सांसदों का हस्ताक्षर किया हुआ पत्र लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दिया। लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें LJP के नेता के तौर पर मंजूरी दे दी है। LJP NDA के साथ रही है। उनके साथ चुनाव लड़ी है तो पशुपति पारस ने यह साफ कहा कि वो NDA के साथ हैं। ऐसे में इस हफ्ते होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में उनको जगह मिल सकती है। दिल्ली में यह चर्चा है कि पशुपति पारस को कैबिनेट मंत्री या फिर स्वतंत्र राज्य मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है।

वहीं, पशुपति पारस अब LJP के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं, तो वह अपनी पार्टी को बिहार में स्थापित करेंगे या फिर नई रणनीति के तहत अपनी पार्टी का विलय JDU में कर देंगे। जिस तरह से इस पूरे प्रकरण में JDU ने ‘ऑपरेशन LJP’ चलाया, उससे साफ पता चलता है पशुपति पारस सहित सभी सांसदों ने JDU और नीतीश कुमार में आस्था जताई है। ऐसे में JDU का पूरा हक बनता है कि पांचों सांसदों को वह अपने पक्ष में कर ले, इस लिहाज से यदि LJP के सभी सांसद समर्थन करते हैं तो बिहार में जेडीयू के सांसदों की संख्या 16+5 यानी 21 हो जाएगी।

बाहुबलियों ने भी छोड़ा साथ
इस पूरे प्रकरण में अलग-थलग पड़े चिराग पासवान के लिए बहुत विकल्प नहीं खुले हैं। दरअसल, चिराग पासवान की विधानसभा में जो भूमिका थी, उससे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे थे। खुद के चाचा पशुपति पारस ने पूरे विधानसभा में कहीं भी खुलकर चुनाव प्रचार नहीं किया। वहीं, बाहुबली पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, काली पांडे, सुनील पांडे, हुलास पांडे सहित कई नेता पार्टी से तितर-बितर हो गए हैं। चिराग पासवान ने कभी भी उन्हें संगठित करने की कोशिश नहीं की।

रामविलास पासवान के करीबी रहे काली पांडे ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा तो सुनील पांडे ने निर्दलीय दम ठोंक दिया था। 135 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले चिराग पासवान ने सपने में भी नहीं सोचा कि उनकी पार्टी एक सीट पर सिमट जाएगी।

चिराग को कांग्रेस और राजद से ऑफर
उधर, BJP, JDU, HAM और VIP ने मिलकर विधानसभा में बहुमत पा लिया और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए। अब चिराग पासवान के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं खुले हैं। चिराग पासवान आज BJP आलाकमान से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि BJP उनका साथ देती है तो JDU और नई LJP BJP से नाराज हो सकते हैं।

इस लिहाज से चिराग पासवान अगले 3 सालों तक सिर्फ जमुई के सांसद के तौर पर रह सकते हैं या फिर उनके चाचा और LJP के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस ने यह कहा है कि चाहे तो चिराग पासवान LJP में रह सकते हैं। ऐसे में चिराग पासवान आगे की राजनीति किसी दल के साथ भी शुरू कर सकते हैं। कांग्रेस और RJD ने चिराग पासवान को ऑफर दिया है।

जायसवाल लोग हड़िया मीट बेचता है, इ संयोग से एमपी बन गये हैं तो फड़फड़ा रहे हैं : जदयू नेता

“जायसवाल लोग हड़िया मीट बेचता है. इ संयोग से एमपी बन गये हैं तो फड़फड़ा रहे हैं. दम है तो हटें, जायें सरकार छोड़ कर. है हिम्मत? है कलेजा में ताकत. हटिये सरकार छोड़ कर. नीतीश कुमार के राजकाज पर सवाल उठा रहे हैं. है हिम्मत तो हटिये. निकलिये.”

ये चुनौती बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को मिली है. ये किसी विपक्षी पार्टी के नेता ने नहीं दिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को ये चुनौती जेडीयू के नेता ने दी है. वो भी किसी ऐरे-गैरे नेता ने नहीं बल्कि कई दफे विधायक रहे औऱ नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले नेता ने. ये बयान जेडीयू के नेता श्याम बहादुर सिंह का है.

क्या बोला है श्याम बहादुर सिंह ने
श्याम बहादुर सिंह ने आज बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पर बेहद कड़ा हमला बोला. उनके शब्दों में ही पढिये संजय जायसवाल के बारे में क्या कहा गया. “ये जायसवाल जी बोलते हैं, जायसवाल जी. मोतिहारी वाला. झटका में लोग मदद कर दिये, इसलिए एमपी  हो गये. एमपी बन गये तो कह रहे हैं कि बिहार मं राजपाट ठीक से नहीं चल रहा है. शासन-प्रशासन कमजोर है. हम तिलाक(कसम) दे रहे हैं. राजपाट ठीक नहीं है तो हटिये. हटिये, इस्तीफा दीजिये . लेकिन गठबंधन में रहकर गठबंधन के विरोध में बात नहीं. चौका का बात चौकी पर नहीं. हटिये, जायसवाल जी दम है तो हटिये गठबंधन से.”

हड़िया मीट बनाने वाले हैं संजय जायसवाल
श्याम बहादुर सिंह ने कहा-ये लोग हडिया मीट बनाने वाले हैं. जायसवाल लोग दिन भर हड़िया में मीट बेचता है. संयोग से मालिक लोग एमपी बना दिया. हटिये, निकलिये. हम छाती ठोंक कर कहते हैं-छाती में …..है तो हटिये. गठबंधन में रहना है तो सट के रहिये. मन नहीं है जाइये हट के रहिये. ये इधर उधर की बात नहीं चलेगी.

संजय जायसवाल को अपशब्दों के साथ चुनौती देने वाले श्याम बहादुर सिंह जेडीयू के प्रमुख नेताओं में माने जाते हैं. वे सिवान के बडहरिया से कई दफे विधायक रह चुके हैं. उनकी रंगीन मिजाजी के कई किस्से सामने आ चुके हैं. लेकिन उन्हें नीतीश कुमार का बेहद करीबी नेता माना जाता है. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद उन्होने जेडीयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में खुल मंच से बीजेपी को कोसा था.

उस सम्मेलन में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई बड़े नेता मौजूद थे. लेकिन किसी ने श्याम बहादुर सिंह  को न रोका था और ना उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गयी. अब श्याम बहादुर ने संजय जायसवाल के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया है क्या उसके बाद भी बीजेपी को बुरा लगेगा. ये देखने की बात होगी.

 

विशेष दर्जे की मांग को हथकंडा बनाकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहती है जदयू: राजद

केंद्रीय कैबिनेट में जनता दल यूनाइटेड के शामिल होने को लेकर जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने जो बयान दिया. उसके बाद बिहार की राजनीति अचानक से गर्म हो गई है. आरसीपी सिंह के बयान के बाद आरजेडी ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने के लिए जेडीयू व्याकुल है. आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने कहा है कि नीतीश कुमार अब तक विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले बगैर अगर कैबिनेट में वह शामिल होने जा रहे हैं. तो इस बात को समझा जा सकता है कि उन्होंने स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल किया.

आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए बेचैन हैं. मेरी शुभकामना है कि वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो जाएं. लेकिन वो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के मुद्दे को नहीं भूलें. बिना विशेष राज्य के दर्जा को बिहार में विकास की गति नहीं बढ़ाई जा सकती है.

श्याम रजक ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा और कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करने का मुद्दा उठाकर जेडीयू बीजेपी के साथ बार्गेनिंग करने का काम कर रही है. ताकि वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो जाएँ और सत्ता का सुख भोगें. गौरतलब हो कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार और उसमें जनता दल यूनाइटेड के शामिल होने की अटकलों के बीच जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह का बड़ा बयान सामने आया. जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा उन्होंने भी सुनी है. जेडीयू भी गठबंधन में शामिल है और एनडीए गठबंधन में शामिल होने के नाते जेडीयू को भी मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.

आपको बता दें कि शुक्रवार से लगातार यह चर्चा तेज हो गई है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है. मोदी कैबिनेट में फेरबदल की खबरों के बीच ही यह खबर भी सामने आई कि जनता दल यूनाइटेड भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने वाला है. जेडीयू के से दो मंत्रियों को बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में आरसीपी सिंह का यह ताजा बयान बेहद महत्वपूर्ण है.

गौरतलब हो कि सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है. इसके लिए पीएम मोदी मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल की अटकलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ विचार-विमर्श किया. वर्ष 2019 में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में कोई विस्तार नहीं किया है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जदयू को मिले हिस्सेदारी: आरसीपी सिंह

केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार और उसमें जनता दल यूनाइटेड के शामिल होने की अटकलों के बीच जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह का बड़ा बयान सामने आया है. जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा उन्होंने भी सुनी है. जेडीयू भी गठबंधन में शामिल है और एनडीए गठबंधन में शामिल होने के नाते जेडीयू को भी मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.

आपको बता दें कि शुक्रवार से लगातार यह चर्चा तेज हो गई है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है. मोदी कैबिनेट में फेरबदल की खबरों के बीच ही यह खबर भी सामने आई कि जनता दल यूनाइटेड भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने वाला है. जेडीयू के से दो मंत्रियों को बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में आरसीपी सिंह का यह ताजा बयान बेहद महत्वपूर्ण है.

गौरतलब हो कि सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है. इसके लिए पीएम मोदी मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल की अटकलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ विचार-विमर्श किया. वर्ष 2019 में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में कोई विस्तार नहीं किया है.

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अज्ञातवास पर रहने वाले जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने वापसी की है. आरसीपी सिंह कोरोना संक्रमण के दौरान राजनीतिक तौर पर सक्रिय नहीं थे. कोरोना की दूसरी लहर जब कमजोर पड़ी और संक्रमण के मामले कम हुए तो यह सवाल उठने लगा कि आखिर आरसीपी सिंह क्यों अज्ञातवास पर हैं. बिहार के राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा भी तेज हो गई. लेकिन अब जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने वापसी कर ली है. वापसी के साथ उन्होंने पार्टी कार्यालय में बैठकों का सिलसिला भी शुरू कर दिया है.

आरसीपी सिंह ने आज जनता दल यूनाइटेड कार्यालय स्थित कर्पूरी सभागार में पार्टी के अलग-अलग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की. इस बैठक में पार्टी के कई पदाधिकारी भी शामिल हुए. इस दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी मौजूद थे. इसके पहले आरसीपी सिंह ने शुक्रवार को पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ की बैठक की थी और कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए टीकाकरण अभियान को रफ्तार देने का टास्क के जेडीयू के नेताओं को दिया था.

आरसीपी सिंह ने कहा था कि कोरोना की तीसरी लहर से केवल वैक्सीन ही बचा सकती है. ऐसे में पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ की तरफ से टास्क फोर्स बनाकर टीकाकरण अभियान को सौ फ़ीसदी कामयाब बनाने की जरूरत है. आपको याद दिला दें कि आरसीपी सिंह जब संक्रमण के दौरान सक्रिय नहीं थे. तब लगातार सोशल मीडिया समेत राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा हो रही थी कि क्या उनके अज्ञातवास से जेडीयू में उपेंद्र कुशवाहा का कद बड़ा होता जा रहा है.

BJP पर जीतन राम मांझी का सबसे बड़ा हमला: भाजपा नेताओं का है आतंकी कनेक्शन, नीतीश कुमार तुरंत उन्हें जेल भेजें

 बिहार में बीजेपी के साथ सरकार में शामिल जीतन राम मांझी की पार्टी ने भाजपा पर सबसे तीखा हमला बोला है. मांझी की पार्टी हम ने कहा है कि बीजेपी नेताओं का आतंकी कनेक्शन है. नीतीश कुमार को तुरंत ऐसे नेताओं को जेल भिजवाना चाहिये. मांझी की पार्टी ने ये हमला बांका मदरसा ब्लास्ट को लेकर बोला है.

मांझी की पार्टी का सबसे बड़ा हमला
मांझी की पार्टी हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने प्रेस बयान जारी किया है. दानिश रिजवान ने कहा है कि बांका के मदरसे में ब्लास्ट के बाद बीजेपी के नेता मदरसे को आतंकवादियों से जोड़ रहे थे. लेकिन बिहार पुलिस ने साफ कर दिया है कि बांका के मदरसे का आतंकवादियों से कोई लेना देना नहीं है. ब्लास्ट का कोई आतंकी कनेक्शन नहीं है.

हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा है कि बिहार पुलिस के बयान के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी के नेताओं ने बिहार में सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए मदरसों के खिलाफ बयान दिया था. बीजेपी के नेताओं ने साजिश के तहत दो धर्मों के बीच बखेड़ा खडा करने की कोशिश की. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिये ताकि उनके नापाक मंसूबे पर पानी फिर सके. दानिश रिजवान ने कहा कि मदरसे के खिलाफ बयानबाजी करने वाले बीजेपी नेताओं का ही आतंकी कनेक्शन है. उनके खिलाफ जांच औऱ कार्रवाई होनी चाहिये.

गौरतलब है कि बांका मदरसा ब्लास्ट को लेकर आज जीतन राम मांझी ने भी बीजेपी पर बड़ा हमला बोला था. मांझी ने कहा था कि मदरसों में आतंकवाद की बात करने वाले देश विरोधी हैं. उन्होंने इसे दलितों से जोड़ दिया. मांझी बोले-जब दलित अपनी बात उठाता है तो उसके नक्सली करार दे दिया जाता है. उसी तरीके से जब मुसलमानों के बच्चे मदरसे में पढ़ने जाते हैं तो उन्हें आतंकवादी करार दिया जाता है. ये दलितों औऱ मुसलमानों के खिलाफ साजिश है. जो लोग मदरसों पर सवाल उठा रहे हैं वे देश के दुश्मन हैं. मांझी ने कहा कि बांका में अगर विस्फोट हुआ है तो उसकी जांच होगी लेकिन उसे आतंकवाद से जोड़ने की बात का वे पुरजोर विरोध करते हैं.

हम आपको बता दें कि बांका मदरसा विस्फोट के बाद सबसे ज्यादा बेचैनी बीजेपी में ही पसरी है. बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि मदरसे आतंकवाद के अड्डे बन गये हैं. उन्हे तत्काल बंद कराया जाना चाहिये. बीजेपी के कई औऱ नेताओं ने भी मदरसों को लेकर सवाल खड़ा किया. शुरू से ही बीजेपी मदरसों को लेकर सवाल उठाते रही है. मांझी ने मदरसों को लेकर बीजेपी के स्टैंड के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया.

सरकार की सफाई के बाद मांझी औऱ आक्रामक हुए
इस बीच बिहार सरकार ने बांका ब्लास्ट को लेकर सफाई दी. बांका के डीएम औऱ एसपी ने साझा प्रेस कांफ्रेंस की. दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि मदरसे में जो विस्फोट हुआ था वह देशी बम का था. देशी बम एक कनटेंनर में रखा था वही विस्फोट कर गया. बिहार पुलिस ने सारे एंगल से मामले की छानबीन कर ली है. किसी IED का सुराग नहीं मिला है. देशी बम के फटने से ये घटना हुई है. किसी शक्तिशाली विस्फोट का कोई सुराग नहीं मिला है. बांका के एसपी ने कहा कि मामले में कोई आतंकी कनेक्शन की बात सामने नहीं आयी है. पुलिस ने पड़ताल की तो ब्लास्ट में मारे गये ईमाम की आलमीरा से 1 लाख 65 हजार रूपये बरामद हुए हैं. इसके अलावा कोई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद नहीं हुआ है. बांका के डीएम ने कहा कि उस मदरसे से सरकार का कोई लेना देना नहीं है. मदरसा रजिस्टर्ड नहीं है. वह रैयती यानि निजी जमीन पर बना हुआ है. वहां तकरीबन पचास बच्चे पढ़ने जाते हैं. सरकार की ओऱ से उस मदरसे को कोई सहायता नहीं दी जाती थी.

शुभेन्दु अधिकारी ने अमित शाह से की मुलाकात, किन मुद्दों पर हुई बात?

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं भाजपा विधायक शुभेन्दु अधिकारी ने मंगलवार को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और राज्य से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की. अधिकारी, पश्चिम बंगाल की पूर्व ममता बनर्जी नीत सरकार में मंत्री थे, लेकिन राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए.

शाह के कार्यालय ने गृह मंत्री और पश्चिम बंगाल के नेता की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘ शुभेन्दु अधिकारी जी ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी से मुलाकात की.’’ पार्टी के सूत्रों ने बताया कि राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद शाह से अधिकारी की यह पहली मुलाकात थी. उन्होंने केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया से भी मुलाकात की. वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात करेंगे.

एक सूत्र ने बताया कि अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर सकते हैं. पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने शाह के साथ राज्य से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की और बंगाल के कल्याण के लिए उनका आर्शिवाद मांगा. उन्होंने कहा, ‘‘ माननीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह बंगाल के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे.’’ पश्चिम बंगाल में इस साल मार्च-अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट पर अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक कड़े मुकाबले में मात दी थी.

गौरतलब है कि मोदी और ममता के बीच चक्रवाती तूफान ‘यास’ के कारण हुए नुकसान की समीक्षा को लेकर हुई बैठक में अधिकारी की मौजूदगी से तृणमूल नेता नाराज हो गईं थी. इसके कुछ दिनों बाद ही अधिकारी बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, ममता बनर्जी उक्त बैठक में देर से पहुंची थीं और चक्रवात के नुकसान संबंधी रिपोर्ट देकर वहां से चली गई थीं.

जेडीयू ने बीजेपी को खुली चेतावनी दी, कहा बर्दाश्त की सीमा पार हो गयी, हमारे मुंह में भी जुबान है

बिहार एनडीए में पिछले कुछ दिनों से शुरू हुआ घमासान अब तूफान बनता जा रहा है. गुरूवार को सुबह-सुबह जेडीयू ने बीजेपी को खुली चेतावनी दी है. बर्दाश्त की सीमा पार हो गयी, हमारे मुंह में भी जुबान है औऱ हमको भी बोलने आता है. अब ईंट का जवाब पत्थर से देंगे औऱ हां, अगर नीतीश कुमार पर अंगुली उठायी तो अंगुली को सलामत नहीं रहने देंगे.

जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता का बयान

गुरूवार की सुबह सुबह जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने बयान दिया है. फर्स्ट बिहार से बात करते हुए संजय सिंह ने कहा-बीजेपी के नेता नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं औऱ बीजेपी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. हमारे बर्दाश्त की सीमा पार होती जा रही है. अब अगर बीजेपी ने अपने नेताओं की बयानबाजी पर रोक नहीं लगायी तो ईंट का जवाब पत्थर से देंगे.

अंगुली सलामत नहीं रहने देंगे

संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी को समझ लेना चाहिये कि अगर नीतीश कुमार पर अंगुली उठायी तो अंगुली सलामत नहीं रहने देंगे. हम चुप बैठे हैं तो उसे हमारी कमजोरी नहीं समझना चाहिये. लेकिन बर्दाश्त की सीमा पार हो गयी है, जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता ने कहा-हमको भी बोलने आता है, हमारे मुंह में भी जुबान है. हम भी जवाब देना जानते हैं. नीतीश कुमार के बारे में कोई बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जायेगी.

टुन्नाजी पांडेय के बयान से मचा है तूफान

दरअसल जेडीयू-बीजेपी में घमासान भाजपा के एमएलसी टुन्नाजी पांडेय के बयान से उठा है. टुन्नाजी पांडेय ने बयान दिया है कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं. उन्हें जनता ने वोट नहीं दिया है. वोट तो तेजस्वी यादव को मिला था लेकिन जनादेश की चोरी करके नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गये हैं. टुन्ना जी पांडेय ने कहा कि नीतीश कुमार को तो जेल में रहना चाहिये था.

टुन्नाजी पांडेय पर कार्रवाई क्यों नहीं

नाराज जेडीयू ने बीजेपी से पूछा है कि टुन्ना जी पांडेय के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की है. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि टुन्नाजी पांडेय ने विधानसभा चुनाव में अपने भाई को राजद से उम्मीदवार बनवाया औऱ वे राजद से विधायक चुने गये हैं. जेडीयू ने कहा कि पूरे चुनाव में टुन्नाजी पांडेय ने एनडीए के खिलाफ अभियान चलाया. चुनाव के बाद वे नीतीश कुमार के खिलाफ उल्टा सीधा बयानबाजी कर रहे हैं. संजय सिंह ने कहा कि आखिरकार बीजेपी टुन्नाजी पांडेय के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. इससे कई तरह की चर्चायें हो रही हैं.

जेडीयू ने कहा कि टुन्नाजी पांडेय शऱाब के कारोबारी थे. बिहार में शराब बंद होने के बाद वे नीतीश कुमार पर बौखलाये हैं. इसलिए भी वे नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दे रहे हैं.

गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने भी बीजेपी पर सवाल उठाये थे. उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से पूछा था कि अगर टुन्नाजी पांडेय की तरह किसी जेडीयू नेता ने बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी की होती तो क्या होता. बाद में इस मामले में जीतन राम मांझी की पार्टी हम भी कूद पड़ी थी. हम ने कहा था कि नीतीश कुमार पर सवाल उठाने वालों को करारा जवाब दिया जायेगा.

बंगाल चुनाव : TMC मनोनीत सांसद स्वपन दासगुप्ता ने दिया इस्तीफा, भाजपा से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और कांग्रेस  के विरोध जताने के बाद राज्यसभा से मनोनीत सदस्य स्वपन दासगुप्ता ने उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि भाजपा ने हुगली जिले के तारकेश्वर विधानसभा सीट से उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया था, जिस पर टीएमसी और कांग्रेस ने सवाल खड़े किए थे। विवाद बढ़ता देख स्वपन दासगुप्ता ने मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।

इस बीच दासगुप्ता ने एक ट्वीट कर कहा, ‘‘ मैंने बेहतर बंगाल की लड़ाई में अपने आप को समर्पित करने के लिए राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। मैंने हमेशा कहा है कि नामांकन पत्र (पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए) दाखिल करने से पहले जो भी आवश्यक कदम उठाने होंगे, वे उठाए जाएंगे।’’

भाजपा ने रविवार को 26 और उम्मीदवारों की सूची जारी की थी, जिसमें स्वपन दासगुप्ता का नाम भी था। इसके बाद टीएमसी स्वपन दासगुप्ता की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने के लिए विशेष प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर विरोध जताया।

टीएमसी का आरोप, संविधान की 10वीं अनुसूची का उल्लंघन 
महुआ मोइत्रा ने संविधान की 10वीं अनुसूची का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा था कि भाजपा की ओर से स्वपन दासगुप्ता को उम्मीदवार के तौर पर उतारा गया है। संविधान की 10वीं अनुसूची कहती है कि अगर कोई राज्यसभा का मनोनीत सदस्य शपथ लेने और उसके छह महीने की अवधि खत्म होने के बाद अगर किसी भी राजनैतिक पार्टी में शामिल होता है। तो उसे राज्यसभा की सदस्यता के लिए अघोषित कर दिया जाएगा।

कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस ने भी स्वपन दासगुप्ता के चुनाव लड़ने पर सवाल उठाया। सभापति वेंकैया नायडू को लिखे पत्र में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बताया कि दासगुप्ता ने चुनाव लड़ने से पहले ना तो सदन से इस्तीफा दिया है और ना ही ना ही वे किसी पार्टी में शामिल हुए हैं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने वेंकैया नायडू से सवाल किया और पूछा कि क्या कोई राज्यसभा का सदस्य जो नामित होने के छह महीने बाद भी औपचारिक तौर पर किसी राजनैतिक पार्टी से ना जुड़ा हो और बिना राजनीतिक पार्टी के नामित सदस्य के तौर पर काम कर रहा हो, क्या बिना इस्तीफा दिए लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ सकता है? बता दें कि दासगुप्ता अप्रैल, 2016 में राज्यसभा सदस्य बने थे और राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल अप्रैल 2022 तक था।

 

5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने की प्रत्याशियों की घोषणा, बंगाल में बाबुल सुप्रियो भी मैदान में

भारतीय जनता पार्टी ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। ‘मेट्रो मैन’ श्रीधरन को केरल के पलक्कड़ से टिकट दिया है तो वहीं पश्चिम बंगाल में बाबुल सुप्रियो टॉलीगंज से चुनाव लड़ेंगे। फिलहाल बाबुल सुप्रियो बीजेपी से सांसद है और केंद्र में मंत्री भी हैं। केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी 115 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकी 25 सीटें चार पार्टियों के लिए छोड़ी जाएंगी।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने रविवार को सीटों के बारे में बताते हुए कहा है कि राज्य बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन दो सीटों से मैदान में उतरेंगे। इन दो सीटों में एक कासरगोड की मंजेश्वर और दूसरी पठानमथिट्टा की कोन्नी सीट शामिल है। वही, बीजेपी ने फिलहाल असम की 17 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। बीजेपी असम में 92 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने बाताया कि बंगाल में तीसरे चरण के लिए 27 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया है जबकि चौथे चरण के लिए 38 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की गई है। बीजेपी ने बंगाल में अर्थशास्त्री अशोक लहिरी को अलीपुरदौर सीट से मैदान में उतारा है तो राजीब बनर्जी को डोमजुर और रबिन्द्रनाथ भट्टाचार्या को सिंगुर से मौदान में उतारा है। बीजेपी ने सांसद बाबुल सुप्रियो के साथ-साथ स्वप्नदास गुप्ता को भी मैदान में उतारा है। स्वप्नदास गुप्ता बंगाल के तारुकेश्वर सीट से मैदान में उतरेंगे। वहीं, सांसद लॉकेट चटर्जी को चुनचुड़ा से उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा केरल, तमिलनाडु, असम के लिए भी बीजेपी ने उम्मदीवारों की सूची जारी की है।

केरल में किसे कहा से बनाया उम्मीदवार?
केरल विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन को पलक्कड़ सीट से मैदान में उतारा है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री के जे अल्फोंस को कांजिरापल्ली सीट से टिकट दिया है। पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने बताया कि भाजपा केरल में 140 विधानसभा सीटों में से 115 पर चुनाव लड़ेगी।

तमिलनाडु में किसे कहां से बनाया उम्मीदवार?
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अभिनेत्री से नेता बनीं खुशबू सुंदर तमिलनाडु में थाउजैंड लाइट्स सीट से मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने अपनी महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन को कमल हासन के खिलाफ कोयंबटूर साउथ सीट से मैदान में उतारा।

TMC से टिकट कटने से नाराज 5 विधायकों सहित 6 नेताओं ने उठाया BJP का झंडा

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ तेज हो गई है। सोमवार को राज्य में टीएमसी के 5 विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। ये सभी टिकट कटने से नाराज हैं। टीएमसी विधायक सोनाली गुहा, दीपेंदु बिस्वास, रबींद्रनाथ भट्टाचार्य, जातू लाहिरी और सितल कुमार सरदार ने बीजेपी का झंडा उठा लिया है। इनके अलावा टिकट देकर छीन लिए जाने से आहत सरला मुर्मू ने भी कुछ घंटों के भीतर ही भगवा दल में शामिल होकर टीएमसी को झटका दिया है।

गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के 291 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। टीएमसी ने दो दर्जन से अधिक विधायकों और कई मंत्रियों को इस बार टिकट नहीं दिया है। कुछ को उम्र तो कुछ को बीमारी या अन्य वजहों से टिकट देने से इनकार कर दिया गया है। टिकट कटने पर कई विधायकों ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है।

तृणमूल कांग्रेस ने मालदा जिले के हबीबपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से अपनी उम्मीदवार सरला मुर्मू को बदलकर उनके स्थान पर प्रदीप बास्के को उम्मीदवार बनाने का सोमवार को फैसला किया। यह निर्णय मूर्मू को उनकी पसंदीदा सीट से कथित रूप से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने के बाद उनके भाजपा में शामिल हो सकने की अटकलों के बीच लिया गया। कुछ घंटों के भीतर वह बीजेपी में शामिल भी हो चुकी हैं।

बीजेपी विधायक शैलेन्द्र को जदयू विधायक गोपाल मंडल से जान का खतरा, सुरक्षा को लेकर IG से लगाई गुहार

बिहार में एनडीए की सरकार है. लेकिन उसके बाद भी विधायक अपने आप को सुरक्षित नहीं मान रहे हैं. जेडीयू के दबंग विधायक से बीजेपी विधायक को जान का खतरा है. इसको लेकर बीजेपी विधायक ने आईजी से गुहार लगाई है.

गोपाल मंडल से शैलेंद्र को खतरा

बिहपुर बीजेपी विधायक इंजीनियर शैलेंद्र ने गोपालपुर के जेडीयू विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल से जान का खतरा सता रहा है. बीजेपी विधायक शैलेंद्र ने पुलिस मुख्यालय से सुरक्षा मुहैया कराने का आग्रह किया है. इसको लेकर शैलेंद्र ने पुलिस मुख्यालय में आईजी (सुरक्षा) को लेटर लिखा है. विधायक के लेटर पर  पुलिस मुख्यालय से डीआईजी (सुरक्षा) ने भागलपुर डीआईजी से जांच कर उचित कार्रवाई को कहा है.

चुनाव हराने की दी थी धमकी

6 जनवरी कोगोपालपुर से जेडीयू विधायक गोपाल मंडल का एक और वीडियो वायरल हो हुआ था. जिसमें वह बिहपुर से बीजेपी विधायक इंजीनियर कुमार शैलेंद्र को कॉल कर धमकी दे रहे थे. गोपाल मंडल ने धमकी दी थी कि अगली बार वह शैलेंद्र को चुनाव हरा देंगे. गोपाल मंडल ने बीजेपी विधायक को धमकी दी कि और कहा कि अगले चुनाव में वह जीतने नहीं देंगे. बिहपुर की राजनीति छोड़ा देंगे. गोपालपुर की चिंता छोड़ दिजिए. जिसके बाद शैलेंद्र हंसते हुए कह रहे हैं कि भईया इतना घबड़ाई मत. हमको लग रहा है कि आपको कोई गलत जानकारी दे दिया है.