छत्तीसगढ़ में अम्बागढ़ चौकी जिले के पीड़िगपार गांव में तालिबानी फरमान से 11 परिवार को गांव से अलग कर राशन, पानी, बातचीत से वंचित करने का हुक्म जारी कर दिया है। वहीं जहां एक ओर जिला प्रशासन गांव-गांव पहुंच जागरूकता अभियान चलाकर खुद का गुणगान कर रही है तो दूसरी तरफ खाने पीने रोजगार के लिए तरस रहे परिवार को अब तक न्याय क्यों नहीं दिला सकी है।
दरअसल, साल 2012 में गांव के स्कूल में स्कूली छात्रों को बिना किसी व्यक्ति द्वारा मारने पीटने का अहसास होने की शिकायत बच्चों ने अपने परिजनों को दी थी, जिसके बाद गांव के लोगों ने बैठक कर तंत्र मंत्र का प्रकोप बताते हुए पूजा पाठ कराया और बैठक में गांव के कायता राम यादव द्वारा जादूटोना करने का आरोप लगाते हुए उसे गांव से बाहर कर दिया गया। साथ ही उनके साथ देने वाले 10 परिवार को भी 11 साल से गांव से बहिष्कार कर दिया। अब तो इस परिवार से गांव में कोई भी व्यक्ति रिश्ता नहीं रखना चाहता और न ही गांव के किसी दुकान से उन्हें राशन, पानी, दवाइयां दे रहा है।
इस वजह से इन परिवार के लोगों को तीन से चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव में जाकर दैनिक उपयोग का सामान खरीदना पड़ रहा है क्योंकि गांव द्वारा फैसला लिया गया कि इस पूरे परिवार को गांव के लोगों द्वारा कोई भी राशन, पानी, लेनदेन यहां तक की बच्चों को चॉकलेट,बिस्किट तक नहीं देगा न ही बातचीत करेगा। अगर कोई बात नहीं मानता या फिर उस परिवार को राशन-पानी देने या बात करने की कोशिश करता है तो गांव वालों द्वारा उस पर कार्रवाई करते हुए पांच हजार जुर्माना की सजा दी जाएगी। जिस वजह से सभी परिवार काफी डरा हुआ है और प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है।