टैक्सी ड्राइवर का बेटा बना IAS अफसर, UPSC में तीन नंबर से हुआ था फेल, अब सपना हुआ साकार

GridArt 20240109 105424732

पिता चलाते हैं स्कूली वैन, बेटे ने यूपीएससी में किया कमाल, जानिए सुमित कुमार ठाकुर ने कैसे तय किया यहां तक का सफर” : मेरा नाम सुमित कुमार ठाकुर है और मैं यूपीएससी 2022 बैच का आईएएस अधिकारी हूं. सुमित मूल रूप से बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड के रहने वाले हैं और उनका पूरा परिवार सरायकेला खरसावां जिला के आदित्यपुर के निवासी है. रोड नंबर 3 में इनका घर है. यूपीएससी परीक्षा में उन्हें ऑल इंडिया रैंक 263 प्राप्त हुआ था।

सुमित के पिता स्कूल वैन चलते हैं. बच्चों को घर से लाकर स्कूल पहुंचाते हैं और फिर स्कूल से घर तक ले जाते हैं. सुमित का कहना है कि मेरे पिताजी मुश्किल से 10 से ₹15000 कमा पाते थे, इसी में परिवार का भरण पोषण होता था. उन्होंने बताया कि पहली बार साल 2019 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा देने का फैसला किया और यूपीएससी की तैयारी करने लगे. किस्मत ने साथ नहीं दिया वह मात्र इंटरव्यू तक पहुंच पाए उनका कहना है कि तीन नंबर से वे चूक गए थे. हिम्मत हारने के बदले उन्होंने दोबारा जमकर मेहनत की और साल 2021 में आखिरकार इन्हें कामयाबी हाथ लगी।

अपनी आरंभिक शिक्षा के बारे में सुमित बताते हैं कि रामकृष्ण मिशन बिष्टुपुर से मैंने मैट्रिक की परीक्षा दी है और उसके बाद राजेंद्र विद्यालय से इंटर की पढ़ाई करने लगा. मैं BIT सिंदरी धनबाद का छात्र रह चुका हूं. साल 2014 से 18 बैच में मैं कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लिया और इंजीनियर बन गया. इस दौरान मुझे यामाहा टीसीएस और मेक लाइन जैसी कंपनी में नौकरी करने का अवसर मिला जिसे मैंने ठुकरा दिया. मैंने अपनी एक स्टार्टअप कंपनी भी बनाई जिसने कोरोना कल में काफी एप्प बनाए.

सुमित की इस कामयाबी से उनका परिवार काफी खुश है। परिवार का कहना है कि सुमित शुरु से ही पढ़ने में ठीक था, वो काफी मेहनत भी करता था, उसकी मेहनत का ही नतीजा है, कि आज उसे इतनी बड़ी सफलता मिली है। गौरतलब है, कि सुमित ने ना सिर्फ परिवार, और जिला बल्कि पूरे राज्य का नाम रौशन किया है।

 

Sumit ZaaDav: Hi, myself Sumit ZaaDav from vob. I love updating Web news, creating news reels and video. I have four years experience of digital media.