पटना: बिहार में शराबबंदी को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधे जाने के बाद जनता दल (यूनाइटेड) ने बृहस्पतिवार को पलटवार किया और कहा कि राज्य की तस्वीर बदलने वाली इस नीति के खिलाफ बोलना नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मजबूरी है क्योंकि उन्हें शराब बनाने वाली कंपनियों से चंदा लेना होता है।
‘तेजस्वी यादव अगर शराबबंदी के खिलाफ हैं तो …’
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव अगर शराबबंदी के खिलाफ हैं तो उन्हें आगामी चुनावों में होने वाले नुकसान को लेकर तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘शराबबंदी के खिलाफ तेजस्वी यादव का जहर उगलता अस्वाभाविक नहीं है। जिन शराब बनाने वाली कंपनियों से वह चंदा लेते हैं, उनकी खुशी के लिए उन्हें कुछ तो बोलना ही है।” प्रसाद ने दावा किया कि शराबबंदी ने न सिर्फ बिहार को बदला है बल्कि यहां के गांवों की तस्वीर भी बदल डाली है। उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आई है। शराब के सेवन से होने वाली बीमारियों के आंकड़ों में भी कमी आई है। सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है। कानून व्यवस्था के आंकड़े बेहतर हुए हैं।”
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, ‘‘इसके बावजूद अगर तेजस्वी शराबबंदी के खिलाफ हैं तो नि:संदेह, उन्हें आगामी चुनाव में होने वाले नुकसान के लिए तैयार रहना चाहिए।” राजद ने इससे पहले शराबबंदी को लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया और जेडीयू (जद-यू) का अर्थ ‘जहां दारू अनलिमिटेड’ बताया। तेजस्वी यादव ने इस पोस्ट को ‘रिपोस्ट’ किया। इसमें लिखा गया, ‘‘जे यानी जहां, डी यानी दारू और यू से अनलिमिटेड।” राजद ने बिहार में शराबबंदी के बावजूद जहरीली शराब से लोगों की मौत के लिए मुख्यमंत्री कुमार और उनकी पार्टी को जिम्मेवार ठहराया। बिहार में पिछले सप्ताह सिवान, सारण और गोपालगंज जिलों में जहरीली शराब पीने से 37 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। नीतीश कुमार नीत बिहार सरकार ने पांच अप्रैल 2016 को शराब की बिक्री और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।