पटना। पांच दिन पहले वेतन घोटाला का आरोप लगाने वाले जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को नोटिस भेज 12.10 करोड़ का हर्जाना मांगा है।लॉ फर्म के माध्यम से भेजे नोटिस में तेजस्वी ने कथित तौर पर आधारहीन और आपत्तिजनक बयान के लिए नीरज के विरुद्ध मानहानि का मामला दायर करने की चेतावनी दी है।
कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए नीरज को दस दिनों के भीतर हर्जाना देना होगा। इसके अलावा उन्हें सार्वजनिक रूप से क्षमायाचना भी करनी होगी।
नीरज कुमार ने तेजस्वी पर क्या आरोप लगाए?
21 अक्टूबर को प्रेस-वार्ता में नीरज ने आरोप लगाया था कि पिता लालू प्रसाद ने चारा घोटाला किया और तेजस्वी वेतन में घोटाला कर रहे। विधानसभा के पिछले चुनाव में उनके शपथ-पत्र से इसकी पुष्टि होती है।नीरज के मुताबिक, 2015 में उन्होंने बताया था कि उनकी वार्षिक आय पांच लाख आठ हजार 19 रुपये है। तब वे अलग-अलग लोगों को एक करोड़ 13 लाख रुपये का ऋण भी दिए थे।
2020 में उनकी वार्षिक आय घटकर एक लाख 41 हजार रुपये हो गई। इस हिसाब से तेजस्वी की मासिक आय 11 हजार आठ सौ 12 रुपये 50 पैसा बनती है, जबकि एक विधायक का मासिक 40 हजार रुपये मिलते हैं। इस हिसाब से वार्षिक आय चार लाख 80 हजार रुपये होती है।अब प्रश्न है कि इतनी कम आय वाला व्यक्ति चार्टर प्लेन में अपने जन्मदिन की पार्टी कैसे मना सकता है? वह प्राय: विदेश भ्रमण कैसे कर लेता है? तेजस्वी को इसका उत्तर देना चाहिए।
दस्तावेज दिखाते हुए नीरज ने कहा था कि अगर मेरा आंकड़ा गलत है तो तेजस्वी मुझ पर मुकदमा कर दें। अब तेजस्वी ने भी नोटिस भेज ही दिया है।
तेजस्वी के नोटिस में क्या कहा गया?
एकेजे लॉ एसोसिएट्स के जरिये भेजे नोटिस में तेजस्वी के राजनीतिक जीवन को पारदर्शी व जनहित में समर्पित बताया है। सरकार में रहते हुए रोजगार आदि के संदर्भ में किए उनके कार्यों का उल्लेख है।नोटिस में बताया गया है कि तेजस्वी वार्षिक रूप से आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं और सत्ता में रहते हुए भी सरकारी पोर्टल पर प्रति वर्ष अपनी आय का ब्योरा देते रहे हैं। ऐसे में नीरज के आरोप मिथ्या और आधारहीन हैं। वह तेजस्वी की स्वच्छ छवि को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास है।
नोटिस के मुताबिक, नीरज ने ऐसा जान-बूझकर तथा राजनीतिक व निजी स्वार्थ से प्रेरित होकर किया है। इससे तेजसवी को मानसिक आघात पहुंचा है। उसके एवज में नीरज को 10 करोड़ रुपये देने होंगे।10 लाख रुपये इस कानूनी पचड़े में हुए खर्च के एवज में चाहिए। हर्जाना नहीं देने पर भारतीय न्याय संहिता की धारा-356 के अंतर्गत मानहानि का आपराधिक वाद दायर किया जाएगा।