तेजस्वी बाबू ध्यान दीजिए ! बिना अच्छी जगह और संसाधन कैसे मैडल लाएं प्लेयर, रणजी मैच में खुल गया व्यवस्था का पोल
बिहार के उपमुख्यमंत्री को आपने यह कहते हुए सुना होगा कि हम खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा दते हैं। वो यह भी कहते हैं कि मैडल लाइए और रोजगार पाइए। उनकी इन बातों की सहराना तो होनी चाहिए। लेकिन, क्या वर्तमान में बिहार में खेल और खिलाड़ियों के जो हालत हैं उसमें वो सहराना के काबिल हैं या उनके गठबंधन में जो सरकार चल रही है वो सही तरीके से इसको लेकर चिंतित है। इस नए गठबंधन वाली सरकार को बने हुए 16 महीनें हो चुके हैं लेकिन शायद ही कभी ऐसा सुनने को मिला है ये सरकार किसी स्टेडियम और खिलाड़ियों या खेल को लेकर ही अधिक चिंतित नजर आयी हो। इस बात का एक और नमूना आज बिहार में करीब 24 साल बाद हर रणजी टूनामेंट के दौरान खेलने को मिल गया।
दरअसल, बिहार की राजधानी पटना में आज सालों बाद एक बड़े टूर्नामेंट का आयोजन करवाया गया। जिसमें टीम इंडिया में खेलने वाले कई खिलाड़ी शामिल हुए। यह मैच बिहार और मुंबई के बीच रणजी टूर्नामेंट के तहत आयोजित करवाया गया था। लेकिन इस मैच के शुरू होते ही बिहार में खेल और खिलाड़ियों को लेकर सरकार कितनी सजग और चिंतित है इसका नमूना देखने को मिल गया।
चाहे फील्ड की बात हो या फिर दर्शकों के लिए बैठने की जगह हर जगह कुव्यवस्था ही कुव्यवस्था नजर आई। यह मैच राजधानी पटना के बहुचर्चित मोइनुल हक स्टेडियम में आयोजित करवाया गया था। जबकि यह सरकार अच्छी तरह जानती है कि उसके आधे से अधिक जमीन पर निर्माणाधीन मेट्रो का काम चल रहा है। लिहाजा इस पूरे स्टेडियम की स्थिति बद से बदतर हैं। इसके बावजूद इस वेन्यू पर क्रिकेट आयोजित करवाया गया।
लेकिन, सबसे बड़ा झटका उस समय लगा जब इस स्टेडियम और पिच की हालत देख इस मैच खेलने कई स्टार प्लेयर ने यहाँ खेलने से कन्नी कटा लिए। जबकि कुछ प्लेयर खेलें तो जरूर क्योंकि इन्हें टीम इंडिया में जगह बनानी है और अभी वह युवा चेहरे हैं। ऐसे में उनके लिए यह मैच खेलना काफी महत्वपूर्ण था। लेकिन वैसे प्लेयर जो पहले ही टीम इंडिया में खेल कर अच्छी रिकॉर्ड बना चुके हैं। वह इस पिच पर मैच खेलने से कन्नी काट गए। ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि जब बीसीसीआई को और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को यह पहले से मालूम था कि मैच बिहार में खेला जाना है तो माकूल व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
वहीं, अब यह सवाल यह भी उठ रहा है कि खुद सूबे के उपमुख्यमंत्री पुराने क्रिकेट प्लेयर रह चुके हैं। आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट का हिस्सा रह चुके हैं। उनका खुद का सपना भी टीम इंडिया के लिए खेलने का रहा है और वो अच्छी तरह से जानते होंगे की टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए कितनी मेहनत करनी होती है और ऐसी व्यवस्था रही तो क्या वह संभव होगा या नहीं। बावजूद वह इसको लेकर तनिक भी चिंतित नजर नहीं आए। जबकि वह कहते फिरते हैं कि- मेडल लाओ और नौकरी पायो। ऐसे में जब संसाधन ही ना हो और जगह ही ना हो तो फिर कैसे मेडल लाएं यह भी सवाल उठाने शुरू हो जाता है। अब तक यही वजह रही है कि बिहार से कई स्टार प्लेयर जन्म लिए हैं। लेकिन वह दूसरे राज्यों में जाकर खेलना शुरू कर दिए और बिहार के होने के बावजूद दूसरे राज्यों के प्लेयर कहलाने लगे।
उधर, मैच के पहले दिन ही बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) का आपसी विवाद खुलकर सामने आ गया। बीसीए के ओएसडी पर हमला कर सिर फोड़ दिया गया। इतना ही नहीं, मैच शुरू होने से एक दिन पहले बिहार के खिलाड़ियों की दो सूची जारी की गई थी। एक अध्यक्ष और दूसरा पूर्व सचिव अमित कुमार गुट की ओर से लिस्ट जारी की गई थी।शुक्रवार को मैच खेलने के लिए पूर्व सचिव गुट की टीम पहुंची, जिसे ग्राउंड में प्रवेश नहीं कर दिया गया। पुलिस ने उन्हें बस में बैठाकर स्टेडियम से बाहर कर दिया। वहीं, कुछ देर के बाद अज्ञात लोगों ने पत्थर से बीसीए के ओएसडी मनोज कुमार पर जानलेवा हमला कर दिया। इसके साथ ही उनके साथ मारपीट की गई। इससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
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