उत्तर प्रदेश बहराइच में जनता इन दिनों आदमखोर भेड़ियों के ख़ौफ के साए में जी रही है। यहां के बाशिंदों की हर रात इस बात की फिक्र में गुज़र जाती है कि कहीं भेड़िए उनके बच्चों को शिकार न बना ले। क्योंकि अब तक ये आदमखोर भेड़िए बच्चो समेत 9 लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं। समूचे जिले में हर तरफ एक दहशत फैली हुई है। इलाके में खौफ का ये आलम है कि लोगों की रात आंखों में गुजर जाती है। तो चलिए जानते हैं क्या है कहानी और कब इनसे छुटकारा मिलेगा?
26 अगस्त की रात भेड़िया थाना खैरीघाट क्षेत्र में घर के आंगन में सो रहे एक बच्चे को उठा ले गया। अगले दिन घर से 500 मीटर दूर उसका क्षत-विक्षत शव मिला। इससे कुछ दिन पहले आदमखोर ने एक बुजुर्ग महिला को अपना शिकार बनाया था। इलाके में बीते 30-40 दिनों में भेड़ियों का झुंड बच्चों सहित 9 लोगों को मार चुका है। दर्जन भर से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं। इन घटनाओं को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने लोगों से रात में अकेले बाहर न निकलने की अपील की है। फिलहाल, वन विभाग की कई टीमें गश्त पर लगी हुई हैं। ड्रोन से भी नजर रखी जा रही है।
बहराइच पहुंचे वन मंत्री
मगर हालात ऐसे हो चले है कि लोग अब घर में रहने से भी डरने लगे हैं। इस बीच प्रदेश सरकार में वन मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना बहराइच के महसी विकास खंड के अंतर्गत आने वाले एक गांव पहुंचें, जहां पर भेड़िये ने हमला कर महिला की हत्या कर दी थी। इस गांव में भेड़िये का खौफ छाया हुआ है। वन मंत्री ने पीड़ित परिजनों से कहा कि दुख की इस घड़ी में पूरी सरकार आपके साथ है। भेड़ियों को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। मंत्री ने गांव के दौरे के बाद वन्य अधिकारियों, डीएम और एसपी के साथ मीटिंग भी की। बहराइच का खूनी भेड़िया रात में बच्चों को बना रहा है अपना शिकार, रातभर जागकर गांव के लोग कर रहे हैं रखवाली।
आपको बता दें कि बहराइच की महसी तहसील के करीब 100 वर्ग किलोमीटर के 25 से 30 गांव भेड़ियों के आंतक से परेशान हैं। भेड़ियों के हमलों से बचने के लिए ग्रामीण पहरेदारी कर रहे हैं। रात-रात भर जाग रहे हैं। खेतों में भी नहीं जा पा रहे। बच्चे घर के बाहर खेलने से डरने लगे हैं. सूरज ढलते ही खौफ के साये में रहना पड़ता है। क्योंकि, न जाने कब और किधर से आदमखोर दस्तक दे दे। डरे सहमे कई परिवारों ने तो अपने बच्चों को रिश्तेदारों के घर तक भेज दिया है।
चुपके से बनाता है शिकार
ग्रामीणों के मुताबिक भेड़िए दबे पांव आते हैं और बच्चों को उठा ले जाते हैं। दरअसल, बहराइच जिले के महसी तहसील क्षेत्र में हुई आठ घटनाओं के बाद नौवीं घटना 26 अगस्त की रात थाना खैरीघाट क्षेत्र के दीवानपुरवा से सामने आई। जहां 5 वर्षीय अयांश को आदमखोर भेड़िया उस समय उठा ले गया जब वह अपनी मां रोली के साथ घर के आंगन में सोया हुआ था। रोली की नींद खुलने पर जब उसने अपने बच्चे को गायब देखा तो चीख-पुकार मचाई। जिसके बाद परिजनों ने बच्चे को आस-पास के इलाके में तलाश किया लेकिन वह नहीं मिला।
वन विभाग के इंतजाम नाकाफी
अगले दिन सुबह अयांश का क्षत-विक्षत शव गांव से कुछ दूरी पर पड़ा मिला। सूचना पर मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने घटनास्थल की जांच-पड़ताल कर बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इस घटना से परिवार में मातम पसर गया। गांव वालों ने बताया कि इलाके में खूनी भेड़ियों का खौफ है। वे कभी दबे पांव आ जाते हैं और लोगों पर हमला बोल देते हैं। अब तो घरों से बच्चों को उठाकर ले जा रहे हैं। इतनी दहशत पहले कभी नहीं देखी। वन विभाग के सारे इंतजाम नाकाफी साबित हुए हैं। भेड़ियों के हमले लगातार जारी हैं।
वन विभाग की 25 टीमें भेड़ियों को पकड़ने में जुटी बताया जा रहा है कि इन आदमखोर भेड़ियों ने पहला शिकार जुलाई में किया था। फिर एक के बाद एक लोगों को अपना शिकार बनाते गए। अब तक 9 लोग इनका निवाला बन चुके हैं। इन भेड़ियों को पकड़ने के लिए पांच वन प्रभागों बहराइच, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ, श्रावस्ती, गोंडा, व बाराबंकी की लगभग 25 टीमें लगी हुई हैं। लेकिन इस पूरी कवायद का आदमखोरों पर कोई असर होता नहीं दिखाई पड़ रहा है। भेड़िये एक के बाद एक नए शिकार की तलाश में इंसानी बस्ती में हमले की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। हालांकि, कुछ भेड़ियों को पकड़ा गया है कि लेकिन अभी भी कई छुट्टा घूम रहे हैं। अब तो इन आदमखोरों ने अपना दायरा जिले के अन्य क्षेत्रों तक बढ़ा लिया है।
जल्द ही मिलेगा छुटकारा: वन विभाग
भेड़ियों को आबादी से दूर रखने के लिए वन विभाग नए-नए तरीके अपना रहा है। विभाग द्वारा भेड़िया प्रभावित गांवों में हाथी के गोबर व मूत्र का प्रयोग भी किया जा रहा है। ताकि इसकी गंध से हाथी के मौजूदगी का अहसास हो और भेड़िये आबादी से दूर रहें। हालांकि, इसका कुछ असर होता नहीं नजर आया। फिलहाल, डीएफओ ने बताया है कि भेड़ियों की गतिविधि, फुटमार्क की जांच की जा रही है। हाइटेक ड्रोन भी मंगवाया गया है। वनकर्मियों को आशा है कि जल्दी ही समस्या से निजात मिल जाएगी।