एक लड़का जो अपनी मेहनत के दम पर आईआईटी परीक्षा में न सिर्फ पास करता है बल्कि सफलता का परचम लहराता है. आगे चलकर कैंपस सिलेक्शन में उसे एक करोड़ की नौकरी का ऑफर होता है. करियर बनाने के लिए वह नौकरी ज्वाइन भी करता है लेकिन कुछ ही महीना के बाद नौकरी में उसका मन नहीं लगता और वह रिजाइन कर लौट आता है. फिर से जमकर पढ़ने लगता है और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने लगता है. जब रिजल्ट निकलता है तो वह ऑल इंडिया टॉपर बन चुका था. आसान भाषा में कहा जाए तो वह लड़का आईएएस अधिकारी बन चुका था. आज हम जिस लड़के की कहानी आपको सुनाने जा रहे हैं उनका नाम कनिष्क कटारिया है. जो आईआईटी इंजीनियरिंग करने के बाद विदेश में करोड़ों रुपए की सैलरी पैकेज पर नौकरी करते थे.
वह कहते हैं की मेरा नाम कनिष्क कटारिया है और मैं एक आईएएस अधिकारी हूं. आपको आश्चर्य लगेगा कि जिस दिन यूपीएससी परीक्षा में मेरा रिजल्ट निकला था. उसे दिन फोन करके इस बात की जानकारी मैंने सबसे पहले अपनी गर्लफ्रेंड को दिया था. मैं यह भी मानता हूं कि मैं जहां हूं जो भी सफलता प्राप्त कर पाया हूं उसमें मम्मी पापा के साथ—साथ गर्लफ्रेंड का भी योगदान है.
कनिष्क कटारिया बताते हैं कि वह राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं. कोटा स्थित सेंट पॉल’एस सीनियर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने इंटर की पढ़ाई की है और इसके बाद आईआईटी जी की परीक्षा की तैयारी करने लगे. आईआईटी परीक्षा में उन्हें ऑल इंडिया रैंक 44 प्राप्त हुआ था. आईआईटी मुंबई से उन्होंने कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई की और बीटेक की डिग्री हासिल की.
कनिष्क बताते हैं कि सैमसंग कंपनी ने उन्हें विदेश जाकर नौकरी करने का ऑफर दिया और वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर विदेश कमाने चले गए. वहां पर उनकी सालाना सैलरी एक करोड रुपए थी. महीने की बात करें तो ₹800000 से अधिक की सैलरी थी.
कनिष्क बताते हैं कि उनके पिताजी का नाम सावरमल शर्मा है जो खुद एक आईएएस अधिकारी रह चुके हैं. यही कारण था कि पापा ने मेरे लिए बचपन से ही सपना देखा था कि मैं भी उनकी तरह सिविल सेवा जॉइन करूं और अफसर बनू लेकिन मैंने इस बारे में कभी भी नहीं सोचा था कि आगे चलकर मुझे आईएएस बनना है।कनिष्क कहते हैं कि मुझे आज भी वह दिन याद है जब पापा ने मुझे बताए बिना यूपीएससी परीक्षा का फॉर्म भर दिया था.
कनिष्क ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि विदेश जाने से पहले उन्होंने UPSC की परीक्षा दी थी. उनके पिता ने बिना बताए उनका फॉर्म भर दिया था. कनिष्क का GS कमज़ोर था और उनका कहना है कि वो परीक्षा हॉल में सोकर वापस आ गए थे. इसी वजह से वो इस अटेम्पट को पहला अटेम्पट नहीं मानते.