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सेवा भोज योजना के तहत धर्मार्थ एवं धार्मिक संस्थाओं को जीएसटी में छूट देती है केंद्र सरकार

ByKumar Aditya

फरवरी 11, 2025
11 2Amritsar, INDIA: Indian Sikh devotees eat langar (free food) at the Gurudwara Santokh Sar Sikh Temple in Amritsar, 02 May 2007, on the occasion of the 444th birth anniversary of Sikhisms fifth Guru, Guru Arjun Dev. Guru Arjun Dev was the first Guru to be born in a Sikh family and was the first martyr of the Sikhs. He compiled all the former Gurus teachings into one holy book - the Adi Granth. AFP PHOTO / Narinder NANU (Photo credit should read NARINDER NANU/AFP via Getty Images)

केंद्र सरकार सेवा भोज योजना नाम की स्कीम के तहत धर्मार्थ एवं धार्मिक संस्थाओं में दिए जाने वाले खाने को बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों पर लगने वाले जीएसटी के पैसों को वापस करती है। सेवा भोज योजना संस्कृति मंत्रालय द्वारा अगस्त, 2018 में शुरू की गई थी।

इस योजना के तहत, एक कैलेंडर माह में कम से कम 5000 लोगों को निशुल्‍क भोजन वितरित करने के लिए पात्र धर्मार्थ/धार्मिक संस्थाओं द्वारा की गई विशिष्ट कच्चे खाद्य पदार्थों की खरीद पर भुगतान किए गए केंद्रीय वस्‍तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) और एकीकृत वस्‍तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) के केंद्र सरकार के अंश की प्रतिपूर्ति भारत सरकार द्वारा संबंधित जीएसटी प्राधिकरण के माध्यम से इन संगठनों को की जाती है। यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

दरअसल संस्‍कृति मंत्रालय का निरंतर प्रयास रहा है कि सेवा भोज योजना सहित सभी योजनाओं को बढ़ावा दिया जाए। इसके अलावा मंत्रालय की वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आदि विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से इनके बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए ताकि योजना का लाभ देश भर में स्थित विभिन्न प्रकार के पात्र धर्मार्थ/धार्मिक संगठनों तक पहुंचे और इस प्रकार योजना के लाभार्थियों के रूप में सभी धर्मों और समुदायों का समान प्रतिनिधित्व हो सके।

सेवा भोज योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय के सीएसएमएस पोर्टल पर नामांकन के लिए इन संस्थाओं के पास अनिवार्य रूप से जिला मजिस्ट्रेट का एक प्रमाण पत्र होना आवश्यक है, जिसमें यह दर्शाया गया हो कि उक्‍त धर्मार्थ/धार्मिक संस्था धर्मार्थ/धार्मिक गतिविधियों में संलग्‍न है और पिछले तीन वर्षों से कम से कम दैनिक/मासिक आधार पर जनता/भक्तों आदि को निशुल्‍क भोजन वितरित कर रही है।

हालांकि, सेवा भोज योजना के तहत उपरोक्‍त क्रमांक (ए) में उल्लिखित प्रतिपूर्ति का लाभ प्रदान करते समय मंत्रालय द्वारा धर्मार्थ/धार्मिक संस्थाओं से निशुल्‍क भोजन के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों का विवरण नहीं मांगा जाता है।

सेवा भोज योजना के अंतर्गत, पात्र धर्मार्थ/धार्मिक संस्थाओं द्वारा जनता को निःशुल्क भोजन वितरित करने के लिए विशिष्ट कच्चे खाद्य पदार्थों की खरीद पर भुगतान किए गए केंद्रीय वस्‍तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) तथा एकीकृत वस्‍तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) में केंद्र सरकार के अंश की प्रतिपूर्ति भारत सरकार द्वारा संबंधित जीएसटी प्राधिकरण के माध्यम से इन संगठनों को की जाती है।

सेवा भोज योजना के अंतर्गत दी गई निधि के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है: –

– नीति आयोग के एनजीओ दर्पण पोर्टल पर पंजीकरण के पश्चात, धर्मार्थ/धार्मिक संस्थाएं संस्कृति मंत्रालय के सीएसएमएस पोर्टल पर अपना नामांकन कराती हैं तथा अपना आवेदन प्रस्तुत करती हैं।

-संस्कृति मंत्रालय में नामांकन के पश्चात, आवेदक अपना आवेदन संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण-पत्र की एक प्रति के साथ अपने संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के नोडल केन्द्रीय कर अधिकारी को प्रस्तुत करता है।

– नोडल केन्द्रीय कर अधिकारी आवेदन तथा पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्त होने पर एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) बनाता है।

– इसके बाद, संबंधित जीएसटी प्राधिकरण पात्र धर्मार्थ/धार्मिक संस्थानों के संबंध में उनके द्वारा सत्यापित और पारित केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) और एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी)के केंद्र सरकार के अंश के दावों को मंत्रालय को जारी करने के लिए अग्रेषित करता है।

– मंत्रालय संबंधित जीएसटी प्राधिकरण को निधि प्रदान करता है जो इन धर्मार्थ/धार्मिक संस्थानों को प्रतिपूर्ति करता है।

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